ओटावा: भारत और कनाडा के बीच पिछले साल राजनयिक तनाव देखने को मिला था। तनाव के बाद 41 कनाडाई राजनयिकों को भारत छोड़ने को कहा गया था। दोनों देश के तनाव का असर अब कनाडा पर देखने को मिला है। इमीग्रेशन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (IRCC) पोर्टल के लेटेस्ट आंकड़े दिखाते हैं कि अक्टूबर-दिसंबर 2022 की तुलना में 2023 की अंतिम तिमाही में कनाडा की ओर से फाइनल की गई भारतीयों की संख्या में 42 फीसदी गिरावट हुई है।
अक्टूबर-दिसंबर 2023 में कनाडा ने सिर्फ 69,203 आवेदनों को अनुमति दी है। 2022 में इसी अवधि के दौरान 1.19 लाख आवेदन प्रोसेस हुए थे, जो एक बड़ी कमी को दर्शाता है। 2022 और 2023 के बीच कनाडाई अधिकारियों की ओर से अंतिम रूप से फाइनल किए गए कुल छात्रों की परमिट में 15 फीसदी की कमी थी। इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कनाडाई उच्चायोग ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। कनाडा के लिए स्टडी परमिट अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कम से कम छह महीने लंबे कार्यक्रम के लिए जारी किया जाता है।
पहले ही दी गई थी वॉर्निंग
ज्यादातर परमिट कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में नामांकित छात्रों के पास होते हैं। इस संख्या में गिरावट आश्चर्यजनक नहीं है। क्योंकि IRCC ने 19 अक्टूबर 2023 को एक बयान में वीजा प्रोसेसिंग की समयसीमा पर प्रतिकूल प्रभाव की पहले ही चेतावनी दे दी थी। यह वह समय था जब कनाडा ने 62 राजनयिकों और उनके आश्रितों में से 43 को भारत से वापस लेने को कहा गया था। कम कर्मचारियों के कारण पड़ने वाला प्रभाव अब दिखने लगा है।
दोनों देशों में बढ़ा था तनाव
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई के शिक्षा सलाहकार विरल दोशी ने कहा, 'मुझे लगता है कि अध्ययन परमिट के लिए बदलाव का समय छह महीने तक बढ़ सकता है। हालांकि मेरे अनुभव के मुताबिक प्रोसेस होने वाले आवेदनों की संख्या में गिरावट हो सकती है। छात्र अभी भी कनाडाई अध्ययन परमिट के लिए आवेदन कर रहे हैं।' कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ना भारत पर आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था, जिसके बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था।