विंदू दारा सिंह ने हाल ही में प्रभास और कृति सेनन स्टारर फिल्म 'आदिपुरुष' के बारे में बात की। उन्होंने इस फिल्म को मेकर्स की गलती बताई।
विंदू दारा सिंह ने फिल्म को लेकर अपनी राय साझा की
एक इंटरव्यू के दौरान विंदू दारा सिंह ने बताया कि डायरेक्टर ओम राऊत और राइटर मनोज मुंतशिर से फिल्म के डायलॉग पर सवाल किए गए थे। उन दोनों से पूछताछ हुई थी। 'आदिपुरुष' को 'बहुत बड़ी गलती' बताते हुए विंदू ने अपनी राय जाहिर की। उन्होंने कहा प्रतिभाशाली डायरेक्टर और मेकर्स से ऐसी बड़ी गलती देखना आश्चर्यजनक था। यदि उनका इरादा युवा पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंपने का था, तो उन्हें कम से कम सही तरीके से चित्रण करना चाहिए था।
'आदिपुरुष' फिल्म की जमकर आलोचना की
उन्होंने कहा- ये वाकई चौंकाने वाली चीज थी, कि इतने प्रतिभाशाली डायरेक्टर और मेकर्स इस तरह की गलती कैसे कर सकते हैं। अगर वे इसका बोझ बच्चों पर डालना चाहते थे, तो उन्हें कम से कम सही चीजें दिखानी चाहिए थीं। फिल्म बेकार थी, बहुत बड़ी गलती थी। मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी।
फिल्म से जुड़े एक्टर्स ने भी डायलॉग में बदलाव करने को कहा था
ओम राउत द्वारा लंका को सोने से बने होने के वर्णन के बजाय काले रंग के रूप में चित्रित करने का जिक्र करते हुए, विंदू ने साझा किया कि फिल्म में शामिल एक्टर्स ने वास्तव में डायरेक्टर और राइटर से संवादों को संशोधित करने का अनुरोध किया था। क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि वे गलत थे। हालांकि, फिल्म निर्माताओं ने बदलाव नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि उनका मानना था कि वे कुछ असाधारण बना रहे थे।
'आदिपुरुष' ने लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी
फिल्म 'आदिपुरुष' में भगवान राम, देवी सीता और भगवान हनुमान जैसे धार्मिक पात्रों का शर्मनाक चित्रण करके इसके मेकर्स ने बड़े पैमाने पर लोगों की भावनाओं को आहत किया था। मेकर्स के खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था। जहां कोर्ट ने कहा था- हमारे लिए, यह फिल्म पहली नजर से ही इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 19 के तहत निर्धारित किए गए टेस्ट में ही क्वालिफाई नहीं होती है… न केवल फिल्म के डायलॉग घटिया भाषा के हैं, बल्कि देवी सीता को चित्रित करने वाले फिल्म के कई सीन भी उनके चरित्र के लिए अपमानजनक हैं। विभीषण की पत्नी का चित्रण करने वाले कुछ सीन भी पहली नजर से ही आपत्तिजनक हैं। यहां तक कि रावण, उसकी लंका आदि का पिक्चराइजेशन भी कितना फनी और चीप है।
कोर्ट- मेकर्स ने लोगों के इमोशंस का भी ख्याल नहीं रखा
कोर्ट ने आगे कहा- ऐसी फिल्म बनाते समय, फिल्म मेकर्स और डायलॉग राइटर ने बड़े पैमाने पर किरदारों और संवादों को शर्मनाक व अश्लील तरीके से पेश करते हुए पब्लिक के इमोशंस और फीलिंग्स का ख्याल नहीं रखा है, वो भी यह जानते हुए कि ये किरदार पूजनीय हैं।
सेंसर बोर्ड ने पूरी नहीं की लीगल ड्यूटी
इसके साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि सेंसर बोर्ड सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के सेक्शन 5-बी के तहत जारी गाइडलाइन्स को फॉलो किए बिना फिल्म रिलीज करने के लिए सर्टिफिकेट जारी करते समय अपनी लीगल ड्यूटी पूरी करने में असफल रहा।
कोर्ट ने ये टिप्पणियां उन दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की थीं, जिसमें फिल्म 'आदिपुरुष' से आपत्तिजनक संवादों और दृश्यों को हटाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।