नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अस्पताल पुलिस स्टेशन नहीं हैं। अदालत देश के सभी अस्पतालों के हर वार्ड में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश नहीं दे सकती, क्योंकि इसमें निजता के मुद्दे भी शामिल हैं। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने गैर-सरकारी संगठन ‘ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एंड एक्शन कमेटी’ की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही संगठन को बेहतर और विशिष्ट अनुरोधों के साथ दोबारा आने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा, 'अस्पताल पुलिस थाने नहीं हैं। हम पूरे देश के अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश नहीं दे सकते।
मान लीजिए किसी महिला का ऑपरेशन किया जा रहा है या किसी अन्य मरीज का ऑपरेशन किया जा रहा है। ऐसा नहीं किया जा सकता है। इसमें एक मरीज की निजता का मुद्दा भी शामिल है। उच्चतम न्यायालय ने जनहित याचिका पर विचार करने के बाद कहा कि आप लोगों के साथ समस्या यह है कि जब आप अनुच्छेद-32 के तहत इस अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं तो आप हर तरह का अनुरोध करने की कोशिश करते हैं। देखिए, आपने मांग की है कि पूरे देश के डॉक्टरों को निर्देश जारी किए जाएं कि वे अंग्रेजी के अलावा स्थानीय भाषा में नुस्खे लिखें। क्या यह संभव है? मान लीजिए डॉक्टर को स्थानीय भाषा या अंग्रेजी नहीं आती है तो क्या होगा।