मुंबई :सच्ची स्वतंत्रता का आशय हमेशा आत्मनिर्भरता और आत्म-पर्याप्तता से रहा है। इस स्वतंत्रता दिवस पर एण्डटीवी के सितारे आसिफ शेख (भाबीजी घर पर हैं में विभूति मिश्रा), शुभांगी अत्रे (भाबीजी घर पर हैं में अंगूरी भाबी), योगेश त्रिपाठी (हप्पू की उलटन पलटन में हप्पू), सारिका बहरोलिया (गुड़िया हमारी सभी पे भारी में गुड़िया), करम राजपाल (गुड़िया हमारी सभी पे भारी में गुड्डू), तन्वी डोगरा (संतोषी माँ सुनाएं व्रत कथाएं में स्वाति) और सारा खान (संतोषी माँ सुनाएं व्रत कथाएं में देवी पॉलोमी) स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनने की अपनी यात्रा का उत्सव मना रहे हैं, जिसका तात्पर्य स्वतंत्र होने से है।
एण्डटीवी के भाबीजी घर पर हैं की अंगूरी भाबी, यानि शुभांगी अत्रे ने कहा, "स्वतंत्रता का मतलब उन कई चीजों से है, जिनकी हम अपने रूटीन में व्यस्त होने के दौरान अक्सर उपेक्षा कर देते हैं। स्वतंत्रता ऐसा पहलू है, जिसका हम सभी को शुक्रगुजार होना चाहिये, लेकिन यह भी सोचना चाहिये कि भीतर से स्वतंत्र अनुभव करने के लिये क्या जरूरी है। यह अनुभव तभी होता है, जब हम पेशेवर और व्यक्तिगत स्तर पर खुद काम करना शुरू करते है। मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे ऐसा परिवार मिला, जो घर के काम में मदद करता है और एक-दूसरे पर निर्भरता किसी के लिये बोझ नहीं होनी चाहिये । मुझे उम्मीद है कि इस स्वतंत्रता दिवस पर सभी अपने तरीके से आत्मनिर्भर बनेंगे और स्वतंत्रता का उत्सव उसके सही अर्थों में मनाएंगे।"
एण्डटीवी के गुड़िया हमारी सभी पे भारी की गुड़िया, यानि सारिका बहरोलिया ने कहा, "भारत को स्वतंत्रता 1947 में मिली थी, लेकिन मुझे 2020 में मिली है, क्योंकि स्वतंत्रता का सही अर्थ मुझे इसी साल समझ में आया है। आत्मनिर्भर बनना सीखने के लिये बहुत संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन आत्मनिर्भर बनने के बाद जिन्दगी खूबसूरत हो जाती हैमैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत के सबसे बड़े महानगरों में से एक मुंबई में खुद के दम पर रह सकूगी! लेकिन मैं यहाँ हूँ, हर दिन खुद के दम पर बिताती हूँ, अपना खाना बनाती हूँ, किराने का सामान खुद खरीदती हूँ, अपने घर को सजाती हूँ, आदिमेरे लिये स्वतंत्रता की इससे बेहतर परिभाषा नहीं हो सकती!"
एण्डटीवी के संतोषी माँ सुनाएं व्रत कथाएं की देवी पॉलोमी, यानि सारा खान ने कहा, "स्वतंत्रता की मेरी यात्रा तब शुरू हुई, जब मैंने 2007 में मिस भोपाल का खिताब जीता। हालांकि वह शुरूआत भर थी और मुझे कई बाधाओं का सामना करना था। स्वतंत्रता की यात्रा में कई चुनौतियाँ आती हैं। लेकिन एक के बाद एक उन्हें जीतने के बाद आप बेरोक हो जाते हो और फिर सच में स्वतंत्र भीमुंबई ने मुझे स्वतंत्र होना सिखाया। इस शहर और इसके लोगों के प्रति मेरा आभार! सभी मुंबईकरों और मेरे भोपाल के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं!"