रायपुर, । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू की पहल से अब प्रदेश के अधिकांश निर्माण कार्यों में गुणवत्ता दिखाई देने लगी है। निविदा कार्यों में इंजीनियरों की अनिवार्यता होने से बेरोजगार इंजीनियरों को जहां रोजगार मिल रहा है, वही तकनीकी कार्यों में भी सहूलियतें होने लगी है। प्रदेश में लगभग 1575 बेरोजगार इंजीनियरों की नियुक्ति की गई है। लोक निर्माण विभाग और ठेकेदारों के अधीन इंजीनियरों के समन्वय और तालमेल से प्रोजेक्ट मैनेजर, डिग्री और डिप्लोमा इंजीनियर निर्माण कार्यों पर निगरानी रखकर गुणवत्ता सुनिश्चित कर रहे हैं।
लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रदेश में अधोसंरचना से जुड़े विभिन्न कार्य संपादित किये जा रहे हैं। राज्य शासन द्वारा तकनीकी कार्यों में गुणवत्ता लाने हेतु कार्यों के सम्पादन में ठेकेदारों द्वारा अनिवार्य रूप से ंइंजीनियरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने निविदा के नियमों में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। संशोधित नियमों के अनुसार निविदा कार्यों में लागत राशि 5 करोड़ रुपये से अधिक की राशि होने पर पी.क्यू.(परफारमेंस क्वालीफिकेशन) दस्तावेज के अनुसार इंजीनियरों की नियुक्ति किया जाना है। एक करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों में एक ग्रेज्युएट इंजीनियर और 20 लाख से 100 लाख रुपये तक के कार्यों में एक डिप्लोमा इंजीनियर की नियुक्ति की जानी है।
यदि संबंधित ठेकेदार प्रावधानित टेक्निकल स्टाफ नियोजित करने में असफल हुआ तो 15 हजार प्रतिमाह की वेतन दर से डिप्लोमा इंजीनियर, 25 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दर से डिग्री इंजीनियर और 50 हजार प्रतिमाह वेतन की दर से प्रोजेक्ट मैनेजर की नियुक्ति इंजीनियर इन चार्ज द्वारा कर देय वेतन का भुगतान ठेकेदार के देयक से वसूलकर किया जाने का प्रावधान है। लोक निर्माण विभाग द्वारा अभी तक 1575 बेरोजगार इंजीनियरों की नियुक्ति इस नियम के तहत की गई है। इसमें 55 प्रोजेक्ट मैनेजर, 1177 डिग्री इंजीनियर तथा 343 डिप्लोमा इंजीनियर शामिल है। निर्माण कार्यों में तकनीकी दक्ष इंजीनियरों की भागीदारी से गुणवत्तामूलक कार्य भी होने लगे हैं।