ई-ऑफिस सिस्टम में मैन्युअल दौड़ रही फाइलें

Updated on 26-12-2021 10:54 PM

भोपाल प्रदेश सरकार द्वारा लोगों को बेहतर और पारदर्शी रूप से योजनाओं का लाभ पहुंचाने पेपर लैस कार्य की दिशा में सरकारी विभागों में -ऑफिस प्रणाली लागू की गई है। लेकिन स्थिति यह है कि प्रदेश में -ऑफिस सिस्टम में भी फाइलें मैन्युअली दौड़ रही हैं। यानी प्रदेश में -ऑफिस का सिस्टम फेल हो गया है।

गौरतलब है कि ऑफिस को राज्य मंत्रालय से लेकर जिलों और तहसील कार्यालयों तक लागू करने की कोशिश की गई, लेकिन सारे मंसूबे फिलहाल फेल नजर रहे हैं। यहां तक कि राज्य मंत्रालय में भी ऑफिस सिस्टम महज रस्म-अदायगी के तौर पर है। अधिकतर फाइलें मैन्युअल ही चलती है। इसके अलावा ये भी कि जिन फाइलों को फार्मेट में बनाया जाता है, वे भी मैन्युअल तरीके से अलग से भी दौड़ती हैं।

12 साल से हो रहे प्रयास

दिलचस्प ये कि प्रदेश में ऑफिस का पेपरलैस सिस्टम लागू करने के प्रयास करीब 12 साल से हो रहे हैं, लेकिन अब तक यह पूरी तरह साकार नहीं हो सका। सबसे पहले 2007-08 में पेपरलैस वर्किंग के लिए -ऑफिस का सिस्टम लागू करने के प्रयास हुए थे। तब भी सीएम शिवराज सिंह चौहान ही थे। इसके बाद 2017 में शिवराज ने ही वापस इसे लागू करने के कदम उठाए। इसके बाद 2018 में विधानसभा चुनाव गए, तो यह सिस्टम ठप हो गया।

फिर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार आई, तो 2019 के मध्य में वापस इसे गंभीरता से लागू करने के कदम उठे। पूरी गाइडलाइन तक जारी की गई, लेकिन मामला परवान नहीं चढ सका। बाद में सत्ता परिवर्तन हुआ, तो फिर शिवराज सरकार गई। इस बार फिर शिवराज सरकार ने मई 2020 और फिर जनवरी 2021 में इसे लागू करने सख्ती दिखाई, लेकिन अब भी यह पूरी तरह लागू नहीं हो पाया है।

अब भी नहीं हुआ पेपरलैस सिस्टम

प्रदेश के सरकारी विभागों में पेपरलैस सिस्टम लागे करने के जितने भी प्रयास हुए हैं वे असफल रहे हैं। अक्टूबर 2019 तक सभी विभागाध्यक्ष कार्यालयों में लागू होना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आधे से ज्यादा कार्यालयों में अब तक लागू नहीं किया गया। जहां लागू हैं, वहां भी रस्म अदायगी है। दिसंबर 2019 तक सभी जिला मुख्यालयों तक ऑफिस लागू होना था, लेकिन यह रस्म अदायगी रहा। सिर्फ मुख्यालय डाक भेजी जाती है। जनवरी 2021 में ऑफिस की गाइडलाइन तय करके भेजी गई।

इसमें ऑफिस के हर स्तर के वर्क का प्रोफार्म गाइडलाइन थी, लेकिन इसका दस फीसदी पालन भी नहीं हुआ। अब भी केवल मंत्रालय में सीएम सचिवालय, सीएम मानीटरिंग, जीएडी कुछ अन्य स्तरों पर ऑफिस सिस्टम आधे अधूरे ढंग से काम कर रहा है। संभागीय मुख्यालयों, जिला मुख्यालयों, विभागाध्यक्ष कार्यालयों और तहसील सहित अन्य कार्यालयों में ऑफिस का पालन केवल रस्म अदायगी जैसा है। अधिकतर जगह पूरा काम मैन्युअल होता है।

तारीख पर तारीख

  ऑफिस सिस्टम लागू करने के लिए तारीख पर तारीख तय होती रही, लेकिन आज तक सिस्टम पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाया है। जून 2017 ऑफिस की दिक्कतें दूर करने बनी हाईपॉवर कमेटी ने इसे सख्ती से लागू किया। मार्च 2018 में मंत्रालय में इसे अनिवार्य रूप से लागू किया। सभी विभागों पर सख्ती शुरू की। मई 2018 में मंत्रालय में ऑफिस के लिए डिजिटल साइन की अनिवार्य कर सिस्टम बनाया।

अक्टूबर 2018 में विधानसभा चुनावों के आने के कारण काम तेज करने इस सिस्टम को ठप किया। जून 2019 में कमलनाथ सरकार ने इसे लागू करने का फैसला लिया। नई गाइडलाइन जारी की। सितंबर 2019 में विभागाध्यक्ष जिलाध्यक्ष कार्यालय में भी लागू करना तय किया। डैडलाइन दी। मई 2020 में ऑफिस पर फिर जोर। राजभवन सहित अन्य कार्यालयों के काम फार्मेट में। जनवरी 2021 में ऑफिस के लिए पूरी गाइडलाइन बनाकर जिलों को दी। पालन के निर्देश दिए। अक्टूबर 2021 में ऑफिस की सुरक्षा की चिंता। डिजिटल हस्ताक्षर सुरक्षा पर ध्यान के निर्देश।


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