माले: मोहम्मद मुइज्जू ने जब से मालदीव के राष्ट्रपति पद की कमान संभाली है, वे खुद की साख इस्लामिक दुनिया के नेताओं के बीच मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं। राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने सबसे पहले तुर्की की यात्रा की थी, जहां के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगान खुद को इस्लामिक दुनिया का खलीफा बनाने में लगे हैं। अब बीते सप्ताह के आखिर में मोहम्मद मुइज्जू ने घोषणा की कि उनकी सरकार इजरायली पासपोर्ट पर मालदीव में आने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रतिबंधित करने के लिए नया कानून लेकर आएगी। मालदीव में ऐसी घोषणा करना बहुत अच्छा नहीं है, खासतौर पर जब देश के राजस्व का 90 प्रतिशत हिस्सा विदेशी पर्यटकों पर आधारित है। मुइज्जू मालदीव को जिस दिशा में ले जा रहे हैं, वह पहले से ही कट्टरपंथी देश के लिए उल्टा पड़ सकता है।
मालदीव में बसती है दो अलग दुनिया
दुनिया भर में लोग मालदीव को ऐसे देश के रूप में देखते रहे हैं, जहां लैगून रिसॉर्ट्स हैं। पानी के ऊपर बने बंगले और शानदार समुद्र तटीय रेस्टोरेंट हैं। लेकिन इन निजी द्वीपों और हनीमून पैराडाइज से दूर एक असली मालदीव बसता है, जो एक कट्टरपंथी इस्लामिक राज्य है। वर्षों ने मालदीव की सरकारों ने देश के इन दो अलग संसारों को अलग रखने की कोशिश की है, लेकिन मुइज्जू की घोषणा ने इसका काला सच बाहर ला दिया है। मालदीव जाने वालों के लिए भी यह आश्चर्यजनक हो सकता है। पानी के ऊपर बने रिसॉर्ट्स के पास कॉकटेल की चुस्की लेने वालों को शायद अहसास नहीं होगा कि इसी देश में ऐसा करने पर उन्हें जुर्माना या कोड़े भी लग सकते हैं।
बदल रही मालदीव की हवा
मालदीव के एयरपोर्ट से उतरने और रिसॉर्ट्स तक पहुंचने के बीच पर्यटकों को ऐसी किसी भी बात की भनक भी नहीं लगती, क्योंकि उन्हें मालदीव की दूसरी दुनिया से अलग रखा जाता है। लेकिन इजरायल विरोधी रुख अनजाने में ही असली मालदीव की ओर ध्यान दिला सकता है। एक ऐसा देश जहां रूढ़िवादी ड्रेस के साथ ही सार्वजनिक रूप से प्यार जताने और समलैंगिक संबंधों पर सजा का प्रावधान है, जहां राजनीती कभी-कभी हिंसा में बदल जाती है। हाल के वर्षों में देश की राजनीति बाहरी लोगों के लिए अधिक कठोर और राष्ट्रवादी मोड़ लेती दिख रही है। मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में मुइज्जू ने इंडिया आउट का अभियान चलाया था। इसके साथ ही मुइज्जू किस तरह चीन की गोद में जा बैठे हैं, ये भी दुनिया ने देखा है। अमेरिका भी इस पर नजर बनाए हुए है।
मालदीव में आतंकवाद की पहुंच
पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था वाले मालदीव के लिए कट्टरपंथ सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। ब्रिटिश अखबार टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रति व्यक्ति आधार पर देखें तो इस्लामिक स्टेट में भर्ती होने वाले सबसे ज्यादा विदेशी मालदीव से हैं। इस साल की शुरुआत में मालदीव ने अपने 21 नागरिकों (मुख्य रूप से महिलाएं) को वापस भेज दिया था, जो सीरिया में जिहादी समूहों में शामिल होने गए थे। मालदीव में पर्यटकों के साथ भी घटनाएं हो चुकी हैं। 2014 में डेविड के सितारे की तुलना नाजी स्वास्तिक से करने पर इजरायली पर्यटक और स्थानीय लोगों के बीच तनाव फैल गया था, जिसके बाद इजरायलियों की सुरक्षा के लिए पुलिस को उन्हें बाहर निकालना पड़ा था।