दोनों इजराइल पर हमले का क्रेडिट लेना चाहते हैं, ईरान बोला- हमने कमांडर की मौत का बदला लिया

Updated on 29-12-2023 01:20 PM

इजराइल पर 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमले का क्रेडिट लेने के लिए हमास और ईरान आमने-सामने आ गए हैं। यह दावा अमेरिकी मीडिया हाउस ‘फॉक्स न्यूज’ की रिपोर्ट में किया गया है।

हमास का किरदार तो इस हमले में दुनिया के सामने आ गया था, लेकिन ईरान के बारे में इजराइल-अमेरिका का आरोप ये है कि उसने हमास आतंकियों को हमले के लिए साज-ओ-सामान मुहैया कराया।

इसी हफ्ते ‘अल-जजीरा’ से बातचीत में ईरान के एक अफसर ने कहा था- यह हमारे कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला है।

हमास लेना चाहता है पूरा क्रेडिट

डिफेंस सेक्टर पर नजर रखने वाले ऑर्गनाइजेशन ‘फाउंडेशन फॉर डिफेंस डेमोक्रेसी’ के सीनियर फैलो बेहनम बेन टेलबियू ने कहा- हमास के लिए यह बहुत सामान्य सी बात है कि वो इजराइल पर होने वाले हर हमले का क्रेडिट ले। दूसरी तरफ, ईरान अपने पूर्व कमांडर इन चीफ कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेना चाहता था। सुलेमान की डेथ एनिवर्सरी भी करीब है। लिहाजा, हमास और ईरान आमने-सामने आ चुके हैं।

बेन कहते हैं- यह बात किसी से नहीं छिपी कि इस वक्त में अगर आतंकी संगठनों को कहीं से सबसे ज्यादा मदद मिलती है तो वो ईरान है। वो अपने नागरिकों को बताना चाहता है कि उसने भी इजराइल को 7 अक्टूबर के हमलों के जरिए सबक सिखाया है।

ईरान क्या दावा कर रहा है

अल-जजीरा की बुधवार को जारी एक टीवी रिपोर्ट में ईरान की सेना (ईरानियन रिवोल्यूशनरी गार्ड) के हवाले कहा गया था- इजराइल पर 7 अक्टूबर के हमले के पीछे एक वजह कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेना भी था।

मजे की बात ये है कि ईरानी सेना के इस बयान के कुछ देर बाद ही हमास ने एक बयान जारी किया और कहा कि वो इन हमलों का मकसद एक नहीं, बल्कि कई बार साफ कर चुका है। हमास ने कहा- यह तो फिलिस्तीनियों का इजराइल से बदला लेना था, इसके अलावा कुछ नहीं।

एक एक्सपर्ट के मुताबिक- क्रेडिट लेने की यह होड़ जारी रहेगी। इसकी वजह यह है कि हमास को गाजा के आम लोगों को यह बताना है कि वो इजराइल के अंदर घुसकर हमला कर सकता है। दूसरी तरफ, ईरान यह साबित करना चाहता है कि अगर इजराइल उसके खास लोगों को मार सकता है तो उसके पास भी इतनी काबिलियत है कि वो तेल अवीव की जमीन पर उसको जवाब दे सकता है। कुल मिलाकर दोनों ही अपने लोगों को मैसेज देना चाहते हैं।

आतंकी संगठनों को एकजुट कर रहा है ईरान

अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में ईरान की राजधानी तेहरान में एक मीटिंग हुई थी। इसका मकसद इजराइल के खिलाफ लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह, फिलिस्तीन के इस्लामिक जिहाद और हमास को एकजुट करना था। तीनों संगठनों के लीडर्स ने मुलाकात की थी।

ईरानी मीडिया अल-मयादीन ने तब कहा था- बैठक से तीनों संगठनों के बीच बढ़ता को-ऑर्डिनेशन दिख रहा है। दरअसल, ईरान कई साल से चाहता था कि तीनों संगठन मिलकर इजराइल के खिलाफ मोर्चा खोल दें। अब ऐसा ही कुछ हो भी रहा है।

यरुशलम पोस्ट के मुताबिक- 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमले से पहले ईरान और तीनों संगठनों के लीडर्स की बैठक हुई थी। अमेरिकी मीडिया वॉल स्ट्रीट जर्नल ने हमास और हिजबुल्लाह के सीनियर अधिकारियों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि ईरान के सुरक्षा अधिकारियों ने इजराइल पर हमले की प्लानिंग में हमास की मदद की थी। इसके बाद उन्होंने 2 अक्टूबर को बेरूत में एक बैठक में हमले के लिए हरी झंडी दे दी थी।

वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक- ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के अफसर अगस्त 2023 से हमास के साथ मिलकर इजराइल पर 1973 के बाद जमीन, हवा और समुद्र के रास्ते अब तक के सबसे बड़े हमले की प्लानिंग कर रहे थे।

इजराइल से सीधे नहीं टकराना चाहता ईरान

  • रिपोर्ट के मुताबिक ईरान-सीधे तौर पर इजराइल से नहीं टकराना चाहता। लिहाजा, वह हमास और हिजबुल्लाह के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहा है। वह ऐसी हरकत पहले भी करता रहा है, लेकिन इस बार 7 अक्टूबर को जो कुछ हुआ वह बहुत खतरनाक था। 1200 इजराइली मारे गए।
  • रिपोर्ट कहती है- हमास, इस्लामिक जिहाद इन फिलिस्तीन और हिजबुल्लाह जैसे कट्टरपंथी गुटों के जरिए ईरान दुश्मनों पर हमले कराता है। दरअसल, इसका सीधा मकसद यह है कि इजराइल और अमेरिका जैसे ताकतवर देशों से उसकी सीधी जंग न हो। हिजबुल्लाह के जरिए ईरान मुल्क में अपने कट्टरपंथी एजेंडे को भी बढ़ावा देता है।
  • हिजबुल्लाह के लीडर हसन नसरल्लाह को ईरान के सर्वोच्च धार्मिक गुरु अली खामनेई का करीबी माना जाता है। हिजबुल्लाह भी उसी कट्टरपंथी विचारधारा को मानता है जो खामनेई और वर्तमान ईरान सरकार की है।


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