एअर इंडिया जो लगभग 15 साल से घाटा दे रही थी, अब टाटा ग्रुप की हो गई है। ऐसे में अब कंपनी के कारोबारी तौर-तरीकों में काफी बदलाव आने वाला है। जहां तक एंप्लॉयीज की बात है, तो सभी एक साल तक कंपनी के पेरोल पर बने रहेंगे। लेकिन सर्विसेज का क्या होगा जो वह सरकार को दिया करती थी, यह एक दिलचस्प सवाल है। आइए ऐसे सवालों का जवाब एक-एक कर ढूंढते हैं।
एंप्लॉयीज
सबसे पहले एअर इंडिया के रिटायर्ड और मौजूदा एंप्लॉयीज की बात करते हैं। उनको और उनके परिवार के सदस्यों को मिलने वाले फ्री ट्रिप कम हो जाएंगे। रिटायर्ड एंप्लॉयीज को मिलने वाले हेल्थ इंश्योरेंस की फैसिलिटी सरकारी स्कीम या किसी बीमा कंपनी में ट्रांसफर की जाएगी। ऐसे में इंश्योरेंस कवरेज के लिए उन्हें अपनी जेब से कुछ रुपए निकालने होंगे।
VVIP ट्रैवल
अब VVIP ट्रैवल का क्या होगा, एक सवाल इससे जुड़ा है। सरकार ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री की यात्रा के लिए तीन बोइंग 777 प्लेन खरीदे हैं। इंडियन एयरफोर्स (IAF) इन प्लेंस के मैनेजमेंट और मेंटेनेंस का काम देखती है। इसके पायलटों को इन प्लेंस को ऑपरेट करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। PM जिस प्लेन से हवाई यात्रा करते हैं, उसका नाम एयर इंडिया वन ही रह सकता है।
इवैकुएशन प्लान
विदेश में फंसे नागरिकों को निकाल लाने के सरकारी अभियानों का क्या होगा, यह सवाल भी अहम है? एअर इंडिया सरकारी कंपनी थी इसलिए ऐसे आपात कार्यों में एयर इंडिया को लगाया जाता था। लेकिन इनके लिए भरी जाने वाली उड़ानों के लिए कंपनी को भुगतान किया जाता था। एअर इंडिया के सरकारी कंपनी नहीं रह जाने पर ऐसे काम के लिए प्राइवेट एयरलाइंस की मदद ली जा सकती है।
हज यात्रा
अब हज यात्रा का क्या होगा? सरकार बिडिंग के हिसाब से प्राइवेट कंपनियों को हज की उड़ानें अलॉट करेगी। जो एयरलाइन कंपनी सबसे कम कीमत में उड़ान सेवा का ऑफर देगी, इसका कॉन्ट्रैक्ट उसे ही दिया जाएगा। वैसे, हज के लिए दी जा रही सरकारी सब्सिडी अगले साल से खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में हज सब्सिडी को 10 साल में खत्म करने का ऑर्डर जारी किया था।
हैंड ओवर
एयर इंडिया कब तक टाटा के कंट्रोल में आ जाएगी? इसका प्रोसेस तो पहले ही शुरू हो चुका है। 29 सितंबर को हुई मीटिंग में दोनों बिडर- टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के सीएमडी अजय सिंह की अगुवाई वाले कंसॉर्टियम, को शेयर पर्चेज एग्रीमेंट दिया गया था। अब टाटा को कंपनी के कंट्रोल के लिए सरकार को भुगतान करना होगा। सरकार दिसंबर तक कंपनी की कमान नए मालिक को दे देना चाहती है, लेकिन यह भी हो सकता है कि प्रोसेस मार्च अंत तक खिंच जाए।