चंडीगढ़ । पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र सरकार को तीन काले कृषि कानून तुरंत रद्द करने की अपील की है। ऐसा नहीं करने की सूरत में पंजाब सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर किसान विरोधी कानूनों को ख़ारिज कर देगी। उन्होंने कहा कि किसानों और खेत मज़दूरों के हितों की रक्षा की जानी जरूरी है। वे पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट से गुजऱ रहे हैं।
सीएम चन्नी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को यह कानून रद्द करने के लिए कहा था, परन्तु उस
मौके पर मंत्रीमंडल ने उन्हें (कैप्टन अमरिन्दर सिंह) इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दिया था। उन्होंने इन कठोर कृषि कानूनों को रद्द करने की बजाय संशोधित बिल लाने का रास्ता चुना था।
केंद्र सरकार को देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए बलिदानों के लिए सीमावर्ती राज्य को मान्यता देने की अपील करते हुए चन्नी ने कहा कि केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर की तरह राज्य में बेचैनी पैदा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, बल्कि देश
के हित में किसानों के चल रहे संघर्ष का हल जल्द किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में संयुक्त किसान मोर्चा और किसानों के साथ दृढ़ प्रतिबद्धता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि केंद्र सरकार इन कानूनों को रद्द करने की मांग को तुरंत स्वीकार नहीं करती, तो वह
इस मुद्दे पर पैदल या साइकिल पर दिल्ली की ओर विशाल मार्च निकालने का नेतृत्व करेंगे। इन कृषि कानूनों के खि़लाफ़ चल रहे संघर्ष में किसानों और खेत मज़दूरों के साथ एकजुटता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह किसानों के सरोकारों का समर्थन करते रहेंगे।
उन्होंने अफसोस ज़ाहिर किया कि ये कानून राज्य के किसानों को पूरी तरह से बर्बाद कर देंगे, क्योंकि
हमारे किसान पहले ही एक लाख करोड़ रुपए के बोझ के नीचे दबे हुए हैं, जिस कारण
केंद्र सरकार को किसानों को इस वित्तीय संकट में से बाहर निकालने के लिए आगे आना चाहिए। सीएम चन्नी ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि अन्नदाता को केंद्र के अडिय़ल रवैए के कारण भिखारी बनने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा यदि केंद्र सरकार द्वारा बड़े कॉर्पोरेट घरानों के कर्जे माफ किए जा सकते हैं, तो गरीब
और जरूरतमंद किसानों के कर्जे माफ करने से इन्हें कौन रोकता है? उन्होंने
कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही छोटे और सीमांत किसानों को दो लाख रुपए तक की राहत प्रदान की है और अब खेत मज़दूरों को भी अपने संसाधनों में से 25 हज़ार रुपए
तक की राहत दी जा रही है।
काले कृषि कानूनों के खि़लाफ़ आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले किसानों के पीडि़त परिवारों के जख्मो पर मरहम लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पीडि़त परिवारों के परिवारिक सदस्यों को सरकारी नौकरियां प्रदान करने के अलावा प्रति परिवार 5 लाख रुपए
की वित्तीय सहायता भी मुहैया की गई है। मुख्यमंत्री ने जि़क्र किया कि उन्होंने निजी तौर पर ऐसे परिवार को नियुक्ति पत्र सौंपा था जो गरीबी भरे हालात में रहते हैं और जिनके घर पर छत भी नहीं है।