कोरबा एसईसीएल की सिंघाली परियोजना में ठेका श्रमिकों से काम कराने के एवज में मजदूरी का भुगतान न कर 18 लाख रुपए की राशि हड़प कर लेने के मामले में आरोपी बनाए गए कथित एसईसीएल अधिकारियों सहित 4 लोगों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।
शारदा विहार निवासी संतोष शर्मा पिता सुरजीत लाल शर्मा के द्वारा वर्ष 2014-2015 तक सिंघाली परियोजना में ठेका श्रमिक नियोजित किए गए थे। श्रमिकों को पारिश्रमिक के बदले सीनियर सर्वे मैनेजर डी.एस. राजपूत, उनका साला गजेन्द्र सिंह तोमर, खदान प्रबंधक सिंघाली जितेंद्र मिश्रा एवं सब एरिया मैनेजर के. रामाकृष्णन के द्वारा 6 हजार श्रमिक आपूर्ति के बदले 2400 श्रमिकों का हाजिरी का भुगतान किया गया तथा 3600 श्रमिकों का भुगतान 18 लाख रुपए की शेष रकम नहीं दी गई।
पूरे कार्य के एवज में 12 लाख 26 हजार रुपए का ही भुगतान किया गया। राशि मांगने पर अधिकारियों के द्वारा गाली-गलौज कर जान से मरवा देने की धमकी दी जाती रही। ठेकेदार द्वारा न्यायालय में दायर परिवाद पर जारी आदेश उपरांत बांकीमोंगरा थाना में धारा 420, 34 भादवि के तहत अपराध क्र.130/2016 पर दर्ज किया गया। आरोपियों ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रकरण का खात्मा करने रिट पिटीशन दायर किया जिसमें न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास के द्वारा निरस्त कर अग्रिम कार्यवाही समुचित ढंग से करने निर्देशित किया गया।
आरोपियों द्वारा अपर सत्र न्यायाधीश कटघोरा लीलाधर साय यादव के समक्ष अग्रिम जमानत का आवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में न्यायाधीश ने केस डायरी के अवलोकन में उपलब्ध प्रथम दृष्टया साक्ष्य को देखते हुए इन आरोपियों को अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना उचित नहीं पाया और इस तरह डी.एस. राजपूत, जितेन्द्र मिश्रा, के. रामाकृष्णन, गजेन्द्र सिंह तोमर का अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त कर दिया गया। आवेदन निरस्त होने के साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी तेज होने की बात बांकीमोंगरा थाना प्रभारी ने कही है।