मॉस्को । यूक्रेन से तनाव के बीच बाल्टिक सागर से चले रूसी नौसेना के 6 युद्धपोत अब काला सागर पहुंच चुके हैं। रूसी रक्षा मंत्रालय ने पहले बताया था कि इन युद्धपोतों को भूमध्य सागर के इलाके में तैनात किया जाएगा। इनके किसी युद्धाभ्यास में भी हिस्सा लेने की बात कही गई थी। लेकिन, पल-पल बदलते हालात के कारण इन युद्धपोतों को यूक्रेन के सबसे नजदीक काला सागर में भेजा गया है।
संभावना जताई जा रही है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सीधे तौर पर अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो से भिड़ने की तैयारी कर रहे हैं। नाटो ने भी रूस की आक्रामकता का जवाब देने के लिए पूर्वी यूरोप के कई देशों में सैनिकों, हथियारों और युद्धपोतों को तैनात कर दिया है। इस समय अमेरिकी नौसेना, इटैलियन नौसेना और फ्रेंच नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर भी इसी इलाके में गश्त लगा रहे हैं। ऐसे में रूस के सामने चुनौती न सिर्फ नाटो की सैन्य क्षमता का मुकाबला करना है, बल्कि यूक्रेन पर भी दबाव बनाए रखना है।
कई प्रतिरक्षा विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि नाटो के खिलाफ कार्रवाई में रूसी नौसेना के ये युद्धपोत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इनमें से पांच 775 रोपुचा क्लास के एम्फीबियस वॉरफेयर शिप हैं, जबकि एक प्रोजेक्ट 11711 इवान ग्रेन क्लास लैंडिंग शिप है। रूस ने 31 जनवरी को बाल्टिक सागर से इनमें से पहले तीन युद्धपोतों को एक साथ भेजा था। इसके बाद 2 फरवरी को तीन और युद्धपोतों को भेजा गया।
खराब मौसम होने के बावजूद ये सभी 6 युद्धपोत समय से पहले ही काला सागर इलाके में पहुंच गए हैं। एम्फीबियस युद्धपोतों को दुश्मन के समुद्री तट पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। ये शिप उथले पानी में भी आसानी से तैर सकते हैं। ऐसे युद्धपोतों पर बड़ी संख्या में सैनिक, टैंक, आर्मर्ड व्हीकल और दूसरे उपकरण तैनात रहते हैं। इनके जरिए सेना को तेजी से समुद्री किनारों पर पहुंचाया जा सकता है। एम्फीबियस शिप किसी भी नौसेना की सबसे बड़ी ताकत माने जाते हैं। तटीय इलाकों पर हमला करने, हथियार और रसद पहुंचाने में एम्फीबियस पोत का बहुत बड़ा योगदान होता है। इनके अंदर हथियार, उपकरणों, गाड़ियों और सैनिकों के लिए बहुत जगह होती है।
राष्ट्रपति पुतिन के आदेश पर रूसी नौसेना ने एक दिन पहले ही स्लाव क्लास के क्रूजर मार्शल उस्तीनोव को भूमध्य सागर इलाके में भेजा है। भूमध्य सागर में पहले से ही स्लाव क्लास के दो क्रूजर मौजूद हैं। इस क्लास के क्रूजर्स के पास कई अत्याधुनिक मिसाइलें, हथियार और गन हैं। ये रूसी नौसेना के सबसे ताकतवर युद्धपोत माने जाते हैं। इन युद्धपोतों पर इतना गोला-बारूद मौजूद हैं, जो पूरे यूक्रेन को पलभर में बर्बाद कर सकता है। रूसी नौसेना के कई विध्वसंक, क्रूजर और फ्रिगेट्स इस समय पूर्वी क्षेत्र को छोड़कर पश्चिम में काला सागर, भूमध्य सागर के इलाके में गश्त कर रहे हैं। मार्शल उस्तीनोव रूसी नौसेना के उत्तरी बेड़े का हिस्सा है। यह युद्धपोत आमतौर पर उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में गश्त लगाता रहता है। यूरोप के पश्चिमी तट पर इस युद्धपोत को कई बार देखा गया है। पिछले हफ्ते नॉर्वे, ब्रिटेन और आयरलैंड के नजदीक रूस के इस युद्धपोत को देखा गया था। सबसे अधिक असामान्य बात यह है कि रूसी नौसेना के प्रशांत बेड़े का स्लाव क्लास क्रूजर वेराग भी भूमध्य सागर में है। यह युद्धपोत फरवरी में चीन और ईरान के साथ युद्धाभ्यास के लिए रूस के व्लादिवोस्तोक से स्वेज नहर के जरिए भूमध्य सागर पहुंचा था।
मार्शल उस्तीनोव एक विशाल आकार का युद्धपोत है। इसकी लंबाई 186 मीटर, बीम 20.8 मीटर और ड्राफ्ट 6.28 मीटर है। इस युद्धपोत का कुल डिस्प्लेसमेंट लगभग 11,500 टन है। मार्शल उस्तीनोव क्लास के दो अन्य युद्धपोत मोस्कवा और वैराग हैं। इसमें से मोस्कवा रूसी नौसेना के ब्लैक सी फ्लीट का फ्लैगशिप युद्धपोत है। इसे हाल में ही अपग्रेड किया गया है। वहीं, वैराग प्रशांत बेड़े का प्रमुख युद्धपोत है। रूस ने शुरुआत में छह स्लाव क्लास क्रूजर के निर्माण की योजना बनाई थी, लेकिन सोवियत संघ के पतन और आर्थिक स्थिति सही न रहने के कारण इसे तीन की संख्या में ही बनाया गया है।