पत्नी है पोस्ट ग्रेजुएट
अदालत ने बताया कि पत्नी के पास कॉमर्स में मास्टर डिग्री है। इसके साथ-साथ शिपिंग और ट्रेडिंग में भी डिप्लोमा है। न्यायमूर्ति सिंह ने गुजारा भत्ता बढ़ाने की उसकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह माना जा सकता है कि वह किसी भी काम या व्यवसाय में खुद को शामिल करके आसानी से अच्छी आय अर्जित कर सकती है।
महिला को काम करने से नहीं रोका जा सकता: HC
न्यायाधीश ने कहा कि एक विवाहित महिला को नौकरी करने से नहीं रोका जा सकता है। साथ ही एक विवाहित महिला जो अलग रह रही है और अपने पति से गुजारा भत्ता भी प्राप्त कर रही है, उसे खुद को नौकरी करने और अपनी आजीविका के लिए कुछ आय अर्जित करने से नही रोका जा सकता है। महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि शादी के बाद वह अपने पति और ससुराल वालों के साथ पुणे, अबू धाबी और दुबई में रही। उसने अपने पति पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया, जिसके कारण 2006 में उसका गर्भपात हो गया। उसने दावा किया कि उसके पति ने उसे दुबई ले जाने से इनकार कर दिया और यहां तक कि उसे दुबई जाने पर जान से मारने की धमकी भी दी।
दुबई के बैंक में वाइस प्रेसिडेंट है पति
इसके बाद वह अपने मायके में रहने लगी। उसने दावा किया कि उसका पति दुबई स्थित एक बैंक शाखा में वाइस प्रेसिडेंट के रूप में काम करता था, जहां उसे प्रति माह 13,333 दिरहम मिलते थे। इसके अलावा उसे 50,000 रुपये की अतिरिक्त आय भी होती थी। उसने धारा 125 सीआरपीसी के तहत एक आवेदन दायर कर 60,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा।
पति की दलील
पति ने इस मामला मे कहा कि इंदौर में उसकी पत्नी कोचिंग सेंटर और ब्यूटी पार्लर चलाकर 50,000 रुपये कमा रही थी। पति ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि उसकी पत्नी बिना किसी पर्याप्त कारण के अलग रह रही है। पत्नी दुबई में एक बैंक में भी कार्यरत थी और प्रति माह AED 3500 (75,000 रुपये) कमाती थी। पति ने गुजारा भत्ता में संशोधन की मांग करते हुए याचिका में कहा कि उसके पास अपने माता-पिता की जिम्मेदारी है, जिनकी उम्र करीब 80 साल है।