नई दिल्ली: पेरिस पैरालंपिक 2024 में एक गजब का ड्रामा देखने को मिला। ईरान के भाला फेंक एथलीट सादेग बेत सयाह ने F41 वर्ग में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता था, लेकिन वे जोश में होश गंवा बैठे और नतीजा ये हुआ कि ईरान के इस एथलीट को मेडल तो क्या कुछ भी नहीं मिला। यानी वह पहले स्थान पर रहकर भी डिक्वालिफाई हो गए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिरी ऐसा क्यों हुआ और सयाह ने ऐसा क्या किया था कि ओलंपिक कमेटी को यह कदम उठाना पड़ा।
दरअसल सयाह बेत जैसे ही गोल्ड मेडल जीते वह उन्होंने काले रंग की अरबी में लिखे झंडे को निकाला और उसे दिखाने लगे। पैरा एथलेटिक्स में इसकी इजाजत नहीं है कि कोई खिलाड़ी अपने देश के झंडे के अलावा किसी विशेष प्रतीक का झंडा दिखाए। ऐसे में सोशल मीडिया पर भारी कनफ्यूजन हो गया कि वह झंडा आखिर था क्या और उस जो लिखा था उसका मतलब क्या है। कुछ लोग उसे आतंकवादी संगठन ISIS का झंडा भी बता रहे हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और है।
बता दें कि सयाह बेत ने गोल्ड मेडल जीतने के बाद जिस झंडे को दिखाया वह इस्लाम धर्म से जुड़ा बताया जा रहा है। इस्लाम धर्म में यह झंडा शिया मुस्लिम समुदाय का प्रतीक है और यह इमाम हुसैन से जुड़ा है। सयाह बेत ने शिया समुदाय को पेरिस पैरालंपिक में प्रदर्शित करना चाहते थे, लेकिन इसके कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ गया।
क्या है पैरालंपिक कमेटी का नियम
पैरालंपिक वेबसाइट के अनुसार सयाह बेत ने आचार संहिता के नियम 8.1 का उल्लंघन किया। इस नियम के अनुसार पैरा एथलेटिक्स के खेल में अखंडता, नैतिकता और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध करती है। इसमें किसी तरह के धार्मिक या फिर कुछ ऐसा जश्न जो अनुचित हो को बर्दाश्त नहीं किया जाता है। सयाह ने सिर्फ झंडा ही नहीं दिखाया था, बल्कि जश्न मनाने के दौरान उन्होंने गला काटने का भी इशारा किया, जिसके कारण उन्हें योलो कार्ड दिखाया गया.
सयाह को अयोग्य ठहराने के बाद भारत के नवदीप सिंह के सिल्वर मेडल को अपग्रेड कर गोल्ड में बदल दिया गया। नवदीप ने पर्सनल बेस्ट थ्रो 47.32 मीटर के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे, लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया वह गोल्ड मेडल के हकदार हो गए।