कनाडा में 1907 से ही भारतीयों पर नस्लीय हमले
1907 तक आते-आते भारतीयों के खिलाफ नस्लीय हमले शुरू हो गए। इसके कुछ साल बाद ही भारत से प्रवासियों के आने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाया गया। पहला नियम यह बनाया गया कि कनाडा आते वक़्त भारतीयों के पास 200 डॉलर होने चाहिए. हालांकि यूरोप के लोगों के लिए यह राशि महज 25 डॉलर ही थी। इन्होंने अपनी मेहनत और लगन से कनाडा में खुद को साबित किया. इन्होंने मजबूत सामुदायिक संस्कृति को बनाया। कई गुरुद्वारे भी बनाए।
जब कामागाटामारू कांड को लेकर ट्रूडो ने मांगी माफी
सिखों को कनाडा से जबरन भारत भी भेजा गया। सिखों, हिंदुओं और मुसलमानों से भरा एक पोत कामागाटामारू 1914 में कोलकाता के बज बज घाट पर पहुंचा था। इनमें से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी। भारतीयों से भरे इस जहाज को कनाडा में नहीं घुसने दिया गया था। इसके लिए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 2016 में हाउस ऑफ कॉमन्स में माफी मांगी थी।
लिबरल पार्टी की सरकार के आने से बढ़े सिख
1960 के दशक में कनाडा में लिबरल पार्टी की सरकार बनी तो यह सिखों के लिए भी ऐतिहासिक साबित हुआ। कनाडा की संघीय सरकार ने प्रवासी नियमों में बदलाव किए। इसका असर यह रहा कि भारतवंशियों की आबादी में तेजी से बढ़ी। आज भारतीय-कनाडाई के हाथों में संघीय पार्टी एनडीपी की कमान है।
ट्रूडो को जब सिख समर्थक एनडीपी का साथ मिला
वर्ष 2019 में समय से पहले चुनाव कराए गए। ट्रूडो की लिबरल पार्टी की 20 सीटें कम हो गईं। लेकिन इसी चुनाव में खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को 24 सीटें मिली थीं। इस पार्टी ने ट्रूडो को सत्ता तक पहुंचाया। बैंकुअर, टोरंटो, कलगैरी सहित पूरे कनाडा में गुरुद्वारों का एक बड़ा नेटवर्क है, जो एकमुश्त सिख वोट दिलाने में मदद करता है।
कनाडा में सिखों का वोट बैंक ट्रूडो के लिए अहम
कनाडा में अक्टूबर, 2025 में चुनाव होने हैं। ट्रूडो चाहते हैं कि वहां के सिख उनका समर्थन करें। जस्टिन ट्रूडो 2015 से सत्ता में बने हुए हैं। 2019 और 2021 में ट्रूडो की पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी और वो दूसरी पार्टी के समर्थन से सरकार में हैं, जिन्हें सिखों का समर्थन हासिल है।
दोनों देशों में 59 हजार करोड़ रुपए का कारोबार
2021 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दोनों देशों के बीच 59 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का द्विपक्षीय कारोबार है। इसमें भारत का कनाडा को निर्यात करीब 40 हजार करोड़ रुपए का है। जबकि बाकी 19 हजार करोड़ का भारत कनाडा से आयात करता है।