टोक्यो: जापान और रूस के बीच आसमान में तनातनी देखने को मिली है। ये तब हुआ जब रूसी जेट ने जापान के हवाई क्षेत्र के पास उड़ान भरी, इसके बाद टोक्यो ने भी अपने लड़ाकू विमानों को तैनात कर दिया। जापान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया है कि गुरुवार सुबह से दोपहर तक रूसी टीयू-142 विमान ने उनके देश और दक्षिण कोरिया के बीच समुद्र से दक्षिणी ओकिनावा क्षेत्र में उड़ान भरी। रूसी जेट अपनी उड़ान के बाद होक्काइडो के उत्तरी द्वीप की तरफ चले गए। ये बीते पांच साल में पहली बार है, जब रूसी जेट द्वीपसमूह के आसपास उड़ान भरते देखे गए। ऐसे में जापान भी इससे तुरंत ही हरकत में आ गया।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान के रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने अपने बयान में कहा कि रूसी विमानों ने जापानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया। इन विमानों ने जापान और रूस के बीच विवाद वाले क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी। जवाब में हमने इमरजेंसी बेसिस पर एयर सेल्फ-डिफेंस फोर्स के लड़ाकू जेट तैनात कर दिए। अधिकारी ने कहा कि आखिरी बार रूसी सैन्य विमानों ने 2019 में जापान का चक्कर लगाया था लेकिन उस घटना में बमवर्षक शामिल थे जो देश के हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे। इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ।
रूस और चीन कर रहे हैं युद्धाभ्यास
रूस और चीन इस समय युद्धाभ्यास कर रहे हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में रूसी और चीनी युद्धपोतों ने जापान सागर में संयुक्त अभ्यास शुरू किया है। यह अभ्यास एक प्रमुख नौसैनिक अभ्यास का हिस्सा है जिसे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तीन दशकों में अपनी तरह का सबसे बड़ा अभ्यास बताया है। रूस और चीन ने हाल के वर्षों में सैन्य सहयोग बढ़ाया है। दोनों ही देश वैश्विक मामलों में अमेरिका के प्रभुत्व के खिलाफ हैं, जो दोनों देशों को करीब लाता है।
जापानी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बीते महीने अगस्त के अंत में जापान ने भी लड़ाकू विमानों को तैनात किया था, जब एक चीनी सैन्य विमान ने उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया था। उस समय Y-9 सर्विलांस एयरक्राफ्ट ने जापानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। हालांकि ये सिर्फ दो मिनट के लिए था लेकिन ये पहली बार था जब कोई चीनी सैन्य विमान जापानी हवाई क्षेत्र में घुसा था।
यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद जापान और रूस के संबंध और ज्यादा खराब हुए हैं। दरअसल दोनों देशों के बीच विवाद काफी पुराना है, दोनों ही देश कुरील द्वीपों पर दावा करते हैं। रूस ने द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में होक्काइडो के उत्तर में रणनीतिक रूप से स्थित ज्वालामुखीय द्वीपसमूह पर कब्जा किया था और तब से वहां अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखी है।