भोपाल । साइबर ठगी के साथ ब्लैकमेलिंग का जाल हजारों किमी दूर से चल रहा है। दूर बैठे इन अपराधियों तक पहुंचने में पुलिस तो फिसड्डी साबित हो ही रही है साथ ही साइबर सेल की विवेचना भी पीडि़त से आवेदन लेने तक सीमित है। लिहाजा विवेचना तय समय तक नहीं हो पाती है। मोबाइल सिम लेने के बदले दी गई फर्जी आईडी और लोकेशन में पुलिस उलझकर रह जाती है। ऐसे में कई मामलों में विवेचना अटकी पड़ी हैं।
ऐसे में साइबर ठग तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर लोगों को शिकार बना रहे हैं। साइबर ठगी और ब्लैकमेलिंग करने वाले अधिकतर आरोपी बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और गुजरात में बैठकर साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं। यह न केवल खातों में सेंधमारी करते हैं, बल्कि फेसबुक के जरिए ब्लैकमेलिंग कर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं।
फेसबुक से ब्लैकमेलिंग के मामले भी आए सामने
प्रदेश में फेसबुक के जरिए ब्लैकमेलिंग के मामले भी सामने आ चुके हैं। इन मामलों में पीडि़तों ने आवेदन भी पुलिस को दे रखे हैं, लेकिन विवेचना के परिणाम अब तक सामने नहीं आ सके हैं। साइबर सेल भी अपराधियों का पता लगाने में नाकाम ही रही है। आइडी और लोकेशन तक विवेचना पहुंच पाती है। लेकिन इन मामलों में अपराधी अब तक दबोचे नहीं जा सके हैं। दवाब बढऩे पर सिम भी बदल दिया जाता है। साइबर अपराधियों का मुखबिर सिस्टम पुलिस से मजबूत होता है।