भोपाल : सभी के लिए खाद्य सुरक्षा और सस्ता भोजन उपलब्ध हो, इसके लिए किसानों को वर्ष 2050 तक 50 प्रतिशत अधिक फसलें उगानी होंगी। इस लक्ष्य को सतत कृषि समाधान के जरिये हासिल करने के उद्देश्य से, सिंजेंटा इंडिया ने बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित बायोएग वर्ल्ड कांग्रेस (BioAg World Congress) में विज्ञान आधारित बायोलॉजिकल उत्पादों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिए अपनी कार्ययोजना पेश की । सिंजेंटा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कंट्री हेड एवं मैनेजिंग डायरेक्टर सुशील कुमार ने कहा, ‘खेती कई जटिल चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में पर्यावरण-अनुकूल और संतुलित खेती सुनिश्चित करने के लिए हमें बहु-आयामी रणनीति अपनानी होगी। नए बायोलॉजिकल उत्पाद हमारे उन सर्वोत्तम उपायों में से एक हैं, जो मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारते हैं, फसलों की सहनशक्ति बढ़ाने और किसानों को समग्र समाधान देने के लिए बनाए गए हैं। सुशील कुमार ने टेक्नॉलजी की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में किसान कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य श्रृंखला और खाद्य अवशेषों के बेहतर प्रबंधन के प्रति जनता का दबाव, खेती के विकल्पों को और सीमित कर देता है। कीटों में प्रतिरोध क्षमता विकसित होने और उनके व्यवहार में बदलाव के कारण समाधान की प्रभावशीलता कम हो रही है, जिससे नई कार्यप्रणालियों की आवश्यकता है। सतत और संतुलित कृषि को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत प्रयासों की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए सुशील ने कहा, ‘आधुनिक कृषि को साकार करने के लिए हमें नए उपकरणों की ज़रूरत है। इस चुनौती का सामना करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास जरूरी हैं और नई तकनीक के बायोलॉजिकलस एवं बीज उपचार इस बदलाव की अग्रिम पंक्ति में हैं। बायोलॉजिकलस की चर्चा करते हुए सुशील कुमार ने कहा कि प्राकृतिक माइक्रोबियल, समुद्री शैवाल और पौधों के अर्क पोषक तत्वों के चक्रण, कीट और रोग नियंत्रण तथा पौधों की वृद्धि में मदद करते हैं। बायोलॉजिकलस के तीन मुख्य टाइप्स – बायोस्टिमुलेंट्स, पोषक तत्व उपयोग दक्षता वाले प्रोडक्टस और बायोकंट्रोल – किसानों को प्रतिरोध प्रबंधन, मिट्टी की सेहत सुधारने, खाद्य में रासायनिक अवशेष घटाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में अधिक विकल्प देते हैं। सिंजेंटा इंडिया किस प्रकार स्थायी तरीके से लाभकारी खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, इसे विस्तार से बताते हुए कुमार ने कहा कि सिंजेंटा बायोलॉजिकल्स प्रगतिशील और वैज्ञानिक तरीकों के ज़रिए किसानों को अधिक विकल्प और लचीलापन प्रदान करता है। हम किसानों को कीट और रोग नियंत्रण, जैविक तनाव से निपटने, मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और पोषक तत्वों के बेहतर उपयोग के लिए अतिरिक्त समाधान प्रदान करते हैं। उन्होंने आगे कहा, बेहतर आंतरिक अनुसंधान एवं विकास, मजबूत बाहरी साझेदारियों और अग्रणी बायोस्टिमुलेंट्स कंपनी वैलैग्रो के अधिग्रहण के साथ, हम किसानों को उनकी ज़रूरतों के अनुरूप नवोन्मेषी और प्रभावी उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला प्रदान कर रहे हैं। हमारी आकांक्षा पत्तियों और बीज उपचार से जुड़ी तकनीकों और मिट्टी की सेहत से जुड़ी तकनीकों में वैश्विक नेतृत्व स्थापित करने की है। कुमार ने कहा कि पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता, मिट्टी स्वास्थ्य और अजैविक-तनाव प्रबंधन के लिए सिंजेन्टा इंडिया के उत्पाद उत्पादकों को मिट्टी में डाले जाने वाले पोषक तत्वों और उर्वरकों की अधिकतम क्षमता का उपयोग करने में लाभ पहुंचाते हैं। मिट्टी की सेहत सुधारने वाले ये समाधान किसानों को कम उपजाऊ या खारी मिट्टी में भी अच्छी गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं।
सिंजेंटा इंडिया के कंट्री हेड एवं मैनेजिंग डायरेक्टर सुशील कुमार ने कहा कि प्रगतिशील सोच और नई तकनीक को तेज़ी से आगे बढ़ाने और ज़रूरी समाधान किसानों तक जल्दी पहुंचाने के लिए साझेदारी विकसित करना सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। हमारी विशिष्ट अनुसंधान प्रक्रिया और समर्पित वैज्ञानिकों की टीम ने हमें बायोलॉजिकल्स की एक अग्रणी शृंखला विकसित करने में सक्षम बनाया है, जिसमें प्रमुख उत्पाद वर्गों में कई क्रांतिकारी समाधान शामिल हैं। सिंजेंटा इंडिया के बायोलॉजिकल्स प्रमुख संजय कुमार टोकाला ने कहा कि वैश्विक बायोलॉजिकल्स उत्पाद क्षेत्र वर्ष 2030 तक 20 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की ओर बढ़ रहा है और भारत का बाजार भी तेज़ी से विकास कर रहा है। सिंजेंटा, इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में से एक होने के नाते, इसमें महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभाने जा रही है। भारत में बदलते नियामक ढांचे को ध्यान में रखते हुए, हम अपने मौजूदा बायोलॉजिकल्स उत्पादों की शृंखला को और मजबूत करने के लिए अल्पकालिक साझेदारियों के विकल्प खुले रखे हुए हैं। नयी तकनीक वाले बायोलॉजिकल्स की संभावनाओं के प्रति आत्मविश्वास जताते हुए श्री संजय टोकाला ने कहा कि इनका उपयोग जैव विविधता को बढ़ावा देता है और मिट्टी की उर्वरता को दीर्घ काल तक बनाए रखता है, जिससे खेती प्रणाली जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक सहनशील बनती है।