इंदौर । हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम रहे कमल नाथ (Kamal Nath) का नाम चर्चा में है। कमल नाथ की तुलना हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष और दो बार सीएम रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा से की जा रही है।
दरअसल, मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव और इस बार के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति लगभग एक जैसी थी। मध्य प्रदेश में पार्टी ने कमल नाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, तो हरियाणा में पार्टी ने हुड्डा को फ्री हैंड दिया था।
- मध्य प्रदेश का चुनाव कमल नाथ के नेतृत्व में लड़ा गया था, वहीं हरियाणा में हुड्डा ही सर्वेसर्वा थे। टिकट वितरण में भी दोनों नेताओं का ही फैसला अंतिम माना गया।
- दोनों नेता अपनी-अपनी पार्टी की जीत और सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त थे। इसका सबसे बड़ा कारण था एंटी-इनकंबेंसी का फैक्टर। अन्य मुद्दे भी हावी थे।
- मध्य प्रदेश में जहां 15 साल से शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी। वहीं हरियाणा में 10 साल के भाजपा राज में अधिकांश समय मनोहर लाल सीएम रहे।
- दोनों राज्यों में मुद्दे एक जैसे थे। एंटी-इनकंबेंसी के अलावा कांग्रेस ने बेरोजगारी, किसानों की स्थिति और महिलाओं के खिलाफ अपराध को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा।
- हरियाणा में जहां हुड्डा ने अन्य नेताओं को दरकिनार किया। इससे कुमारी सैलजा नाराज रहीं। एमपी में भी दिग्विजय ने खुद को अलग-थलग पाया।
- हरियाणा में हुड्डा के कारण आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हुई। एमपी में भी कमल नाथ ने समाजवादी पार्टी को एक भी सीट देने से इनकार कर दिया था।
मध्य प्रदेश और हरियाणा के नतीजों में समानता
हरियाणा की तरह मध्य प्रदेश में कांग्रेस की जीत पक्की मानी जा रही थी। परिणाम आया तो पार्टी हैरान रह गई। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में भाजपा ने 163 सीट जीत ली और कांग्रेस को सिर्फ 66 सीट से संतोष करना पड़ा।
हरियाणा का परिणाम भी ऐसा ही है। मध्य प्रदेश में हार के बाद कमल नाथ पर गाज गिरी थी। सवाल है कि क्या कांग्रेस नेतृत्व हुड्डा के खिलाफ भी एक्शन लेगा?