नईदिल्ली : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सरकार की प्रमुख योजना है जो भारत में एक राष्ट्र . एक योजना थीम के अनुरूप कृषि बीमा प्रदान करती है। यह योजना किसानों की फसलों को सुनिश्चित करती है और उनका बीमा करती है ताकि वे तनाव मुक्त होकर खेती कर सकें। यह वाणिज्यिक और बागवानी फसलोंए तिलहन और खाद्य फसलों ( अनाज बाजरा और दलहन) को वार्षिक रूप से कवर करता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उन किसानों के लिए वैकल्पिक है, जिन्होंने संस्थागत ऋण का लाभ नहीं उठाया है, जबकि उन सभी किसानों को योजना के तहत अनिवार्य रूप से कवर किया जाता है जिन्होंने बैंकों से संस्थागत ऋण लिया हुआ है। योजना का संचालन कृषि मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार की मंजूरी दी है ताकि कृषि उत्पादन में जोखिम का प्रबंधन करने में किसान आत्मनिर्भर हों सकें । किसानों की आय स्थिर हो सके और त्वरित एवं सटीक उपज अनुमान के माध्यम से उनके दावों का तीव्र गति से भुगतान किया जा सके।
संशोधित किए जाने वाले प्रमुख पैरामीटर निम्न हैं : * उत्तर.पूर्वी राज्यों के लिए प्रीमियम सब्सिडी में केंद्र की हिस्सेदारी पूर्व के 50% से बढाकर 90% तक की जा रही है। * अत्यधिक पानी वाले 151 जिलों के लिए एक अलग योजना लायी जाएगी। * सूचना शिक्षा और संचार आईईसी (IEC) गतिविधियाँ . बीमा कंपनियों द्वारा एकत्रित किये जाने वाले कुल प्रीमियम का 0.5% आईईसी (IEC) गतिविधियों पर खर्च किया जायेगा।
राज्यों के लिए लचीलापन : * राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को किसी भी जिला फसल संयोजन हेतु वित्त के अपने पैमाने को चुनने का विकल्प दिया जाएगा। * राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को अतिरिक्त जोखिम कवर के चयन के साथ योजना को चलाने का भी विकल्प दिया जायेगा।
केंद्र द्वारा दी जाने वाली प्रीमियम सब्सिडी पर कैप : * असिंचित क्षेत्रों / फसलों के लिए कुल प्रीमियम पर केंद्र द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी 30% तक सीमित होगी * सिंचित क्षेत्र / फसलों के लिए कुल प्रीमियम पर केंद्र द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी 25% तक सीमित होगी * जिन जिलों में 50% से अधिक क्षेत्र सिंचाई के लिए होगा, उन्हें एक सिंचित जिला माना जाएगा।
राज्यों पर जुर्माना : यदि कोई राज्य निर्धारित समय.सीमा (31 मार्च : खरीफ सीजन हेतु , 30 सितंबर : रबी सीजन हेतु ) के बाद भी बीमा कंपनियों को अपेक्षित प्रीमियम सब्सिडी जारी करने में देरी करता है, तो राज्यों को उसके बाद के सत्रों में योजना चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। फसल कटाई प्रयोग ( क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट्स) (CCE) करने के लिए, उन्नत नमूना तकनीक (स्मार्ट सैंपलिंग तकनीक) (SST) सहित प्रौद्योगिकी समाधानों को अपनाया जाना होगा।
आशीष कुमार भूटानी (IAS:
1992: AM) को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए सीईओ नियुक्त किया गया है। नई योजना के काम के बारे में कुछ जानकारी साझा करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार की योजनाओं जैसे की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY),
PM-KISAN और मृदा स्वास्थ्य कार्ड को आने वाले समय में एक आम डेटाबेस के माध्यम से भूमि रिकॉर्ड के साथ एकीकृत किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि " डेटा विश्वसनीय होगा और डेटा की गुणवत्ता को साझा करने और सुधारने के लिए विकसित होने वाले मानकों को सरकार द्वारा बारीकी से मॉनिटर किया जाएगा।"
कृषि क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अपनाने के बारे में भूटानी के साथ आगे की बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार एक सक्रिय तत्व के रूप में काम करती है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता को तेजी से अपनाने में एक महत्वपूर्ण कारक है। सरकार एक सक्षम वातावरण प्रदान करने के लिए काम कर रही है, जहां निजी कंपनियां और सरकार एक साथ मिलकर सभी किसानों और उपभोक्ताओं को कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ पहुंचाने के लिए काम कर सकते हैं। यह उपभोक्ताओं के लिए मूल्य को कम करने के साथ ही साथ किसानों को सर्वोत्तम मूल्य दिलाने में भी मदद करेगा।
भूटानी ने कुछ आँकड़ों को साझा करते हुए आगे बताया भारत में लगभग 145 मिलियन खेत हैं, जिनमें कुछ बहुत ही छोटे आकार के हैं ,जो प्रति धारक लगभग एक हेक्टेयर है। किसान की आय को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल करना एक बड़ा काम है। कृषि क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन की जरूरत बहुत ज्यादा है।
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के सुधार के साथ फसल बीमा योजना को अब डिजिटल कर दिया गया है और किसान अब ऐप डाउनलोड करके अपने मोबाइल फोन पर वास्तविक समय में अपने फसल बीमा से संबंधित अपडेट प्राप्त कर सकते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के बीच सफल है और पूरे भारत में 5 करोड़ से अधिक किसानों ने किसी प्रकार के नुकसान से बचने के लिए अपनी फसलों का बीमा पहले ही करवा लिया है!