ट्रेड वॉर अब सिर्फ टैरिफ और कूटनीति तक सीमित नहीं रही। चीन की फैक्ट्रियां अब सोशल मीडिया को नया हथियार बना रही हैं। वे टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो के जरिए अमेरिकी ग्राहकों को सीधे फैक्ट्री से प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन भले ही चीन पर 245% टैरिफ लगाकर उसे झुकाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन चीन की कंपनियां अमेरिकी उपभोक्ताओं से सीधे कह रही हैं- ब्रांड को भूलो, फैक्ट्री से सीधे वही सामान खरीदो।
वो भी काफी कम दाम में। चीन की कंपनियां अमेरिका में बिक रहे प्रोडक्ट की तुलना में 26 गुना तक कम कीमतों में सामान देने का वादा कर रही हैं।
कंपनियों का दावा- सभी लक्जरी प्रोडक्ट बनाने वाले हम
चीन के टिकटॉक यूजर वांग सेन के वीडियो को 2 करोड़ बार देखा जा चुका है। वीडियो में वे खुद को मूल निर्माता बताते हैं और हर्मेस जैसे महंगे ब्रांड के बैग्स दिखाते हैं।
वह कहते हैं, आप सीधे हमसे क्यों नहीं खरीदते? वह अमेरिका में 1 लाख में बिकने वाले प्रोडक्ट को 5 हजार में देने का दावा करते हैं। एक अन्य यूजर ह्यूआंग शी शनैल व बीरकेनस्टॉक जैसे ब्रांड्स के प्रोडक्ट भी काफी कम कीमत में देने की बात करता है।
फिलहाल 60 हजार रु. से कम के पार्सल पर अमेरिका में डी मीनीमिस एक्जम्पशन नीति के तहत कस्टम ड्यूटी नहीं लगती। इसी लूपहोल के जरिए टेमू, अली एक्सप्रेस जैसे शॉपिंग प्लेटफॉर्म सीधे अमेरिकियों तक पहुंच रहे हैं।
इसके अलावा फैक्ट्रियां टिकटॉक व अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से भी सीधे प्रोडक्ट बेच रही हैं। हालांकि, अब ट्रम्प प्रशासन इस छूट को खत्म करने की योजना बना रहा है।
कर्मचारियों को सोशल मीडिया की ट्रेनिंग दे रहीं फैक्ट्रियां
चीन की ग्वांगझोऊ, शेन्जेन और यीवू जैसी जगहों की फैक्ट्रियां अब कर्मचारियों को सोशल मीडिया की ट्रेनिंग दे रही हैं। इसके अलावा उपभोक्ता को लाइव प्रोडक्ट डेमो दे रही हैं। कंपनियां अपने स्टाफ को ही टिकटॉक इन्फ्लुएंसर बना रही हैं।
इस रणनीति को फैक्टरी टू कंज्यूमर मॉडल कहते हैं। उदाहरण के लिए एक फैक्ट्री जो आमतौर पर प्राइवेट लेबल को बैग बेचती थी, अब वह सोशल मीडिया के जरिये सीधे ग्राहकों वीडियो बनाकर बेच रही है। इन वीडियो की बाढ़ के चलते डीएचगेट जैसे शॉपिंग ऐप अमेरिका के ऐप स्टोर पर दूसरे नंबर पर पहुंच गया है।
वहीं, चीन का मशहूर टोआबू ऐप सातवें नंबर पर है। अमेरिकियों को भी सीधे प्रोडक्ट खरीदना फायदे का सौदा लग रहा है।
चीन नई इंडस्ट्री व इनोवेशन बढ़ाने पर जोर दे रहा
चीन के पास अमेरिका के करीब 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।
चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी।