भोपाल : मशहूर क्रिकेटर विराट कोहली की तरह मध्यप्रदेश के एक छोटे-से गांव खेड़ा में भी एक विराट है, जो अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिभा के दम पर दिलों को जीत रहा है
5वी कक्षा में पढ़ने वाले 10-वर्षीय विराट पांडे ने एक शानदार उपलब्धि हासिल की है: उसने भारत की सबसे बड़ी इंग्लिश प्रतियोगिता की राज्य-स्तरीय वर्ड पावर चैम्पियनशिप जीती है। यह प्रतियोगिता केवल क्षेत्रीय भाषाओं के स्कूली विद्यार्थियों के लिये आयोजित होती है। इस प्रतियोगिता में न केवल विराट की स्पेलिंग में योग्यता को परखा गया, बल्कि उसकी लगन भी देखी गई। विराट चैंपियन बनकर उभरा।
साधारण पृष्ठभूमि के बावजूद विराट की हालिया उपलब्धि सफल होने के लिये उसका जुनून और प्रतिबद्धता साबित करती है। राज्य-स्तरीय राउंड में सफल होने के बारे में विराट ने कहा, ‘‘वह एक बेहतरीन अनुभव था। जब मेरा नाम विजेता के तौर पर घोषित हुआ, तब मैं और मेरे माता-पिता खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। इस सफर में अपनी पूरी मेहनत और समर्पण का हमें यह परिणाम मिला।’’
पिछले साल, विराट मुंबई में डब्ल्यूपीसी फाइनल्स में पहुँचा था, एक दर्शक के रूप में। हालांकि उस अनुभव ने उसे इस बार प्रतियोगी बनकर भाग लेने की प्रेरणा दी। उसके पास जीत का सपना था और उसकी लगन प्रेरक थी। अपना सपना पूरा होने पर आँखें मटकाते हुए, विराट ने कहा, ‘‘मुंबई में एक दर्शक के तौर पर वह इवेंट देखने के बाद इस साल के लिये मेरा सपना था उसमें भाग लेना और जीतना।’’
प्रतियोगिता की तैयारी में आई चुनौतियों पर बात करते हुए, विराट ने कहा, ‘‘मीनिंग राउंड में मेरे सामने कुछ चुनौतियां आईं और ‘irrespective’जैसे शब्दों की स्पेलिंग में मुश्किल आई।’’
डब्ल्यूपीसी फाइनल्स तक विराट का सफर आसान नहीं रहा, क्योंकि एक गांव में चैम्पियनशिप के लिये सही मटेरियल खोजना चुनौती था। लेकिन विराट को निहार शांति पाठशाला फनवाला प्रोग्राम से मदद मिली। अपने बेटे को अंग्रेजी में कुशल बनाने का सपना लेकर चले विराट के पिता श्री साकेत पांडे को एक परिचित से इस प्रोग्राम के बारे में पता चला था।
अपने अभिनव तरीके और सुलभ संसाधनों से इस प्रोग्राम ने अंग्रेजी में विराट की समझ को बेहतर बनाया और उसमें सीखने का जुनून भी जगाया। आईएएस ऑफिसर बनने का सपना देख रहे विराट ने बताया, ‘‘उस मटेरियल ने भाषा को सीखने में मेरी काफी मदद की। मुझे पढ़ने में ज्यादा मजा आने लगा, क्योंकि उसे समझना आसान था और सीखने का तरीका मजेदार था। इस प्रोग्राम की वजह से मैं अपने पिता द्वारा बाजार से लाये जाने वाले अखबार और कहानियों की किताबें भी पढ़ लेता हूँ।’’
विराट की लगन का उसके दोस्तों पर भी असर हुआ है। उसके दो दोस्तों ने इसी प्रोग्राम के जरिये अंग्रेजी को गंभीरता से सीखना शुरू कर दिया है। विराट के पिताश्री साकेत पांडे पेशे से एक सरकारी कर्मचारी हैं। उन्हें हमेशा से अंग्रेजी में रुचि रही है और फिर यह रुचि उनके बेटे में जागी। विराट की छोटी बहन जो महज 3 साल की है, उसे भी विराट ने प्रेरित किया है। वह कहती है कि उसे विराट से ज्यादा इनाम जीतने हैं!
विराट जैसे बच्चों के सपने पूरे करने में उनकी मदद करने के लिये निहार नैचुरल्स शांति आंवला हेयर ऑयल ने लीपफॉरवर्ड जैसे एक गैर-लाभकारी संगठन के साथ भागीदारी की है। यह ग्रामीण भारत में साक्षरता को बढ़ावा देता है। उनका संयुक्त कार्यक्रम निहार शांति पाठशाला फनवाला क्षेत्रीय स्कूलों में विद्यार्थियों को व्हाट्सऐप और यूट्यूब के माध्यम से मातृभाषा में अंग्रेजी सिखाता है। ऐसे में अंग्रेजी कई बच्चों के लिये सुलभ हो जाती है। 2023 से अब तक मध्यप्रदेश में इस कार्यक्रम से 6 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को फायदा हुआ है। विराट की कहानी दिखाती है कि लगन और सही सहयोग के दम पर हर कोई अपने सपने पूरे कर सकता है। इससे कोई मतलब नहीं है कि वह कहाँ से आता है।