श्रीलंका में महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद हिंसक झड़पे, पीएम का घर फूंका, 5 की मौत, सांसद की हत्या

Updated on 10-05-2022 09:01 PM

कोलंबो श्रीलंका में बिगड़ी आर्थिक स्थिति के कारण से गृहयुद्ध की हालात उत्पन्न हो गए है। सोमवार को विपक्ष के दबाव में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद जगह-जगह हिंसक घटनाएं हो रही हैं। राजपक्षे परिवार के समर्थकों और विरोधियों के बीच सड़कों पर खूनी संघर्ष हो रहा है। सरकार समर्थक-विरोधियों की हिंसा में सांसद समेत अब तक 5 लोगों की मौत हो गई है।

 पुलिस ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके परिवार का साथ दिया है। इसके बाद तो हालात और बदतर हो गए। सेना बुलानी पड़ी। आम लोगों ने सत्ताधारी पार्टी के सांसदों और मंत्रियों के अलावा दूसरे नेताओं पर हमले शुरू कर दिए। एक सांसद ने भीड़ से बचने के लिए कथित तौर पर खुदकुशी कर ली, जबकि दो मंत्रियों के घर आग जला दिए गए। सत्ताधारी दल के सांसद अमरकीर्ति अथुकोराला ने सोमवार को पहले सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई और फिर खुद को गोली मार ली। यह हादसा कोलंबो के बाहरी इलाके में हुआ।

समाचार के मुताबिक पुलिस ने बताया कि अमरकीर्ति ने निट्टामबुआ में उनकी कार को रोकने की कोशिश कर रहे दो लोगों पर गोली चला दी। गोली लगने में एक शख्स की मौत हो गई। इसके बाद लोगों के गुस्से से बचने के लिए सांसद ने नजदीक ही एक बिल्डिंग में छिपने की कोशिश की। लेकिन नाराज लोगों ने पूरी बिल्डिंग घेर ली। लोगों से घिरा देख सांसद ने खुद को गोली मार ली, जिससे उनकी मौत हो गई।

पहले कोलंबो में हिंसक झड़पों और अशांति के बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति और अपने छोटे भाई गोटाबाया राजपक्षे को सौंपा। राजपक्षे समर्थकों और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प के बाद महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा सौंपा है। हिंसा में अब तक 5 लोगों की मौत हो गई है और 150 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। हिंसा तब शुरू हुई जब सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया, जिन्होंने लगभग एक महीने से सरकार से इस्तीफा देने की मांग करते हुए राष्ट्रपति कार्यालय और प्रधानमंत्री के आवास के प्रवेश द्वार पर कब्जा कर रखा था।

राजपक्षे के समर्थकों ने सुबह महिंदा राजपक्षे से मुलाकात की और उनसे पद छोड़ने का आग्रह किया। बाद में उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया जो पहले पीएम के घर के सामने थे। उन्होंने पास में ही बनी झोपड़ियों (हट्स) को भी जला दिया। बाद में, उन्होंने राष्ट्रपति भवन के पास मुख्य सरकार विरोधी प्रदर्शन स्थल तक मार्च किया और वहां भी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया। घटनास्थल का दौरा करने वाले मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा पर भी राजपक्षे समर्थकों ने हमला किया था।

 हालांकि जब हमलावर बसों में सवार होकर वापस जा रहे थे, तो विभिन्न स्थानों पर लोगों ने उन पर हमला कर दिया। चूंकि हिंसा जारी थी, इसलिए पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया। महीनों से सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगइसके तुरंत बाद, श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत जूली जे। चुंग ने एक ट्वीट में कोलंबो में हुई हिंसा की निंदा की। राजदूत ने कहा, हम आज शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की निंदा करते हैं और सरकार से हिंसा भड़काने वाले किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी और मुकदमा चलाने सहित पूरी जांच करने का आह्वान करते हैं। हमारी सहानुभूति घायल लोगों के साथ है और हम पूरे द्वीप में शांति और संयम का आग्रह करते हैं। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और पीएम महिंदा राजपक्षे ने भी बाद में ट्वीट कर हिंसा की निंदा की। हमले की निंदा करते हुए सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मंगलवार को काम से दूरी बनाए रखेंगे।

देश में भोजन, दवा, ईंधन और रसोई गैस सहित कई आवश्यक चीजों की भारी कमी के साथ, लोग महीनों से सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को निजी और सरकारी दोनों ट्रेड यूनियनों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री राजपक्षे दोनों के इस्तीफे की मांग करते हुए एक बड़ी हड़ताल शुरू की थी। ट्रेड यूनियनों ने बुधवार से पहले सरकार को इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दिया था। इस बीच मुख्य विपक्ष ने राष्ट्रपति और पीएम को हटाने के लिए दो अविश्वास प्रस्ताव दायर किए हैं।

ये झड़प तब शुरू हुई, जब सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों ने गॉल फेस में प्रदर्शन कर रहे लोगों के तंबुओं को उखाड़ना शुरू कर दिया। सरकार समर्थकों की ओर प्रदर्शनकारियों पर हमले के बाद जवाबी हिंसा शुरू हो गई। कोलंबो में इस झड़प के दौरान 138 लोग घायल हो गए। इन्हें कोलंबो नेशनल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे प्रमुख शहरों में सेना तैनात कर सकते हैं। श्रीलंका 1948 में अपनी आजादी के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इसे देखते हुए बांग्लादेश ने करेंसी स्वैप के माध्यम से दिए गए 20 करोड़ डॉलर के लोन को चुकाने की अवधि एक साल के लिए बढ़ा दी है। श्रीलंका को लोन 3 महीने में चुकाना था, लेकिन फिर श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट में फंस गया। इसके बाद बांग्लादेश ने लोन चुकाने की अवधि बढ़ा दी है।


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