भोपाल : मोबाइल टावर के नाम पर लोगों को आर्थिक तौर पर चूना लगाने की समस्या सिर्फ भारत की नहीं है। अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया जैसे विकसित और ज्यादा शिक्षित देशों में भी ये गिरोह सक्रिय है। भारत में भी पिछले कई वर्षों से ये गिरोह सैकड़ों लोगों को अपने जाल में फंसा चुके हैअब जबकि देश की मोबाइल कंपनियां सालाना तकरीबन एक लाख मोबाइल टावर लगाने की योजना बना रही हैं तो इन गिरोहों के फिर से सक्रिय हो जाने के आसार है। इस संभावना को भांपते हुए मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों का संगठन सीओएआइ भी आम जनता को जागरुक करने का अभियान नए सिरे से शुरु कर रहा है। लेकिन लोगों को भी इस बारे में समझदार बनना होगापिछले एक महीने में देश के दो राज्यों में टावर फ्राड करने वाले दो गिरोहों का पर्दाफाश हुआ है।
सीओएआइ की तरफ से राष्ट्रीय स्तर पर शुरु किये गये नए जागरुकता अभियान में आम जनता को यह समझाया जा रहा है कि टावर लगाने का आपरेशन संगठित तौर पर किया जाता है और इसका ठेका छोटी मोटी कंपनियों को नहीं दिया जाता। सीओएआइ का कहना है कि जल्द ही 5जी की शुरुआत से सालाना तकरीबन एक लाख नए टावर और देश में लगाये जाने हैं, ऐसे में आम जनता को सतर्क रहना होगा।
सीओएआइ के महानिदेशक ले. जनरल डॉ. एस पी कोचर का कहना है कि, "दूरसंचार कंपनियां भारतीय ग्राहकों को बेहतरीन सेवा देने की कोशिश कर रही हैं। हम आम जनता को यह बताना चाहते हैं कि मोबाइल टावर या तो सीधे मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी देती है या फिर उसकी तरफ से नामित कोई ठेकेदार कंपनी करती है। इसलिए, इस तरह के किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने से पहले और मुख्य तौर पर किसी को पैसा देने से पहले उपभोक्ताओं को संबंधित वेबसाइट पर प्रामाणिकता की जांच करनी चाहिएआम जनता के सहयोग से ही हम इस फ्राड को रोक सकते हैं। टॉवर धोखाधड़ी को समाप्त करने की हमारी प्रतिबद्धता हमारे उपभोक्ताओं को सेवा की सर्वोत्तम गुणवत्ता प्रदान करने के हमारे संकल्प के रूप में निर्धारित की गई है। ग्राहकों को सेवाओं की बेहतर गुणवत्ता प्रदान करने और 99.99% समय पर हमारे नेटवर्क की विश्वसनीयता बनाए रखने के हमारे प्रयासों में, नए टावरों की स्थापना सबसे महत्वपूर्ण हैइस दुर्भावना को मिटाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए।"
दरअसल में जनसंख्या घनत्व ज्यादा होने और तेजी से मोबाइल सेवा विस्तार होने से यहां धोखाधडी करने वालों पर शक करना मुश्किल होता है। भारत में अभी 5.90 लाख मोबाइल टावर हैंपिछले वर्ष ही 66,690 टावर मोबाइल कंपनियों ने लगाये हैं। दरअसल, धोखाधड़ी करने वाले गिरोह लोगों को फोन करके आम जनता को टावर लगाने के कारोबार में निवेश करने का आफर देते हैंइस गिरोह के लोग काफी सुनियोजित तरीके से अपना काम करते हैं। कई बार यह देखा गया है कि स्थानीय स्तर के लोग भी इसमें शामिल होते हैं जिन्हें लोगों की जमीन वगैरह के बारे में पता होता हैउनकी तरफ से टावर लगाने का आफर दिया जाता है और इसके एवज में एडवांस मांगा जाता हैआन लाइन तरीके से पैसा किसी खास एकाउंट में ट्रांसफर करवाने के बाद गिरोह गायब हो जाता हैसीओएआइ का कहना है कि उनकी सदस्य कंपनियों से जो संगठन मिली है उससे लगता है कि सबसे ज्यादा टावर फ्राड उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु व महाराष्ट्र में हो रहा है। ये गिरोह बड़े बड़े समाचार पत्रों में विज्ञापन के जरिए भी लोगों को निशाना बनाते हैं
ट्राई और सीओएआई जमीन या इमारतों पर टॉवर लगाकर व्यापार के अवसरों का पता लगाने के लिए प्रामाणिक तरीकों से आम लोगों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है। DoT वेबसाइट प्रॉपर्टी मालिकों को अपने अनुरोध को प्रामाणिक तरीके से दर्ज करने के लिए भी निर्देशित करती है, एक राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन है जो अब जनता के लिए 14404 या 1800-11-4000 पर भारत में कहीं से भी कॉल करने के लिए उपलब्ध है