बिना ब्याज के, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) पर वित्तीय बोझ लगभग 70,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। अगर निजी क्षेत्र के उद्योगों से 2005 से बकाया राशि को भी इसमें शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये हो जाता है। इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा खनिज संपन्न राज्यों झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान को होगा। केंद्र सरकार ने 9 जजों की पीठ के फैसले को भविष्य से लागू करने की मांग करते हुए कहा था कि अगर इसे पूरी तरह से लागू किया जाता है तो इससे बहुत बड़ा आर्थिक बोझ पड़ेगा, जिससे कई PSU और उद्योग बर्बाद हो सकते हैं। साथ ही, इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होगा और लगभग सभी उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी।