आमिर खान इन दिनों अपनी अगली फिल्म ‘लापता लेडीज’ के प्रमोशन में बिजी हैं। इस फिल्म को उनकी सेकेंड एक्स वाइफ किरण राव ने डायरेक्ट किया है। वहीं, आमिर जो आमतौर पर किसी भी फिल्म पर आसानी से ऑन बोर्ड नहीं आते इस फिल्म के प्रोड्यूसर हैं।
‘लापता लेडीज’ में ऐसा क्या देखा जो इसे प्रोड्यूस करने का फैसला किया?
किरण ने पहले 2010 में एक फिल्म बनाई थी ‘धोबी घाट’। उसके बाद वो बेटे आजाद की परवरिश में बिजी हो गईं और उनका पूरा मेंटल स्टेट दूसरी तरफ चला गया। दो साल पहले उन्होंने फिर काम करना शुरू किया और वो एक अच्छी कहानी ढूंढ़ रही थीं। इसी दौरान उन्होंने कई कहानियों पर काम किया और मुझे उनकी वो सारी कहानियां पसंद हैं। वो बहुत अच्छी राइटर हैं। कई बार हमने दो-तीन कहानियों पर बैठकर साथ काम किया पर वो कहानियां कहीं फिट नहीं बैठ रही थीं।
फिर एक स्क्रिप्ट राइटिंग कॉम्पिटिशन में जब मैं जज बना तो मुझे एक स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई। फिर मुझे एक-दो साल लगे इस फिल्म के राइट्स लेने में और मैंने किरण जी को बताया कि मेरे पास एक कहानी है आपके लिए... फिर जब उन्होंने वो पढ़ी तो वहां से इस पर काम शुरू हुआ।
रहा सवाल मेरे इससे बतौर प्रोड्यूसर जुड़ने का तो इस फिल्म की कहानी मुझे बहुत एंटरटेनिंग लगी और जब मैंने यह स्क्रिप्ट पढ़ी तो मैं बहुत हंस रहा था। इसकी सिचुएशन भी बड़ी फनी है कि कोई आदमी शादी करके आया है और उसकी वाइफ ही चेंज हो गई। चूंकि यह बहुत ही ह्यूमन स्टोरी भी है और यह बताती है कि एक महिला अपनी लाइफ में किस दौर से गुजरती है। तो मुझे तो यह कहानी पसंद आई और मैं खुश हूं कि किरण ने यह फिल्म बनाई। मेरे ख्याल से यह आमिर खान प्रोडक्शंस की अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है।
फिल्म में रवि किशन जो रोल कर रहे हैं आपने भी उसके लिए ऑडिशन दिया था। क्या आपको कभी फील हुआ कि सुपरस्टार के चलते बड़े कलाकारों को अच्छे रोल नहीं मिल पाते ?
ये तो बड़ा मुश्किल सवाल पूछ लिया आपने। अगर मैं इस तरह सोचने लगा तो एक्टिंग बंद करनी पड़ेगी। बाकी इतना कहूंगा कि मैंने सिर्फ इस रोल के लिए ट्राय किया था.. मेरा इसमें कास्ट करना या नहीं कुछ कन्फर्म नहीं था। एक्चुअली, मुझे हमेशा लगता है कि फिल्म हमेशा कलाकारों से बड़ी होती है तो मैं उससे अन्याय नहीं कर पाता। अगर मुझे लगा कि रवि जी मुझसे बेहतर हैं तो मैं उनको ही वो रोल करने दूंगा। मैं फिल्म के साथ बेइमानी नहीं कर पाता। वो मेरा फर्स्ट इंस्टिंक्ट होता है.. मेरे लिए मेरी फिल्म मेरा बच्चा है.. तो अगर मैं फिल्म के लिए गलत हूं तो मैं अपने आप को उस फिल्म से हटा देता हूं
पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को कैसे बैलेंस करते हैं?
