कोण्डागांव। वन अधिकार पत्र के तहत मिले वनभूमि का भी नामांतरण एवं बंटवारा राजस्व भूमि की तरह हो सकेगा। इन इलाकों में वन विभाग के रेंजर तहसीलदार की भूमिका निभाएंगे। राज्य सरकार ने रेंजरों को तहसीलदार के अधिकार से लैस कर दिया है। मंगलवार को जिला कार्यालय के प्रथम तल स्थित सभाकक्ष में वन अधिकार पट्टों के नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन का प्रशिक्षण दिया गया।
इस अवसर पर कलेक्टर कुणाल दुदावत ने कहा कि राज्य सरकार ने वनवासियों के हितों को सामने रखकर कुछ इस तरह का निर्णय लिया है। वन अधिकार पट्टाधारी वनवासी अगर पट्टे की जमीन को अपने बेटों के बीच बंटवारा करना चाहें तो पुस्तैनी जमीन की तरह बंटवारा कर सकेंगे। यही नहीं परिवार के अन्य सदस्यों के नाम नामांतरण भी करा सकेंगे। रेंज आफिस में नामांतरण व बंटवारा का काम होगा। उन्होंने 10 अगस्त तक नामांतरण के सभी प्रकरणों का निराकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने वन भूमि नामांतरण, बंटवारा एवं सीमांकन से संबंधित दस्तावेजों को सहेज कर रखने के संबंध में भी निर्देशित किया। इसके साथ ही वनाधिकार पत्रों के डिजीटाइजेशन के कार्य में भी गति लाने के निर्देश दिए।
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि विधिक वारिसानों द्वारा फौति नामांतरण या संशोधन के लिए वन अधिकार पत्र धारक का मृत्यु प्रमाण पत्र अथवा ग्राम पंचायत या ग्राम सभा का मृत्यु के संबंध में प्रमाण पत्र, सभी वारिसानों का आधार कार्ड या मतदाता परिचय पत्र की प्रति के साथ ही मोबाईल नम्बर प्रस्तुत करना होगा। विधिक वारिसानों का नाम दर्ज करने के लिए मूल रूप से जारी वन अधिकार पत्रक की स्वअभिप्रमाणित सत्यापित छायाप्रति एवं वन अधिकार पुस्तिका प्रकरण के साथ संलग्न कर रेंज आफिसर को प्रस्तुत किया जाएगा तथा रेंज आफिसर द्वारा परीक्षण उपरान्त 30 दिवस में आदेश पारित किया जाएगा तथा वन अधिकार पुस्तिका में यथा स्थान फौति नामांतरण का इंद्राज कर वारिसानों को संशोधित वन अधिकार पुस्तिका (ऋण पुस्तिका) जारी की जाएगी।
प्रकरण में रेंज आफिसर के द्वारा पारित आदेश के तहत वन अधिकार पुस्तिका एवं वन अभिलेखो को अद्यतन किया जाएगा। यह कार्यवाही अधिकतम तीन माह में पूर्ण कर लिया जाएगा। विवादित प्रकरणों में अनुविभागीय अधिकारी (वन) द्वारा संबंधित पक्षकारों की सुनवाई पश्चात पारित आदेश अनुसार रेंजर द्वारा नामांतरण की कार्यवाही की जाएगी।
इसी तरह विधिक वारिसानों के मध्य वन अधिकार पत्र की वन भूमि के बंटवारे की प्रक्रिया के संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया कि वन अधिकार मान्यता पत्रकधारी के जीवनकाल में उनके द्वारा प्रस्तावित या उसकी मृत्यु के उपरांत विधिक वारिसानों के मध्य खाता विभाजन के लिए प्रक्रिया (क) सभी वारिसान पृथक-पृथक आवेदन अथवा सम्मिलित रुप से एक ही आवेदन दे सकते है। नामांतरण हेतु प्राप्त आवेदन रेंज आफिसर, द्वारा आवेदन प्राप्ति के 15 दिवस के भीतर काबिज भूमि का स्थल निरीक्षण कराया जाएगा। रेंज आफिसर द्वारा निरीक्षण उपरांत प्राप्त आवेदन पर दावा आपत्ति के संबंध में इस्तेहार या नोटिस प्रकाशन व मुनादी कराया जाएगा। रेंज आफिसर द्वारा प्रकरण का परीक्षण किया जाएगा। दावा आपत्ति के संबंध में संबंधित रेंज आफिसर द्वारा मुनादी तथा आम सूचना का इस्तेहार सूचना पटल