गोल्ड की जगह मिला काला सोना...इस समुद्री खाड़ी के पीछे हाथ धोकर क्यों पड़ा अमेरिका, मोदी के दौरे से पहले ट्रंप ने बदला नाम

Updated on 12-02-2025 04:29 PM
नई दिल्ली: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हाल ही में दस्तखत कर दिए। उन्होंने 9 फरवरी को अमेरिका की खाड़ी दिवस के रूप में भी घोषित किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के बाद ऐपल ने भी मैप पर Golf of Mexico का नाम बदलकर Golf of America कर दिया है।

गूगल पहले ही इस खाड़ी का नाम बदल चुका है। गल्फ ऑफ अमेरिका का नाम ही अब आपको गूगल मैप्स में दिखाई देगा। ये उन लोगों के लिए किया गया है जो अमेरिका में इसका इस्तेमाल करते हैं। गूगल ने अपने ब्लॉग पोस्ट में लिखा है कि अमेरिका से बाहर गूगल मैप्स का यूज करने वाले यूजर्स को मैप्स में दोनों ही नए और पुराने नाम दिखाई देंगे। यह बदलाव तब हो रहा है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं। जानते हैं-इस बदलाव के पीछे की कहानी।

अमेरिका क्यों मैक्सिको की खाड़ी के पीछे पड़ा है, जानिए वजह


मैक्सिको की खाड़ी अमेरिकी तेल और गैस संसाधनों और बुनियादी ढांचे के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह क्षेत्र तेल और गैस उद्योग का तकनीकी और वित्तीय केंद्र है, जिसमें कई कंपनियों के मुख्यालय खाड़ी तट पर केंद्रित हैं। यह क्षेत्र अमेरिका में कुल कच्चे तेल उत्पादन का पांचवां हिस्सा , अमेरिकी पेट्रोलियम शोधन क्षमता का 45% और अमेरिकी प्राकृतिक गैस प्रसंस्करण संयंत्र क्षमता का 51% का घर है। खाड़ी तट एक महत्वपूर्ण पेट्रोकेमिकल केंद्र भी है, जो कम से कम 55 प्रमुख रासायनिक संयंत्रों के साथ अमेरिका के डाउनस्ट्रीम केमिकल प्रोडॅक्शन के 50 फीसदी से ज्यादा है।

मैक्सिको की खाड़ी की सीमा तीन देशों से लगती है


मैक्सिको की खाड़ी का सबसे गहरा बिंदु सिग्सबी डीप में है, जिसे गल्फ्स एबिस के नाम से भी जाना जाता है। जो लगभग 4,384 मीटर गहरा है। यह खाड़ी इन तीन देशों की सीमा भी बनाती है।
अमेरिका: खाड़ी की सीमा 5 अमेरिकी राज्यों, टेक्सास, लुइसियाना, मिसिसिपी, अलबामा और फ्लोरिडा से लगती है।
मैक्सिको: यह 6 मैक्सिकन राज्यों, तमाउलिपास, वेराक्रूज, टबैस्को, कैम्पेचे, युकाटन और क्विंटाना रू को छूता है।
क्यूबा: खाड़ी की दक्षिणपूर्वी सीमा क्यूबा के पास तक फैली हुई है।

मैक्सिको की खाड़ी दुनिया की सबसे बड़ी खाड़ी


मैक्सिको की खाड़ी दुनिया की सबसे बड़ी खाड़ी है, जो क्यूबा, मैक्सिको और अमेरिका से घिरी हुई है। यह फ्लोरिडा जलडमरूमध्य के माध्यम से अटलांटिक महासागर से और युकाटन चैनल के माध्यम से कैरिबियन सागर को जोड़ती है। मैक्सिको की खाड़ी अमेरिका को कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम शोधन जैसी जरूरतों को पूरा करती है।

