लवीव । रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव और मारियुपोल की घेराबंदी सख्त कर दी है। बुधवार सुबह एक हवाई हमले का अलर्ट घोषित किया गया और रूस की ओर से मिसाइलें दागे जाने के खतरे के बीच निवासियों से जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर जाने का अनुरोध किया गया। इसके साथ ही, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर मारियुपोल की घेराबंदी कर दी गई है, जिससे वहां मानवीय संकट बढ़ गया है।
कीव क्षेत्रीय प्रशासन के प्रमुख ओलेक्सी कुलेबा ने हवाई हमले का अलर्ट जारी करते हुए कहा कि यूक्रेन की राजधानी पर मिसाइल हमले का खतरा है। उन्होंने कहा, सभी लोग तुरंत सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। हालांकि, बाद में अलर्ट हटा दिया गया। कई दिनों से रूसी सेना ने यूक्रेन के शहरों को घेर रखा है और नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए मानवीय गलियारे बनाने की कोशिशें विफल हो गई हैं।
कुलेबा ने कहा नागरिकों के लिए राजधानी में संकट बढ़ रहा है और खासतौर से शहर के उपनगरों में हालात गंभीर हैं। उन्होंने कहा रूस कीव क्षेत्र में कृत्रित रूप से मानवीय संकट पैदा कर रहा है, लोगों की निकासी में बाधा डाल रहा है और छोटे समुदायों पर बमबारी कर रहा है। ऐसी जानकारी है कि दो हफ्तों से चल रही इस लड़ाई में देश भर में हजारों लोगों की मौत हो गई है, जिसमें सैन्य और असैन्य नागरिक शामिल हैं।
वहीं कीव के आसपास समेत कई इलाकों को यूक्रेन की सेना व लोगों के कड़े प्रतिरोध के चलते रूसी बलों का आगे बढ़ना रुका हुआ है। यूक्रेन पर हमला करने के करीब दो हफ्ते बाद हालांकि रूसी सेना ने देश की तटरेखा पर बढ़त हासिल कर ली है, जिससे क्रीमिया तक जमीनी पुल बनाया जा सकता है जिसे मॉस्को ने 2014 में यूक्रेन से छीन लिया था।
अजोव सागर पर स्थित मारियुपोल को रूसी सैनिकों ने कई दिनों से घेर रखा है और 4,30,000 लोगों की आबादी वाले इस शहर में मानवीय संकट बढ़ रहा है। शहर की सड़कों पर शव पड़े हुए हैं। भूखे लोग भोजन की तलाश में दुकानें तोड़ रहे हैं और पानी के लिए बर्फ पिघला रहे हैं। रूसी बमबारी से बचने के लिए हजारों लोगों ने भूमिगत स्थलों में शरण ले रखी है।
यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री इरीना वेरेशचुक ने कहा कि मारियुपोल विनाशकारी स्थिति में है। इस बीच, पोलैंड ने यूक्रेन की सेना की मदद करने के लिए अमेरिका को अपने सभी मिग-29 लड़ाकू विमान देने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह प्रस्ताव उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के लिए गंभीर चिंताएं पैदा करता है और यह योजना तर्कसंगत नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक करीब 20 लाख लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं।