मानसिक यंत्रणा की स्थिति से गुजर रहे रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के खिलाफ जंग से किया मना

Updated on 03-06-2022 10:00 PM

मॉस्को युद्धग्रस्त देश रूस यूक्रेन में रूस के हमले को तीन महीने से युद्ध जारी है और स्थिति अनिर्णायक बनी है ऐसे में रूसी सैनिक अवसाद और मानसिक यंत्रणा से दुजर रहे है लिहाजा कई सैनिकों ने युद्ध में वापस जाने से मना कर दिया है। रूस के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक कुछ रूसी सैनिक फ्रंटलाइन पर अपने अनुभवों को कारण वापस नहीं जाना चाहते। पांच हफ्तों तक यूक्रेन के साथ युद्ध करने वाले सर्गेई (बदला हुआ नाम) ने कहा कि वह यूक्रेन वापस नहीं जाना चाहता। वह नहीं चाहता कि किसी को मारे और खुद भी मरे।

एक रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध में वापस भेजे जाने से बचने के लिए सर्गेई रूस में कानूनी सलाह ले रहे हैं। सर्गेई समेत कई सैनिक ऐसी कानूनी सलाह चाहते हैं। सर्गेई ने कहा कि यूक्रेन में हुए अनुभवों के कारण वह ट्रॉमा से गुजर रहे हैं। सर्गेई ने कहा, 'मुझे लगा था कि हम रूसी सेना हैं जो दुनिया में सबसे सुपर-डुपर है। लेकिन हमें बुनियादी उपकरण के बिना युद्ध में मरने के लिए छोड़ दिया गया। इनमें कोई ज्यादा पैसा नहीं लगेगा, लेकिन फिर भी हमें ये नहीं दिया गया।'


सर्गेई ने अनिवार्य सैन्य सेवा का एक साल पूरा होने के बाद दो साल सेना में प्रोफेशनल सर्विस का फैसला किया था। जनवरी में उन्हें यूक्रेन की सीमा पर भेज दिया गया, जहां उसे एक सैन्य अभ्यास बताया गया था। 24 फरवरी को युद्ध की घोषणा के एक महीने बाद सर्गेई को सीमा पार जाने को कहा गया, जहां तुरंत उसकी यूनिट पर हमला हो गया। उनकी यूनिट में 50 सैनिक थे, जिनमें 10 की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए।


सर्गेई ने कहा कि उत्तरी यूक्रेन में उनकी टुकड़ी एक पुल पर हुए धमाके में फंस गई। वहीं, एक लॉन्चर से हिट होने के बाद उनके साथ जलती हुई गाड़ी में फंस गए। उन्होंने कहा 'हमारी यूनिट को भेज दिया गया था, लेकिन किसी भी तरह की योजना नहीं थी। हमें कोई बैकअप टीम नहीं मिली और एक बड़े शहर को जीतने के लिए रूस के पास कोई भी ढंग के हथियार नहीं था। हम बिना हेलीकॉप्टर के पैदल चल रहे थे, ऐसा लग रहा था कि ये युद्ध नहीं परेड है।

' सर्गेई का मानना है कि उनके कमांडर को इस बात का भ्रम था कि अगर वह जल्दी बड़े शहरों की ओर बढ़े तो यूक्रेन सरेंडर कर देगा। उन्होंने कहा, 'हम कम नींद लेकर लगातार चल रहे थे। युद्ध लड़ने के लिए कोई गड्ढे नहीं थे। अगर हम पर पीछे से हमला होता तो बचने का कोई रास्ता नहीं होता। मुझे लगता है कि हमारे ज्यादातर साथी सही योजना होने के कारण मारे गए। अगर हमारे पास सड़कों की माइन्स का पता लगाने की क्षमता होती तो बहुत जानें बच जाती।'


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