बहुत कम लोगों को पता है कि एक उद्योगपति परिवार में जन्म लेने के बाद भी रतन टाटा का पहला प्यार बिजनेस नहीं था। बल्कि वे एक आर्किटेक्ट बनना चाहते थे। उन्होंने कई मौकों पर इसे अपना ड्रीम जॉब भी बताया।
फिर रतन टाटा ने अपने पिता नवल टाटा की इच्छा का मान रखते हुए इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। वर्ष 1959 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से डिग्री लेने के बाद इंटर्नशिप के लिए टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट आए।
इसके साथ ही उद्योग जगत में उनका पदार्पण हुआ। हालांकि, उन्होंने लंबा अनुभव भी हासिल किया। इंटर्नशिप के बाद 1961 में टाटा समूह में शामिल हुए। शुरुआत में टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर लाइमस्टोन को हटाने और भट्टी को हैंडल करने का काम सीखा। लगभग 30 तक तक विभिन्न पोस्ट पर रहने के बाद 1991 में टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला और 21 सालों तक टाटा समूह का नेतृत्व किया।
टाटा समूह में आजकल एक नाम की जबरदस्त चर्चा है। वह है - माया टाटा। 34 वर्षीय माया भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में से एक, टाटा समूह में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में उभर रही हैं।
माया टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा की सौतेली भतीजी हैं। माया रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा और दिवंगत साइरस मिस्त्री की बहन आलू मिस्त्री की बेटी हैं, जिन्होंने कभी टाटा समूह का नेतृत्व किया था।