तथा ग्राम पंचायत में कराया जायेगा। दावा आपत्ति की अवधि समाप्त होने के उपरांत 15 दिन के भीतर नामांतरण या संशोधन की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। हितबद्ध समस्त पक्षकारों को नोटिस जारी किया जाएगा। आम सूचना का इस्तेहार सूचना पटल, संबंधित ग्राम या नगर में निर्धारित स्थान तथा विभागीय वेब पोर्टल पर किया जाएगा। किसी प्रकरण में आपत्ति प्राप्त होने पर या किसी कारण से विवादित प्रतीत होने पर रेंज आफिसर हितबद्ध व्यक्तियों को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात् तथा ऐसी और जांच जैसा कि वह आवश्यक समझे करेगा।
फौती नामांतरण के विधिक वारिसानों को वन अधिकार पत्र में उल्लेखित क्षेत्रफल या रकबों का बराबर हिस्सों में बटांकन, मौके का सीमांकन कर नक्शा प्रस्ताव में संलग्न किया जाएगा। रेंज आफिसर अपने परीक्षण प्रक्रिया में संबंधित सर्किल फारेस्ट अधिकारी, पटवारी, राजस्व निरीक्षक, पंचायत सचिव आदि फील्ड अधिकारी-कर्मचारियों की मदद ले सकेगा।
फौती नामांतरण के विधिक वारिसानों को रेंज आफिसर द्वारा वन अधिकार भूमि का समान रूप से बटांकन एवं नामांतरण उपरांत संशोधित वन अधिकार पुस्तिका तैयार किया जायेगा एवं संबंधित वारिसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। उदाहरण के लिए-यदि वन अधिकार पत्र में उल्लेखित भूमि का 5 वारिसानों में बंटवारा किया जाना है तो वह प्रदत्त मूल वन अधिकार पत्र क्र. 100 की भूमि को 5 भागों में बाटते हुए 100/1, 100/2. 100/3, 100/4. 100/5 के रुप में बटांकन कर वन अधिकार पुस्तिका में दर्ज किया जाएगा।
सरकारी नक्शों में मान्य वन अधिकारों के सीमांकन की प्रक्रिया के संबंध में बताया गया कि प्रत्येक वन अधिकार मान्यता पत्रधारक की भूमि को पृथक-पृथक कक्ष क्रमांक या बीट क्रमांक तथा बटांकन नंबर दिया जाएगा। वन अधिकार पत्रधारक द्वारा धारित कक्ष क्रमांक या बीट क्रमांक की भूमि का नक्शा में तथा बीट बुक में अंकन किया जाएगा। वन अधिकार मान्यता पत्रधारी के सीमांकन आवेदन के आधार पर तय समय-सीमा में वन विभाग के द्वारा काबिज वन भूमि का सीमांकन करते हुए एक प्रति वारिसान या वारिसानो को उपलब्ध कराई जाएगी। संबंधित विभागों के अभिलेखों में वन अधिकारों को अभिलिखित या दर्ज करने की व्यवस्था रेंज आफिसर या प्राधिकृत अधिकारी द्वारा पारित आदेश अनुसार वारिसानों को जारी संशोधित वन अधिकार का विवरण संबंधित वन अभिलेखों में प्रक्रिया अनुसार दर्ज किया जाएगा। वन अधिकार पुस्तिका आदि अभिलेखों में त्रुटि का निराकरण वन अधिकार पत्रधारक की गलत जानकारी अभिलेखों में दर्ज होने की स्थिति में रेंज आफिसर द्वारा वन अधिकार पुस्तिका एवं संबंधित वन अभिलेखो में संशोधन किया जा सकेगा। इस हेतु वन विभाग छ.ग. शासन द्वारा रेंज आफिसर को अधिकृत किया जावेगा। हितबद्ध व्यक्ति या वारिसान द्वारा रेंज आफिसर के निर्णय के विरुद्ध उप वनमण्डलाधिकारी को अपील की जा सकेगी, जिसका निराकरण यथाशीघ्र किया जाएगा। अधिकतम समय-सीमा तीन माह होगी।
इस अवसर पर कोण्डागांव वन मण्डलाधिकारी आर के जांगड़े, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अविनाश भोई, अपर कलेक्टर चित्रकांत चाली ठाकुर, भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी नवीन कुमार सहित राजस्व एवं वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।