अमेरिका और मैक्सिको के लिए इसकी क्या अहमियत है


मैक्सिको की खाड़ी अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो अपतटीय तेल और गैस उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां अमेरिका की शिपिंग और मछली पकड़ने के इंडस्ट्री है। अमेरिका के ह्यूस्टन, न्यू ऑरलियन्स और टांपा जैसे प्रमुख बंदरगाह इसके तट पर स्थित हैं। वहीं, मैक्सिको के लिए भी यह खाड़ी उतनी ही महत्वपूर्ण है। यहां मैक्सिको के लिए कैंपचे जैसे महत्वपूर्ण तेल भंडार हैं। साथ ही तटीय इलाकों में समृद्ध जैव विविधता, पर्यटन और मछली पकड़ने जैसी इंडस्ट्री भी है। मैक्सिको में हर साल 10 लाख टन से अधिक और 300 से ज्यादा प्रजाति की मछलियां पकड़ी जाती हैं। वेराक्रूज़ और कैंपचे जैसे तटीय शहर इसके संसाधनों पर फलते-फूलते हैं।

स्पेन का उपनिवेश था यह खाड़ी क्षेत्र


जब 16वीं शताब्दी के दौरान स्पेनिश खोजकर्ता इस क्षेत्र में पहुंचे, तो उन्होंने खाड़ी को उस भूमि से जोड़ दिया, जिस पर उन्होंने उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था। इसे उन्होंने न्यू स्पेन (आधुनिक मैक्सिको) नाम दिया। पानी के इस विशाल भंडार का वर्णन करने के लिए यूरोपीय खोजकर्ताओं और मानचित्र निर्माताओं ने मैक्सिको की खाड़ी नाम दे दिया।


सोना खोजने आय था, मिला काला सोना


स्पेनिश विजेता हर्नान कोर्टेस ने मैक्सिको की खाड़ी में सोने का भंडार और इसकी समृद्धि का गुणगान सुनकर सदियों पहले इसके तटों पर कदम रखा था। उनके आगमन ने इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत की, जो अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए जिसकी गूंज समय के साथ सुनाई देती है। आज, खाड़ी तट ऐतिहासिक स्थलों से भरा हुआ है। यहां का हर इलाका समृद्ध अतीत की एक अनूठी कहानी कहता है। हालांकि, यहां सोना तो नहीं मिला, मगर काला सोना यानी पेट्रोलियम जरूर मिला। जिस वजह से आज भी यह खाड़ी बेहद संपन्न मानी जाती है।

भारत-मैक्सिको के बीच 1950 से ही गहरे संबंध


भारत और मैक्सिको के बीच रणनीतिक साझेदारी, आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सहयोग के साथ मजबूत द्विपक्षीय व्यापार और निवेश की सुविधा प्रदान करती है, जिससे मैक्सिको की उत्तरी अमेरिकी बाजारों तक पहुंच और भारत के बढ़ते औद्योगिक आधार का लाभ मिलता है। भारत और मेक्सिको के बीच मजबूत ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंध हैं, जो आपसी हितों और समान भू-जलवायु परिस्थितियों, जैव विविधता और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित हैं। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध औपचारिक रूप से 1950 में स्थापित हुए थे। पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देशों ने व्यापार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सहयोग बढ़ाया है। प्रधानमंत्री मोदी 2016 में मैक्सिको गए थे। उस दौरान दोनों देशों ने अपने राजनयिक संबंधों को रणनीतिक साझेदारी करने पर सहमति जताई थी।

भारत-मैक्सिको के बीच व्यापार में खूब बढ़ोतरी


भारत और मैक्सिको के बीच व्यापार में खूब बढ़ोतरी हुई है। दोनों देशों को विविध निर्यात और आयात से लाभ हुआ है। OEC डेटा के अनुसार, जुलाई 2024 में, भारत ने मैक्सिको के साथ सकारात्मक व्यापार संतुलन था। उस वक्त 554 मिलियन अमेरिकी डॉलर का माल निर्यात और 274 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात शामिल है। भारतीय जहाज इसी मैक्सिको की खाड़ी से होकर गुजरते हैं।

जब ओबामा ने नाम बदलकर डेनाली कर दिया


उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट मैकिन्ले अलास्का में स्थित है और वर्ष 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में स्वदेशी कोयुकोन लोगों के सम्मान में इसका नाम बदलकर डेनाली कर दिया गया था। इसकी काफी आलोचना हुई थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने उद्घाटन भाषण में सुझाव दिया था कि अलास्का के डेनाली का नाम बदलकर माउंट मैकिनले रखा जाए। ट्रंप ने कहा था कि वह महान राष्ट्रपति विलियम मैकिनले का नाम माउंट मैकिनले पर फिर से स्थापित करना चाहते हैं। उनके इस बयान की काफी आलोचना हुई थी।


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