पहले शेख हसीना फिर तस्लीमा नसरीन, भारत ने एक और फैसले से बांग्लादेश के कट्टरपंथियों को लगाया तमाचा

Updated on 23-10-2024 05:13 PM
नई दिल्ली : बांग्लादेश में कट्टरपंथियों की कठपुतली अंतरिम सरकार वहां की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत से प्रत्यर्पण की कोशिश में है। हवाला दिया जा रहा है 2013 में दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि की। लेकिन भारत पहले ही दो टूक कह चुका है कि हसीना सुरक्षा कारणों से भारत आई हैं और वह यहां रहना जारी रखेंगी। इस दो टूक जवाब से बांग्लादेश तिलमिलाया होगा लेकिन अब भारत का एक और फैसला मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के जले पर नमक जैसा साबित होने वाला है। भारत ने कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश से भारत में स्वनिर्वासन झेल रहीं जानी-मानी लेखिका तस्लीमा नसरीन का रेजिडेंसी परमिट रीन्यू कर दिया है। सोमवार को ही लेखिका ने गृह मंत्री अमित शाह से इसके लिए गुहार लगाई थी।

बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के नाम पर कट्टरपंथियों ने किया था हिंसा का नंगा नाच

तसलीमा नसरीन को मुस्लिम कट्टरपंथियों का कोपभाजन उनकी बहुचर्चित किताब लज्जा की वजह से बनना पड़ा था। उन्हें अपनी जान बचाने लिए ठीक उसी तरह बांग्लादेश छोड़ना पड़ा जैसे शेख हसीना को छोड़ना पड़ा था। हसीना के भारत आने के बाद बांग्लादेश में कट्टरपंथियों ने हिंसा का नंगा नाच किया। अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं की हत्याएं हुईं। रेप हुए। घर जलाए गए। तरह-तरह के अत्याचार किए गए। ये सारे धतकर्म छात्र आंदोलन के नाम पर हुए।

तसलीमा ने बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न पर 'लज्जा' नाम की किताब लिखी थी

संयोग देखिए कि तस्लीमा नसरीन को कभी बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न को अपनी किताब के जरिए आवाज देने की वजह से अपना देश छोड़कर भागना पड़ा था। 'लज्जा' में उन्होंने 1992 में अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हुए जुल्म को बयां किया था। उन्होंने अपनी किताब में मजहबी कट्टरता और उसका व्यक्तियों व समाज पर पड़ने वाले खतरनाक असर को बयां किया था। इसी किताब की वजह से 1993 में कट्टरपंथियों ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया था। कट्टरपंथी उनके खून के प्यासे बन गए। उन्हें अपनी जान बचाने के लिए बांग्लादेश से भागना पड़ा था। तब से वह भारत में ही रह रही हैं।

तसलीमा ने शाह से लगाई थी रेजिडेंसी परमिट के रीन्यूअल की गुहार

तसलीमा नसरीन ने रेजिडेंसी परमिट को रीन्यू करने के लिए सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर गृह मंत्री अमित शाह से गुहार लगाया था। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 'डियर अमित शाह जी, नमस्कार। मैं भारत में इसलिए रहती हूं कि मुझे इस महान देश से प्यार है। पिछले 20 वर्षों से यह मेरा दूसरा घर है। लेकिन गृह मंत्रालय मेरे रेजिडेंस परमिट को जुलाई 22 से एक्सटेंड नहीं कर रहा। मैं बहुत चिंतित हूं। अगर आप मुझे रहने देंगे तो मैं बहुत कृतज्ञ रहूंगी।'

तसलीमा ने शाह से लगाई थी रेजिडेंसी परमिट के रीन्यूअल की गुहार

तसलीमा नसरीन ने रेजिडेंसी परमिट को रीन्यू करने के लिए सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर गृह मंत्री अमित शाह से गुहार लगाया था। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 'डियर अमित शाह जी, नमस्कार। मैं भारत में इसलिए रहती हूं कि मुझे इस महान देश से प्यार है। पिछले 20 वर्षों से यह मेरा दूसरा घर है। लेकिन गृह मंत्रालय मेरे रेजिडेंस परमिट को जुलाई 22 से एक्सटेंड नहीं कर रहा। मैं बहुत चिंतित हूं। अगर आप मुझे रहने देंगे तो मैं बहुत कृतज्ञ रहूंगी।'

शेख हसीना के प्रत्यर्पण के सवाल पर भारत का 'कूटनीतिक' जवाब

इससे पहले, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार बार-बार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की बात उठाती रही है। बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना 5 अगस्त को अपनी जान बचाते हुए हेलिकॉफ्टर से भारत भाग आई थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह दिल्ली में कड़ी सुरक्षा के बीच रह रही हैं। सुरक्षा इतनी कड़ी है कि उनकी बेटी साइमा वाजेद तक उनसे नहीं मिल पा रही हैं। साइमा विश्व स्वास्थ्य संगठन में दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक के तौर पर दिल्ली में काम करती हैं।

बांग्लादेश की एक अदालत ने 77 साल की शेख हसीना के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया है। उन्हें 18 नवंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है। हसीना के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट के बारे में पूछे जाने पर पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि वह अपनी सुरक्षा के लिए भारत आई हैं और यहां रहना जारी रखेंगी।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार लगातार शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर जोर देती आ रही है। वह इसके लिए दोनों देशों के बीच 2013 में हुई प्रत्यर्पण संधि का हवाला दे रही है। हालांकि, उसी संधि के आर्टिकल 6 में साफ तौर पर लिखा है कि अगर किसी राजनीतिक चरित्र वाले अपराध के मामले में प्रत्यर्पण की गुजारिश की जाएगी तो उसे ठुकराया जा सकता है। हालांकि, शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर भारत बहुत ही सधी हुई प्रतिक्रिया देता रहा है और सीधे-सीधे टिप्पणी करने से बचता रहा है।

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