टोक्यो: जापान के नए प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने एशिया में नाटो जैसा एक सैन्य गुट बनाने की मांग की थी। इस गुट की चर्चा के बाद माना जा रहा था कि चीन को घेरने की शुरुआत होगी। लेकिन अब इसे लेकर भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि जापानी पीएम की ओर से 'एशियाई नाटो' के दृष्टिकोण से भारत सहमत नहीं है। कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जापान के विपरीत भारत कभी भी किसी अन्य देश का संधि सहयोगी नहीं रहा है।
जापानी पीएम के बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हमारे दिमाग में उस तरह की रणनीतिक योजना नहीं है।' डॉ. जयशंकर का यह बयान तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब जापान और भारत क्वाड का हिस्सा हैं। उन्होंने आगे कहा, 'हमारा एक अलग इतिहास और चीजों को देखने का एक अलग नजरिया है।' डॉ. जयशंकर ने पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण दिया था।
क्या बोले थे जापानी पीएम
मंगलवार को इशिबा ने कहा कि उनका देश दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे गंभीर सुरक्षा खतरों का सामना कर रहा है। इससे निपटने के लिए वह मित्र देशों के साथ गहरे संबंधों की तलाश करेंगे। उन्होंने एशियाई नाटो को बनाने से लेकर, जापानी सैनिकों की अमेरिका में तैनाती और चीन, रूस और उत्तर कोरिया से बचने के लिए अमेरिका के परमाणु हथियारों पर साझा नियंत्रण का आह्वान किया।
अकेला पड़ा जापान
अमेरिका पहले ही एशियाई नाटो के विचार को खारिज कर चुका है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेल सुलिवन ने पिछले साल कहा था कि अमेरिका इंडो-पैसिफिक में नाटो बनाने पर विचार नहीं कर रहा है। इस महीने पूर्वी एशिया और प्रशांत के लिए अमेरिकी सहायक सचिव डैनियल क्रिटेनब्रिंक ने कहा कि ऐसी बात करना बहुत जल्दी होगी। इशिबा ने शुक्रवार को अपना विचार दोहराते हुए कहा कि अमेरिका की ताकत में गिरावट ने एशियायी संधि को जरूरी बना दिया है।