देहरादून । उत्तराखंड के पहाड़ों में पिछले चौबीस घंटे से लगातार हो रही रिकॉर्ड बारिश की वजह से कई इलाकों को भयावह बाढ़ का कहर झेलना पड़ा है। इस त्रासदी में 34 लोग मारे गए हैं और कई अब भी लापता हैं। मौसम विभाग के मुताबिक 18 अक्टूबर से 19 अक्टूबर के बीच कुमाऊं क्षेत्र में इतिहास की सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गयी है। चम्पावत ज़िले में जलस्तर के बढ़ने से एक निर्माणाधीन ब्रिज बह गया जबकि कई इलाकों में सड़कें और रेल लाइन टूट गयी। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास नैनीताल में एक हाथी के बाढ़ में फंसे की तस्वीर सामने आयी। मुक्तेश्वर और नैनीताल के खैरना इलाके में घर ढह जाने से 7 लोगों की मौत हुई है। नैनीताल शहर झील का पानी बाहर आ जाने की वजह से आस पास के इलाकों से कट गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "पीएम और गृह मंत्री को राज्य की मौजूदा स्थिति से अवगत करा दिया गया है। कई जगह मकान, पुल आदि क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बचाव कार्य के लिए तीन हेलीकॉप्टर तैनात किये गए हैं।
कोसी नदी का पानी रिजॉर्ट में घुसने से डेढ़ सौ पर्यटक फंस गए हैं। एक दर्जन से अधिक कारें डूब गई हैं। स्थानीय अधिकारी ने बताया कि मोहान के पास लेमनट्री रिजॉर्ट में रविवार को दिल्ली, यूपी आदि
जगहों से रूकने के लिए डेढ़ सौ से अधिक पर्यटक सहित बच्चे आए थे। बताया कि लगातार हो रही बारिश की वजह से कोसी नदी का पानी रिजार्ट में आ गया। इससे रिजार्ट परिसर में खड़ी कार डूब गई है। पर्यटकों को निकालने के लिए रामनगर से रेस्क्यू टीम व बस भेजी गई है। उन्होंने बताया कि नाले उफान पर आने से एनएच 309 व रामनगर हल्द्वानी मार्ग पर आवाजाही पूरी तरह से बंद की गई है।
वहीं दूसरी ओर, नैनीताल
जिले के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण 9 मजदूरों
सहित कुल 15 लोगों की
मौत हो गई है। रामगढ़ ब्लॉक के झुतिया सुनका ग्रामसभा में 9 मजदूर घर
में ही जिंदा दफन हो गए। ये सभी मोटर मार्ग के निर्माण कार्य में लगे हुए थे।मकान में रह रहे इन मजदूरों के ऊपर 24 घंटे से
हो रही बारिश के कारण मलबा आ गया। जिससे 9 की मौत
हो गई।
करीब चौदह घंटों से लगातार जारी बारिश ने अक्टूबर में नैनीझील के जलस्तर के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। सिंचाई विभाग के अनुसार शाम करीब पांच बजे तक नैनीताल में 200 मिमी बारिश
दर्ज हो चुकी थी। जिस कारण झील का जलस्तर पर 12।2 फीट
के ऑल टाइम हाई रिकॉर्ड को पार कर गया। जिससे झील का पानी ओवरफ्लो होकर माल रोड तक पहुंच गया। इससे पहले अक्तूबर 1998 में सबसे
अधिक 106 मिमी बारिश
दर्ज की गई थी। तब जलस्तर 11।5 फीट
पहुंचने पर झील का पानी ओवरफ्लो हुआ था।
नैनीताल की ओर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह रोक दी गई है। झील किनारे रह रहे सभी लोगों को अलर्ट किया गया है। संबंधित अधिकारी राहत कार्य में जुटे हैं। शहर के तीनों मार्गों को खुलवाने के लिए जेसीबी भेजी गई है। लगातार हो रही बारिश के कारण नैनी झील का पानी इतना बढ़ गया कि सड़कों और घरों तक पहुंच गया। रास्ते बंद हो गए हैं। बिजली गुल है। लोगों से घरों के भीतर रहने की अपील की गई है। बारिश के कारण नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा से हल्द्वानी और काठगोदाम तक के रास्ते बंद हो गए हैं।
मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार मंगलवार को कुमाऊं मंडल के अधिकांश जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। सरकार ने बारिश की देखते हुए लोगों से बुधवार के दिन भी अनावश्यक यात्राएं न करने की सलाह दी है। चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालुओं को भी उनके वर्तमान स्थान पर ही बने रहने को कहा है। सोमवार को आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ। धन सिंह रावत ने कहा कि मौसम और आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी दिशानिर्देशों को सभी को सख्ती से पालन करना है।
उत्तराखंड के अलावा केरल के भी हाल भारी बारिश के चलते खराब हो गए हैं। केंद्र सरकार दक्षिण भारतीय राज्य की स्थिति पर भी नजर बनाए हुए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री ने रविवार को बताया था कि राज्य में केंद्र सरकार हर संभव मदद क के लिए तैयार है। उन्होंने ट्वीट किया था, ‘भारी बारिश
और बाढ़ की स्थिति के चलते हम केरल के इलाकों में हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। जरूरतमंद लोगों के लिए केंद्र सरकार हर संभव मदद उपलब्ध कराएगी। एनडीआरएफ की टीम को पहले ही रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद के लिए भेज दिया है।’ साथ ही
उन्होंने सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की थी।