नई दिल्ली। टाटा ग्रुप को कंट्रोल करने वाली टाटा सन्स में 104 साल में पहली बार सीईओ मिल सकता है। यह बात एक रिपोर्ट से सामने आई है। अभी तक टाटा सन्स के परिचालन और पोर्टफोलियो कंपिनयों में निवेश को इसके एग्जीक्यूटिव चेयरमैन देखते आए हैं। प्रस्तावित योजना के मुताबिक सीईओ 153 साल पुराने टाटा ग्रुप को कारोबार को दिशा दिखाएगा जबकि चेयरमैन शेयरहोल्डर्स की ओर से सीईओ के कामकाज पर नजर रखेगा। जानकारी के मुताबिक लीडरशिप स्ट्रक्चर में बदलाव के लिए टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन रतन टाटा की मंजूरी को अहम माना जा रहा है। टाटा संस के मौजूदा चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है लेकिन उन्हें एक्सटेंशन देने पर विचार किया जा रहा है। सीईओ की पोस्ट के लिए टाटा स्टील लिमिटेड सहित टाटा ग्रुप की विभिन्न कंपनियों के प्रमुखों के नाम पर विचार चल रहा है। इस बारे में अभी आखिर फैसला नहीं लिया गया है और इसकी योजना तथा इसकी पूरीर जानकारी में बदलाव हो सकता है। टाटा ग्रुप की लीडरशिप में बदलाव की योजना सेबी की सिफारिशों के अनुरूप है। सेबी का कहना है कि बेहतर कामकाज के लिए देश की प्रमुख 500 लिस्टेड कंपनियों में अप्रैल 2022 तक चेयरमैन और सीईओ अलग-अलग होना चाहिए। हालांकि टाटा संस लिस्टेड कंपनी नहीं है लेकिन बदलाव से उसे इस नियम के अनुपालन में मदद मिलेगी। टाटा ग्रुप 100 से अधिक कारोबार करता है और उसकी लिस्टेड कंपनियों की संख्या दो दर्जन से अधिक है। 2020 में ग्रुप का कंबाइंड सालाना राजस्व 106 अरब डॉलर था। टाटा ग्रुप के कर्मचारियों की संख्या 750,000 है।