बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 28 जुलाई को एक ऐतिहासिक राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय न्यायपालिका, विशेषकर जिला न्यायपालिका, की वर्तमान चुनौतियों और उनकी भूमिका पर विचार-विमर्श करना था। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीश, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की उपस्थिति रही। यह पहली बार है जब हाईकोर्ट में किसी आयोजन में सुप्रीम कोर्ट के तीन जज एक साथ पहुंचे।
सम्मेलन का उद्घाटन जस्टिस बी.आर. गवई द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। अपने उद्घाटन भाषण में जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र की रीढ़ है और जिला न्यायपालिका न्यायिक प्रणाली की नींव है। उन्होंने जिला न्यायपालिका के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी न्यायाधीश एक न्यायिक परिवार का हिस्सा हैं और कोई भी अधीनस्थ नहीं है। उन्होंने न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए आधुनिक तकनीकी ज्ञान और संसाधनों की आवश्यकता पर जोर दिया।
सम्मेलन के तकनीकी सत्र में जस्टिस संजय के. अग्रवाल, जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू, जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस दीपक तिवारी ने जिला न्यायपालिका की चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए उपायों और प्रावधानों की विस्तार से चर्चा की। जस्टिस विक्रम नाथ ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि एक न्यायाधीश का आचरण कोर्ट के अंदर बहुत महत्वपूर्ण होता है और जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों को आधुनिक तकनीकी ज्ञान में कुशल होने पर बल दिया।
जिला न्यायालयों की भूमिकाजस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिला न्यायालयों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर दिया कि एक सशक्त और निडर जिला न्यायपालिका ही जमीनी स्तर पर लोगों के अधिकारों की रक्षा कर सकती है और समय पर न्याय प्रदान कर सकती है।
सम्मेलन के समापन सत्र में जस्टिस संजय के. अग्रवाल ने इस ऐतिहासिक राज्य स्तरीय सम्मेलन की सफलता और उपलब्धियों को रेखांकित किया। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमेश सिन्हा ने अपने स्वागत भाषण में मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों का धन्यवाद किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन से न्यायिक प्रणाली को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी। जस्टिस गौतम भादुड़ी ने उद्घाटन सत्र के समापन पर आभार प्रदर्शन किया।
इस सम्मेलन में उच्च न्यायालय के सभी न्यायमूर्ति, जिला न्यायालयों के प्रतिभागी सदस्य, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्री के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। इस ऐतिहासिक आयोजन ने न्यायपालिका की भूमिका और उसके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर महत्वपूर्ण चर्चा की, जिससे भविष्य में न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायता मिलेगी।