बांग्लादेश का चुनाव बना वन वुमन शो विपक्ष कैद, हसीना समर्थक ही आपस में लड़ रहे

Updated on 05-01-2024 01:41 PM

सियासत के उन्मादी माहौल के लिए बदनाम बांग्लादेश के चुनाव में हिंसा की चर्चा बेशक कम है, लेकिन लोकतंत्र खामोश है। या यूं कहें कि खामोश कर दिया गया है। वजह कई हैं, लेकिन पहले बात करते हैं- सरकारी दमन की।

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और सहयोगी दलों के 28 हजार नेता-कार्यकर्ता 3 महीने में जेलों में ठूंस दिए गए हैं। बीएनपी समेत 14 पार्टियों ने यह कहते हुए चुनाव का बहिष्कार कर रखा है कि पहले केयरटेकर सरकार बने। ठीक वैसे ही, जैसे 1996 में शेख हसीना केयरटेकर सरकार न बनाने पर चुनाव से हट गई थीं। हालांकि इस बार पीएम शेख हसीना ऐसा नहीं चाहतीं।

दूसरी ओर, बीएनपी अब वोटिंग ही नहीं होने देना चाहती। लोग 7 जनवरी को वोट न डालें, इसके लिए कैंपेन चल रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ढाका के सियासी गलियारे से यह ‘ओपन सीक्रेट’ बाहर आने लगा है कि चुनाव जैसा दिखने वाला यह ‘चुनाव’ 76 साल की पीएम हसीना का चेसबोर्ड है। यहां दोनों तरफ मोहरे भी उनके हैं।

चुनाव ‘वन वुमन शो ’ कैसे बन गया ?
अब समझते हैं कि यह चुनाव ‘वन वुमन शो’ कैसे बन गया है? कुल 300 सीटें हैं। 2018 में 290 सीटें 3 पार्टियों ने जीती थीं- अवामी लीग, बीएनपी और जातीयो पार्टी (जापा)। बीएनपी इस बार नहीं लड़ रही। सत्ताधारी अवामी लीग 298 सीटों पर लड़ रही है। उसके ही 185 नेता बतौर आजाद उम्मीदवार मैदान में हैं।

एक अवामी लीग नेता ने बताया कि 90 सीटों पर ये उम्मीदवार भारी हैं। ये खुद को हसीना का वफादार बताते हैं। ऐसे में लोग मानने लगे हैं कि जीते कोई भी, सत्ता का कंट्रोल हसीना के पास ही रहेगा क्योंकि करीब 220 सीटों पर पहले, दूसरे, तीसरे नंबर का कैंडिडेट हसीना समर्थक ही है।

तीसरी पार्टी जापा की भूमिका तो और भी चौंकाने वाली है। यह पहले अवामी लीग से गठबंधन करने वाली थी। फिर 16 दिसंबर को अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया, लेकिन इसके बड़े नेता रैलियों में खुद को अवामी लीग से जुड़ा बता रहे हैं। गठबंधन न होने पर जापा के संयुक्त सचिव मुजीबुल हक चुन्नू कहते हैं, ‘हमें चुनाव बाद गठबंधन में सरकार बनाने से परहेज नहीं है।’

अमेरिकी दखलंदाजी भी, रूस-चीन ने दी विपक्ष को कुचलने की ताकत
अब आते हैं चुनावी कहानी के ऐसे एपिसोड पर, जिसने शेख हसीना को विरोधियों को कुचलने की ताकत दी। दरअसल, मुख्य विपक्षी बीएनपी और कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लाम की जिस विशाल रैली के बाद सरकार ने ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों से विपक्ष का हौसला तोड़ना शुरू किया, उससे ठीक पहले अमेरिकी राजदूत पीटर हॉस ने बीएनपी नेताओं के साथ बैठक की थी।

यहीं से रूस-चीन की भी एंट्री हो गई। दोनों देशों ने अमेरिका पर हसीना के खिलाफ षड्यंत्र के आरोप लगाए। दूसरी ओर, अमेरिका भी अब खुलेआम धमकियों पर उतर आया है कि वोटिंग हुई तो वह वीजा रोकने के साथ पाबंदियां लगा सकता है क्योंकि इसमें विपक्ष नहीं है।

वहीं, बीएनपी के ट्रेनिंग अफेयर सेक्रेटरी एबीएम मुशर्रफ हुसैन अमेरिकी बयान को गलत भी नहीं मानते।  वे कहते हैं, ‘हां दिया है। हम लोकतंत्र बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार ने लोकतंत्र कुचलने के लिए हजारों लोगों को गिरफ्तार किया है।’ वहीं अवामी लीग के संगठन सचिव एडवोकेट अफजल हुसैन कहते हैं- ‘गिरफ्तार सिर्फ हिंसा भड़काने वालों को किया गया है।’



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