लखीमपुर खीरी । उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी पहुंचे पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे पर कार्रवाई की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। किसानों की मौत के दौरान हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के परिजनों से मुलाक़ात के बाद सिद्धू ने भूख हड़ताल और मौन व्रत परकी घोषणा की।
इससे पहले पंजाब से लखीमपुर खीरी पहुंचे सिद्धू पहले, हिंसा में
मारे गए युवा किसान लवप्रीत सिंह के घर पहुंचे और वहां से मृतक पत्रकार रमन कश्यप के घर पहुंचे, जहां वो
मौन धारण करके लेट गए। सिद्धू के साथ मौजूद पंजाब सरकार में मंत्री बिजेंदर सिंगला ने कहा कि जब तक गृहराज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पुलिस के सामने पेश नहीं होते हैं तब तक सिद्धू का अनशन खत्म नहीं होगा।
लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर निशाना साधते हुए कहा, ''एविडेंस
(साक्ष्य) है, वीडियो है, एफआईआर में
नाम है, आई विटनेस (चश्मदीद गवाह) कह रहा
है कि मैंने देखा, एफआईआर में
उसका पूरा उल्लेख है तो फिर गिरफ़्तारी इसलिए नहीं हो रही है कि मंत्री जी के बेटे हैं।''
20 वर्षीय लवप्रीत सिंह के परिजनों को शुक्रवार को सांत्वना देने के बाद पत्रकारों से बातचीत में सिद्धू ने कहा, ‘बहुत हुआ,
आज अगर आप किसान आंदोलन को देखेंगे तो विश्वास उठ गया है इस सिस्टम (व्यवस्था)
पर से। किसान भाइयों का भी विश्वास उठ गया है। मैंने तब भी मांग की थी क्योंकि एफआईआर में नाम है और चश्मदीद गवाह है, मंत्री जी
के बेटे को जांच का सामना करना चाहिए नहीं तो गिरफ्तार होना चाहिए। पुलिस अगर चाहे तो बाल की खाल निकाल सकती है।''
पंजाब कांग्रेस के इस नेता ने सवाल उठाया ''लेकिन क्यों
नजरअंदाज हो रहा है, यह समझ
में नहीं आ रहा है, नैतिक बल
खोते जा रहे हैं, किरदार लुप्त
होते जा रहे हैं, सवाल विश्वास का है।'' उन्होंने
मानवीय संवेदना की चर्चा करते हुए कहा, ‘ मैं आ
रहा था तो सड़क पर एक बछड़ा आ गया, दो बार
ब्रेक लगी, हाय तौबा
हो गई और वह बच गया, लेकिन गाड़ी
से रौंदते हुए चले जाना यह कहां की इंसानियत है, यह कोई
हैवान ही कर सकता है।'' सिद्धू ने
कहा, ‘‘ प्रियंकाजी
और राहुलजी से प्रेरित होकर मैं यहां आया हूं और जो देखा है, जो सुना
है वह दिल दहलाने वाला है। एक जघन्य अपराध की गाथा है, पूरा हिंदुस्तान आज न्याय की गुहार लगा रहा है।''
लखीमपुर की घटना को उन्होंने भाजपा सरकार के माथे पर कलंक करार देते हुए कहा, ‘‘मेरा सियासी जीवन 17 साल का
हो गया और मेरे लिए संविधान से बड़ा कुछ भी नहीं है। संविधान के जज्बे को, जम्हूरियत
को, इंसाफ को
कत्ल करने का एक प्रयास है। इंसाफ दोहरा मापदंड नहीं अपना सकता है।'' सरकार द्वारा मारे गये किसानों के परिजनों को आर्थिक सहयोग दिये जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ''''मानवीय जीवन
का कोई पैसों से मूल्य नहीं लगा सकता, इसकी भरपाई
नहीं हो सकती है।''
ज्ञात रहे कि पिछले रविवार को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। आरोप है कि इन किसानों को वाहन से टक्कर मारी गई थी। इस मामले में दर्ज एफआईआर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष का नाम भी है। आशीष को शुक्रवार को पुलिस के सामने पेश होने को कहा गया था लेकिन अभी तक वह पेश नहीं हुए हैं।