भोपाल। राजधानी के विशेष न्यायाधीश (एसटीएफ) अतुल सक्सेना की अदालत ने व्यापमं घोटाले में फर्जी प्रमाण पत्र के माध्यम से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने वाले आरोपित सौरभ सचान को अलग-अलग धाराओं में दोषी पाते हुए तीन वर्ष के कारावास और 500 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक सुधा विजय सिंह भदौरिया और आकिल अहमद खान ने की।
पूर्व सीएम दिग्विजय ने की थी शिकायत
विशेष लोक अभियोजक सुधा विजय सिंह ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने फर्जी प्रमाण पत्र के माध्यम से प्रतियोगियों के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने के संबंध में एक शिकायत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक भोपाल को वर्ष 2021 में की थी। इसमें उन्होंने संदिग्ध व्यक्तिओं की सूची भी सौंपी थी, जिसमें फर्जी दस्तावेज तैयार कर भर्ती होने की बात कही गई थी।
उस शिकायत में पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा था कि संदिग्ध छात्र उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं, जबकि उन्होंने मध्यप्रदेश का मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाकर परीक्षा दी है। यही नहीं उनके सीट आवंटन पत्र में चस्पा फोटो भी भिन्न है।
एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच की
इस पर एसटीएफ पुलिस ने धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। एसटीएफ ने जांच में पाया कि मामले के आरोपित सौरभ सचान ने फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र के माध्यम से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया है। जब उसके मूल निवासी प्रमाण पत्र की जांच की गई तो पता चला कि यह जारीकर्ता विभाग अनुविभागीय अधिकारी त्यौंथर जिला रीवा के द्वारा जारी ही नहीं किया गया है।
जांच के बाद न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। अभियेाजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्कों व दस्तावेजों के आधार पर आरोपित सौरभ सचान को धोखाधड़ी का दोषी पाते हुए तीन वर्ष के सश्रम कारावास और 500 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।