चंडीगढ़ में हुए नेशनल वॉक रेस में उत्तराखंड के सूरज पवार पेरिस ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले चौथे मेंस प्लेयर बने। वे 20 किमी वॉक रेस इवेंट में एक घंटा 19 मिनट 43 सेकेंड का समय लेकर दूसरे स्थान पर रहे। सूरज का यहां तक का सफर कठिनाईयों से भरा रहा है।
सूरज 6 महीने के थे, तब उनके सिर से पिता का छाया उठ गया। वहीं मां ने 14 साल तक उत्तराखंड के वन विभाग मे दिहाड़ी मजदूरी कर सूरज को यहां तक पहुंचाया। सूरज कहते हैं कि मां के इस त्याग को वह बर्बाद नहीं जाने देंगे और देश के लिए ओलिंपिक में मेडल जीतकर उनकी झोली में डालेंगे।
जवाब- मैं नॉर्मल फैमिली से ताल्लुकात रखता हूं। मैं जब 6 महीने का था, तब मेरे पापा का देहांत हो गया था। हम तीन भाई हैं। उसके बाद मेरी मां ने ही हम सबको संभाला। वह 14 सालों तक उत्तराखंड के वन विभाग में दिहाड़ी मजदूरी की। बाद में वह परमानेंट हो गई।
शुरुआत में डाइट को लेकर दिक्कत थी, तब मेरे कोच अनूप बिष्ट ने मेरी काफी मदद की। वहीं जब नेशनल कैंप में आया तो फॉरेन कोच का भी काफी सपोर्ट मिला। उन्होंने हर तरह से मदद की। अब मैं भी नेवी में लग गया हूं। मेरा बड़ा भाई जॉब कर रहा था। ऐसे में अब काफी हद तक दिक्कतें खत्म हो गई है।
सवाल- पिछले साल आप एक सेकेंड से ओलिंपिक क्वालिफाई से चूक गए थे, उसके बाद आपके दिमाग में क्या चल रही थी और इस एक साल में किस तरह से तैयारी की?
जवाब- पिछले साल रांची में हुए नेशनल वॉकिंग चैंपियनशिप में मैं एक सेकेंड से ओलिंपिक क्वालिफाइंग से चूक गया था। उसके बाद मेरे दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि मुझे ओलिंपिक क्वालिफाई किसी भी हाल में करना है।
इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने नेशनल कैंप में विदेशी कोच के मार्गदर्शन में प्रैक्टिस की और मैं चंडीगढ़ में हुए नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने के साथ ही ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई किया।
सवाल- ओलिंपिक में एक देश से केवल तीन एथलीट ही एक इवेंट में भाग ले सकते हैं, अभी तक 6 एथलीट इस इवेंट में ओलिंपिक क्वालिफाई कर चुके हैं, ऐसे में कितना चैलेंजिंग होगा?
जवाब- अपनी तरफ से पूरी मेहनत करेंगे और अपना बेस्ट देंगे। जिस तरह से मैंने नेशनल चैंपियनशिप में दिया र्है। पेरिस में भाग लेने वाले बेस्ट तीन खिलाड़ियों का चयन जून में होगा। ऐसे में मेरी कोशिश होगी कि जून में भी होने वाले कंपटीशन में मैं अपना बेस्ट दूं और ओलिंपिक के लिए टीम में अपना चयन सुनिश्चित करूं।
सवाल- वॉक रेस की शुरुआत कैसे की? इसे ही क्यों चुना?
जवाब- वॉक रेस के बारे में शुरुआत में ज्यादा जानकारी नहीं थी। मैं बचपन में सारे गेम ही करता था। पहले रेसिंग करता था। बाद में वॉक रेसिंग भी करना शुरू किया। जब मैं स्कूल स्तर पर आयोजित हुई प्रतियोगिता में फर्स्ट आया तो मैंने इसे कंटीन्यू करने का फैसला किया।
2016 में हमारे देहरादून से मनीष रावत ने ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई किया था। उनके बारे में अखबारों में खबर आती थी। उनकी पुलिस में इंसपेक्टर पद में नौकरी भी लग गई थी। जिसके बाद मैंने ठान लिया कि हमें भी उनके जैसा बनना है और ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना है और मेडल जीतना है।
सवाल- ओलिंपिक की तैयारी को लेकर क्या प्लान है? क्या आप भी ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुकी प्रियंका गोस्वामी की तरह ऑस्ट्रेलिया में जाकर तैयारी करने की योजना बना रहे हैं?
जवाब- ओलिंपिक की तैयारी हमें कहां करना है और किस तरह से करना है इसका फैसला हमारी कोच और फेडरेशन को करना है। हमारी कोच ओलिंपिक तैयारी को लेकर प्लान तैयार करेंगी हम उसी योजना पर चलेंगे। अभी तक हम कोच के हिसाब से ही चलकर यहां तक सफर तय किया है। ऐसे में आगे भी उनके हिसाब से ही चलेंगे।
सवाल- भारतीय वॉकर ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर लेते हैं, पर ओलिंपिक में वह अपना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं? ऐसा क्यों?
जवाब- जी हमें भी यह पता चला है कि भारतीय वॉकर ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर लेते हैं, पर ओलिंपिक में बेहतर नहीं कर पाते हैं। मैं इस धारणा को तोड़ना चाहता हूं और वॉक रेस में देश को पहला मेडल दिलाना चाहता हूं। ऐसे में मेरी कोशिश है कि मैं ओलिंपिक के लिए पूरी मेहनत करूं।