चीन-रूस के साथ नेवी एक्सरसाइज करेगा ईरान : मार्च के आखिर में होने वाली ड्रिल के लिए कई देशों को न्योता

Updated on 08-02-2024 01:44 PM

ईरान ने कहा है कि वो अगली महीने यानी मार्च 2024 के आखिर में रूस और चीन के साथ नेवी एक्सरसाइज करेगा। इसके लिए कुछ और देशों को भी न्योता भेजा गया है, हालांकि इन देशों के नाम नहीं बताए गए हैं।

ईरान की न्यूज एजेंसी इरना के मुताबिक- इस एक्सरसाइज के नाम और तारीख का ऐलान जल्द किया जाएगा। इस एक्सरसाइज का मकसद नाटो देशों के वॉर गेम्स का जवाब देना है। इजराइल और हमास की जंग के बीच इस तरह की मिलिड्री ड्रिल मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ा सकती हैं।

ईरान नेवी ने भी पुष्टि की

ईरान की नेवी के अफसर एडमिरल शहराम ईरानी ने कहा- यह जॉइंट एक्सरसाइज मार्च के आखिर में होगी और इससे रीजनल सिक्योरिटी को ज्यादा मजबूत किया जा सकेगा। हम जल्दी ही तारीख और जगह की जानकारी देंगे। बहुत मुमकिन है कि यह गल्फ ऑफ ओमान में हो। इसकी वजह यह है कि पिछले साल यानी 2023 के मार्च महीने में भी तीनों देशों ने यहीं ड्रिल की थी।

ईरान की तस्नीम न्यूज एजेंसी के मुताबिक- ईरान, रूस और चीन ने कुछ और देशों को इस एक्सरसाइज में शामिल होने का न्योता भेजा है। हालांकि, इन देशों के नाम बताने से तीनों ही देश परहेज कर रहे हैं। इन देशों ने भी इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है।

ईरान के सुप्रीम लीडर अली खमैनी ने इस एक्सरसाइज के बारे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की थी। उन्होंने कहा था- दुश्मनों के झुंड का मुकाबला करने के लिए इस तरह की तैयारी बहुत जरूरी है।

नाटो की भी तैयारी

कई डिफेंस एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि दुनिया में तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। एक तरह जहां, रूस के अलावा चीन और ईरान इस नेवी एक्सरसाइज की तैयारी कर रहे हैं, वहीं अमेरिकी अगुआई में नाटो देश पहले ही वॉर गेम्स 2024 में जुटे हैं।

‘डिफेंस प्लान’ वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक-यूरोप में इस वक्त 90 हजार नाटो सैनिक एक्सरसाइज कर रहे हैं। इसमें सैकड़ों फाइटर जेट्स और वॉरशिप हिस्सा ले रहे हैं। खास बात ये है कि इसमें पहली बार सायबर और स्पेस ऑपरेशन्स को भी शामिल किया गया है। 32 देश इस ड्रिल का हिस्सा हैं।

नाटो के असिस्टेंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल गुनेर ब्रुगनेर ने मंगलवार को कहा- यह एक्सरसाइज बेहद अहम है। इसकी वजह यह है कि घड़ी अब बहुत तेजी से बढ़ते हुए खतरे की तरफ इशारा कर रही है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि वो किस खतरे की तरफ इशारा कर रहे हैं। रूस का नाम लिए बगैर जनरल ने कहा- हर एक्सरसाइज के कुछ खास मायने होते हैं, इसके भी हैं। हमारे सहयोगी देशों पर बहुत तेजी से खतरा बढ़ रहा है।

ईरान के एटमी ठिकानों पर हमले की मांग

पिछले ही हफ्ते अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट और पूर्व डिप्लोमैट मार्क वालेस ने कहा था कि ईरान पलक झपकते ही न्यूक्लियर हथियार बना सकता है। उनके मुताबिक- ईरान को रोकने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि अब बिना वक्त गंवाए वेस्टर्न वर्ल्ड उसके एटमी ठिकानों को तबाह कर दे। ब्रिटिश अखबार ‘सन’ को दिए इंटरव्यू में वालेस ने माना कि मिडिल ईस्ट में जो हालात बन रहे हैं, वो तीसरे विश्व युद्ध की तरफ इशारा कर रहे हैं।

एक सवाल के जवाब में वालेस ने कहा था- दुनिया किसी भी वक्त खतरे में पड़ सकती है। अब तक के हालात पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि हम ईरान के खिलाफ कोई ऐसा कदम नहीं उठा सके, जो उसे एटमी हथियार बनाने से रोक सके।

वालेस UN में अमेरिकी एंबेसैडर रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान (UANI) के CEO भी हैं। उन्होंने कहा- दुनिया के पास अब भी वक्त है कि वो नींद से जागे और ईरान के एटमी ठिकानों को फौरन तबाह करे। इसके लिए पहल वेस्टर्न वर्ल्ड को ही करनी होगी।

एक सवाल के जवाब में वालेस ने कहा था- UANI का पहला सिद्धांत ही यह है कि वो हर उस देश को रोके जो आतंकवाद का समर्थन करता है और ऐसे गुटों को हर तरह की मदद देता है। अगर ये काम अब भी नहीं किया गया तो गंभीर नतीजे होंगे।

ईरान का एटमी प्रोग्राम ही मुसीबत की जड़

करीब 23 साल से ईरान एटमी ताकत हासिल करने की कोशिश कर रहा है। 2015 में ईरान की चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका के साथ एटमी कार्यक्रम बंद करने को लेकर एक डील हुई थी। ये समझौता इसलिए हुआ था क्योंकि पश्चिम देशों को डर था कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है या फिर वो ऐसा देश बन सकता है जिसके पास परमाणु हथियार भले ही ना हों, लेकिन इन्हें बनाने की सारी क्षमताएं हों और कभी भी उनका इस्तेमाल कर सके।

2010 में ईरान को रोकने के लिए UN सिक्योरिटी काउंसिल, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने पाबंदियां लगाई थीं। इनमें से ज्यादातर अब भी जारी हैं। 2015 में ईरान का इन शक्तियों से समझौता हुआ। करीब पांच साल तक ईरान को राहत मिलती रही। जनवरी 2020 में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने समझौता रद्द कर दिया और ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगाए। इसके बाद बाइडेन आए तो ईरान पर नर्म रुख अपनाया।



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