Paris Olympic 2024: सच यह है कि टेबल टेनिस में हमारे पास गंवाने के लिए कुछ नहीं है और यही बात टीम के पक्ष में जा सकती है। भारतीय टीम ने मिक्स्ड इवेंट को छोड़कर बाकी सभी पांच इवेंट में क्वॉलिफाई किया है और इसमें सबसे बड़ी उम्मीद विमिंस टीम से है।
नई दिल्ली:ओलिंपिक का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। भारत के सपोर्ट में हम रोजाना आपको इन खेलों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें पदक की आस है। इसी कड़ी में आज बात टेबल टेनिस की। द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच और पूर्व खिलाड़ी संदीप गुप्ता नवभारत टाइम्स के ऑफिस पहुंचे और टेबल टेनिस में भारत की उम्मीदों पर बात की। वैसे तो टेबल टेनिस में मेंस और विमिंस की वर्ल्ड रैंकिंग्स के टॉप-5 में अमूमन चीनी खिलाड़ियों का ही नाम नजर आता है। उस खेल में ओलिंपिक गोल्ड की उम्मीद करने का लॉजिक नहीं बनता है। हालांकि, हमारी लड़कियों ने पिछले कुछ समय में जो खेल दिखाया है उसकी वजह से पेरिस ओलिंपिक में ही भारत की झोली में टेबल टेनिस का पहला मेडल आने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
भारतीय वीमेंस टीम से उम्मीद
भारतीय महिला टीम में मनिका बत्रा, श्रीजा अकुला और अर्चना कामथ कमाल की प्लेयर हैं। पिछले साल वर्ल्ड टीम चैंपियनशिप में श्रीजा ने जिस तरह से चीन की वर्ल्ड नंबर-2 प्लेयर वांग यिदी को हराकर बड़ा उलटफेर किया था उसके बाद से यह सिर्फ अब कहने वाली बात नहीं रह गई है कि भारतीय लड़कियां अपना दिन होने पर किसी को भी परास्त कर सकती हैं।फोकस है मनिका की खूबी
तीसरी बार ओलिंपिक में भाग लेने जा रही मनिका इस देश में जाना-पहचाना नाम हैं और इस वजह से उनसे उम्मीदें भी ज्यादा होती हैं। मनिका की सबसे खास बात यह है कि उनका फोकस कमाल का है। उम्मीदों का दबाव वह नहीं लेतीं और टीम इवेंट में उनका अनुभव साथी प्लेयर्स के बहुत काम आने वाला है। हम चीनी दबदबे में सेंध लगाने की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वर्ल्ड टीम चैंपियनशिप में वह इकलौती भारतीय टीम ही थी जिसके खिलाफ चीनी टीम ने पांच में से दो गेम गंवाए थे, वरना उसने अपने सभी मैच 3-0 के अंतर से जीते थे। चीन अगर रास्ते में नहीं पड़ा तो हम क्वॉर्टर और सेमीफाइनल तक का भी सफर कर सकते हैं।
शरत का होना सुखद अहसासमेंस टीम में शरत कमल की मौजूदगी अन्य प्लेयर्स के लिए सुखद अहसास है। शरत का अपार अनुभव और साथी प्लेयर्स के साथ उनकी बॉन्डिंग शानदार है। वह मेंस टीम में टॉप रैंकिंग्स वाले प्लेयर हैं और उनके मार्गदर्शन में साथी खिलाड़ी सिंगल्स में शुरुआती एक दो बाधा पार कर सकते हैं। मेंस सिंगल्स में यदि हमारे प्लेयर क्वॉर्टर फाइनल तक का सफर तय कर पाते हैं तो वह भी भारतीय टेनिस के लिए एक सकारात्मक बात होगी।