रायपुर। कोरोना काल में विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के पढ़ाई के साथ ली जाने वाली परीक्षा की ऐसी व्यवस्था करें कि विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित रहे। गरीब-आदिवासी छात्र-छात्राओं को असुविधा का सामना न करना पड़े। विश्वविद्यालय प्रबंधन परीक्षा की समय सारिणी बनाते समय दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाले और प्रदेश के बाहर फंसे हुए विद्यार्थियों की आवागमन की समस्या को ध्यान में रखें। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने अपने संबोधन में कही। राज्यपाल आज यहां राजभवन में वीडियो कॉफ्रेसिंग के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतियों की बैठक ले रही थी। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को समाज को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने विद्यार्थियों की समस्या के समाधान के लिए सभी विश्वविद्यालयों में हेल्प डेस्क और हेल्पलाइन नंबर की भी व्यवस्था करने को भी कहा।
राज्यपाल ने कहा कि विभिन्न महाविद्यालयों में कार्यरत तदर्थ, संविदा, अतिथि एवं निजी महाविद्यालयों के शिक्षकों के लॉकडाउन अवधि के दौरान के वेतन भुगतान नहीं होने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं, शासन के दिशा-निर्देशानुसार कार्यवाही करें और उन्हें नियमित रूप से वेतन प्रदान करें। उन्होंने पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर के समन्वयकों के लंबित भुगतान तुरंत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन अवधि के दौरान विभिन्न कारणों से एम.फिल एवं पीएच.डी. शोधार्थियों को उनके शोध कार्य पूर्ण करने में विलंब हो रहा है, अतः उन्हें नियमानुसार अतिरिक्त समय प्रदान करें।
सुश्री उइके ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान दूरस्थ एवं आदिवासी क्षेत्रों में, जहां पर कनेक्टिविटी की समस्या है, वहां वैकल्पिक व्यवस्था जैसे वेबसाइट में ऑफलाइन वीडियो लेक्चर तथा सोशल मीडिया के माध्यम से शैक्षणिक सामग्री, लिंक इत्यादि प्रदान करें। राज्यपाल ने पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों द्वारा ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरते समय परीक्षा शुल्क के एक से अधिक बार खातों से कट जाने और कृषि विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए संचालित ऑनलाईन पोर्टल की समस्या का समाधान करने का निर्देश दिये। राज्यपाल ने कहा कि परीक्षा आयोजन के दौरान कंटेनमेंट जोन से आने वाले विद्यार्थियों के लिए करीब का परीक्षा केन्द्र, विशेष बैठक व्यवस्था की जाए।
राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों के द्वारा लॉकडाउन के कारण छात्रावास बंद होने एवं घरों में चले जाने के कारण उनकी पाठ्य सामाग्री, लैपटॉप, छात्रावासों में छूट जाने से उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई का पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है। परीक्षा के आयोजन के समय उनकी समस्या का ध्यान दिया जाए। सुश्री उइके ने कहा कि अंतिम तथा स्वअध्यायी विद्यार्थियों के लिए शासन द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु बनाई गई एसओपी के अनुरूप परीक्षा का आयोजन किया जाए तथा परीक्षा की सूचना विद्यार्थियों को प्रिंट-इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से निश्चित समय अवधि के पूर्व दी जाए। उन्होंने शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए पर्याप्त उपाय करने के निर्देश दिए।
राज्यपाल के सचिव सोनमणि बोरा ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय अपने परिसर में सभी इमारतों में दिव्यांगों के उपयोग के अनुरूप सुविधा प्रदान करें। साथ ही विश्वविद्यालय की वेबसाइट, ऑनलाइन शैक्षणिक सामग्री को दिव्यांगजनों के अनुरूप बनाएं। उन्होंने कहा कि इस समय प्रदेश में दूसरे प्रदेशों से प्रवासी श्रमिक आए हुए हैं। विश्वविद्यालय उनकी स्किल मैपिंग तथा उनके कौशल उन्नयन के संबंध में प्रशिक्षण की व्यवस्था भी कर सकते हैं, ताकि उन्हें स्वरोजगार प्राप्त हो और उनकी कुशलता का प्रदेश में ही उपयोग किया जा सके।
बैठक में कुलपतियों ने जानकारी दी कि उनके द्वारा शासन के निर्देशानुसार प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर जनरल प्रमोशन दिया जाएगा। उन्होंने विद्यार्थियों के अध्यापन के लिए वीडियो लेक्चर, ऑनलाईन कक्षाएं लिये जाने, मोबाइल एप तथा किये जा रहे नवाचारों की जानकारी तथा कोरोना वायरस से बचाव के लिए एन.सी.सी.-एन.एस.एस. द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
वीडियो कांफ्रेसिंग में कुलपति केशरीलाल वर्मा, डॉ. एस. के. पाटिल, बंशगोपाल सिंह, बलदेव शर्मा, डॉ. एम.के. वर्मा, श्रीमती अरूणा पल्टा, एस.के. सिंह, पी.के. सिन्हा, डॉ. एन.पी. दक्षिणकर, डॉ. माण्डवी सिंह, डॉ. ए.के. चन्द्राकर और प्रभारी कुलपति संजय अलंग उपस्थित थे।