नई दिल्ली: एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए ने बताया कि देश में फ्लाइटों की लैंडिंग में अस्थिरता और भारतीय एयरस्पेस में दो फ्लाइटों के बीच तय सीमा से अधिक नजदीक आ जाने जिसे एयरप्रॉक्स कहा जाता है। इनमें खासी कमी आई है। डीजीसीए ने बताया कि हर 10 हजार उड़ानों में लैंडिंग के समय अस्थिर अप्रोच का अनुपात लगातार कम हो रहा है, जो कि भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए एक अच्छी खबर है।डीजीसीए ने समीक्षा रिपोर्ट में दी जानकारी
डीजीसीए ने अपनी वार्षिक सुरक्षा समीक्षा रिपोर्ट की जानकारी देते हुए यह जानकारी दी। रेगुलेटर ने बताया कि प्रति 10 हजार उड़ानों में लैंडिंग के समय अस्थिर अप्रोच का अनुपात लगातार घटता जा रहा है। देश के एविएशन सेक्टर के लिए यह अच्छी बात है। पिछले साल इसमें करीब 23 फीसदी की कमी आई है। लैंडिंग अप्रोच से मतलब फ्लाइट का वह चरण होता है। जब चालक दल फ्लाइट को पांच हजार फुट की उंचाई से लैंड कराने की प्रक्रिया शुरू करता है। इसमें फ्लाइट के रनवे तक सावधानी पूर्वक टच करने के साथ ही यह चरण खत्म होता है। जिसे सेफ लैंडिंग भी कहा जाता है।
लैंडिंग के समय जोखिम हुआ कमडीजीसीए ने बताया कि लैंडिंग के समय अस्थिर अप्रोच घटने से एयरक्राफ्ट के रनवे से फिसलने और रनवे पर असामान्य रूप से संपर्क का जोखिम कम हो जाता है। इसी तरह से भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रति 10 लाख उड़ानों में जोखिम वाले एयरप्रॉक्स के मामले 25 फीसदी कम हुए हैं। इसके अलावा प्रति 10 हजार उड़ानों पर जमीन के करीब होने को लेकर जारी होने वाली चेतावनी में भी 92 फीसदी की कमी आई है। जिससे फ्लाइट और सुरक्षित हुई हैं।