मैं तो बैलेंस कर ही नहीं पाता। मेरी लाइफ पूरी तरह इम्बैलेंस्ड रही है। आप लोग मुझे मिस्टर परफेक्शनिस्ट बोलते हैं और मेरे घर पर सब हंसते हैं कि लोग आमिर को परफेक्शनिस्ट बोलते हैं। आप कभी मेरे घर पर आइए तो आपको पता चलेगा कि मैं कितना परफेक्शनिस्ट हूं। मैं किसी भी एंगल से परफेक्शनिस्ट नहीं हूं। मैं टोटल पागल आदमी हूं जो अपनी धुन में रहता है.. एब्सेंट माइंडेड रहता हूं।
मैं बहुत ही एक्स्ट्रीम लेवल का पर्सन हूं.. जो कर रहा हूं बस वो ही कर रहा हूं और कुछ नहीं तो इस चक्कर में बैलेंस कभी मेरी लाइफ में रहा ही नहीं। हालांकि, अब इंडस्ट्री में 35 साल गुजारने के बाद मुझे लगता है कि मुझे बैलेंस्ड रहना चाहिए था, क्योंकि अपने काम के चक्कर में अपने बच्चों को टाइम ही नहीं दे पाया। मैं अपनी कहानियों और किरदारों में इतना खोया रहता था कि आज मुझे उस बात का अफसोस होता है। अब लगता है कि बच्चों को ज्यादा वक्त देना चाहिए था। फिर दो-तीन साल पहले मुझे जब इस बात का एहसास हुआ तो मैं घर पर ज्यादा वक्त देने लगा।
तो इस बात की आज एक गिल्ट भी है मेरे अंदर कि जब आयरा छोटी थी, 4 साल की थी और जुनैद 7 साल का था तो उनके क्या सपने थे? उम्मीदें क्या थीं? डर क्या था? वो मुझे कभी पता ही नहीं चला, क्योंकि मैं उनसे जुड़ा ही नहीं था। उससे ज्यादा मुझे यह पता होता था कि मेरे डायरेक्टर के मन में क्या है? आज जब मैं सोचता हूं तो एहसास हाेता है कि मैंने अपने बच्चों का बचपन खो दिया। तो लोगों से आज यही कहूंगा कि बचपन नहीं खोना चाहिए.. वो दोबारा नहीं आता.. ना आपका और ना ही आपके बच्चों का।
शाहरुख ने ‘जवान’ में 56 की एज में एक्शन किया है। क्या आपकी इच्छा है फिर से एक्शन करने की?
मैंने अभी तक ‘जवान’ देखी नहीं है, पर सुना है कि यह बहुत कामयाब हुई है। हां, अगर कोई एक्शन स्टोरी पसंद आएगी तो जरूर करूंगा। मैंने इससे पहले गजनी समेत कई फिल्मों में एक्शन किया है, पर मुझे एक्शन करने में तब तक मजा नहीं आता जब तक उसके साथ स्ट्रॉन्ग कहानी और इमोशंस ना जुड़े हों।
सिर्फ एक्शन से मुझे एक्साइटमेंट नहीं होता है। मैं अकेला 10-12 लोगों काे मार रहा हूं तो मुझे उससे एक्साइटमेंट नहीं होता। हालांकि, मैंने भी बतौर ऑडियंस ऐसी फिल्में देखी हैं अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर की और जैकी चैन की।
पर या तो उसमें खास किस्म का ह्यूमर हो या फिर स्ट्रॉन्ग इमोशन हो तब मुझे मजा आता है। वर्ना मेरा झुकाव कुछ अनएक्सपेक्टेड करने पर रहता है। मैं हमेशा अपने आप को और अपनी ऑडियंस काे भी सरप्राइज करना पसंद करता हूं और इसलिए मैं एक जॉनर में अटकना नहीं चाहता।
बतौर एक्टर अगली फिल्म कौन सी है?
मैं अभी एक फिल्म कर रहा हूं जिसका नाम है ‘सितारे जमीं पर’ और यह फिल्म एक बहुत ही खूबसूरत कहानी है। नाम से ही आपको पता चल रहा है कि जैसे ‘तारे जमीं पर’ थी.. इसका जॉनर भी वैसा ही है। पर ‘तारे जमीं पर’ आपको रुलाती थी और ‘सितारे जमीं पर’ आपको हंसाएगी। इस फिल्म में एक्ट कर रहा हूं।
इसके अलावा ‘लापता लेडीज’ जो 1 मार्च को रिलीज हो रही है। ‘सितारे जमीं पर’ की एक हफ्ते शूटिंग कर चुका हूं। ‘लाहौर 1947’ को भी प्रोड्यूस कर रहा हूं। उसमें मैं एक्टिंग नहीं कर रहा हूं। उसमें सनी देओल हैं, शबाना आजमी जी हैं और बाकी कास्ट हम फाइनल कर रहे हैं। इसे राजकुमार संतोषी जी डायरेक्ट करेंगे।
इसके अलावा एक और फिल्म प्रोड्यूस कर रहा हूं.. उसका नाम है ‘एक दिन’.. इसमें मेरे बेटे जुनैद हैं और उनके अपोजिट साई पल्लवी हैं। इसकी शूटिंग अभी जापान में चल रही है। मैं इस वक्त दो-तीन फिल्में प्रोड्यूस कर रहा हूं, ताकि और भी यंगस्टर्स और न्यू कमर्स को इंडस्ट्री में मौका मिले। बाकी बतौर एक्टर मैं एक टाइम पर एक ही फिल्म करता हूं।