कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 8 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर का रेप और मर्डर किया गया था। 9 अगस्त को विक्टिम की बॉडी मेडिकल कॉलेज में मिली थी।
इस घटना के विरोध में 9 ट्रेनी डॉक्टर भूख हड़ताल कर रहे हैं। शनिवार शाम से धर्मतला में डोरीना क्रॉसिंग पर चल रहे अनशन से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं।
बुधवार 9 अक्टूबर को मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ डॉक्टरों के एक दल ने करीब 2 घंटे तक मीटिंग की। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला।
डॉक्टर बोले- राज्य सरकार ने दुर्गा पूजा के बाद मांगों के बारे में सोचने की बात कही है। हमारे साथी 4 दिन से भूख हड़ताल पर हैं, हमें ऐसी कठोरता की उम्मीद नहीं थी।
उधर, मुर्शिदाबाद में एक दुर्गा पंडाल में आरजीकर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को महिषासुर के रूप में दिखाया गया है।
डॉक्टर बोले- हमारी मांगों के बारे में समय सीमा भी नहीं बताई
साल्ट लेक में स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय में हुई बैठक में राज्य भर के मेडिकल कॉलेज के लगभग 20 प्रतिनिधि शामिल हुए। देवाशीष हलधर ने कहा कि मुख्य सचिव ने परिसरों में सुरक्षा उपायों को लागू करने के मामले में राज्य की तरफ से उठाए गए कदम के बारे में पुरानी बातें ही दोहराईं। बाकी मांगों के बारे में, सरकार ने कोई लिखित निर्देश जारी करने या उसके लिए समय सीमा बताने से भी इनकार कर दिया।
100 से ज्यादा सीनियर डॉक्टर्स ने दिया इस्तीफा
ममता सरकार और डॉक्टरों के बीच एक और दौर की बातचीत विफल होने के बाद बुधवार रात तक आरजी कर अस्पताल के 106 डॉक्टरों और फैकल्टी ने इस्तीफा दे दिया है। दिन में जलपाईगुड़ी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 19, सिलीगुड़ी के नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 42, कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 35 और कोलकाता के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के करीब 70 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं।
डॉक्टरों ने पहले 5 मांगें रखी थीं, इनमें सरकार ने 3 पूरे किए... फिर भूख हड़ताल
जूनियर डॉक्टरों ने रेप-मर्डर घटना के खिलाफ 10 अगस्त से 21 सितंबर तक 42 दिन तक हड़ताल की थी। डॉक्टरों ने सरकार के सामने पहले 5 मांगें रखी थीं। इनमें से सरकार ने 3 मांगें मान लीं। CM ममता ने दो अन्य मांगों और शर्तों पर विचार करने का आश्वासन दिया था।
इसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी थी। वे अस्पतालों में काम पर लौट गए थे। 27 सितंबर को सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आया, जिससे नाराज होकर डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को फिर से हड़ताल शुरू कर दी।
4 अक्टूबर को जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली, लेकिन धरना जारी रखा। उन्होंने कहा कि हम काम पर लौट रहे हैं क्योंकि सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज परेशान हो रहे हैं। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद उन्होंने अनशन शुरू किया।