न भौकाल और शेर की दहाड़, मुन्ना भैया के साथ 'मिर्जापुर 3' को भी जलाकर कर दिया खाक, अब रहम करो सरकार
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06-07-2024 01:59 PM
भौकाल, पावर, इज्जत, कंट्रोल... 'मिर्जापुर' के बाहुबलियों को चाहिए। मगर दर्शकों को क्या चाहिए? सोचा है आपने? पहला सीजन बवाल, दूसरा सीजन भी बवाल, लेकिन तीसरा सीजन देखकर तो लगा- ये क्या बकवास है। मतलब क्या किया है इस बार मेकर्स ने? वैसे बात सही ही कही गई है। नेम-फेम पाकर कुछ लोग बौरा जाते हैं। वही हाल हुआ है इस बार 'मिर्जापुर सीजन 3' के मेकर्स के साथ। 10 एपिसोड की इस सीरीज को देखने के लिए समय निकाला। देखकर एकदम से मन खराब हो गया। क्या ही बवासीर था ये सीजन। कसम से।
अविनाश सिंह तोमर की लिखी और गुरमीत सिंह की डायरेक्टेड सीरीज 'मिर्जापुर 3' को लेकर बहुत इंतजार किया। मैंने ही नहीं। देश के उन तमाम लोगों ने, जिन्होंने इसे देखा और पिछले दो सीजन्स को खूब प्यार दिया था। लेकिन मिला क्या। कहा जाता है कि सब्र का फल मीठा होता है लेकिन ये तो इतना कड़वा निकला कि उल्टी करने का मन हो गया। सीरीज में सबसे अहम जो थे वो कालीन भैया ही थे। लेकिन उन्हें ही टट्टू बना दिया। उनसे ज्यादा तो कुलभूषण खरबंदा ने दो सीजन में काम किया था। मगर मेकर्स ने इस बार पंकज त्रिपाठी को एकदम गूंगी गुड़िया ही बना दिया।
कालीन भैया फुस्स, गुड्डू भैया सुस्त
उधर, गुड्डू पंडित को गद्दी चाहिए लेकिन कोई भौकाल नहीं। उल्टा अंत में उनकी गोलू संग आशिकी दिखा दी गई, जिसको देखने के बात तो माथा ही पीट लिया। शुरू से लेकर अंत तक यही लगा कि अब कालीन भैया जागेंगे और आएंगे। अब जागेंगें और गर्दा उड़ाएंगे। मगर वो तो अपने बाबूजी से भी गए गुजरे से हो गए। अंत में तो जब तक जागे। तब तक तो सीरीज ही खत्म हो गई। एक सज्जन आदमी के रूप में रॉबिन थे, जिसकी मौत इतनी बेरहमी से दिखाई गई कि मुन्ना भैया की कसम, स्क्रीन पर ही उल्टी हो गई।
'मिर्जापुर' की क्वीन्स भी पड़ गईं फीकी
बीना त्रिपाठी, राधिया, माधुरी यादव, डिंपी, जरीना... इन किरदारों ने भी इस बार खूब निराश किया। जैसा लगा था कि इस बार तो ये कुछ अलग करेंगी। मगर सीजन 2 के मुकाबले कुछ खास नहीं किया। आखिर मेकर्स क्या चाहते थे। ये तो वो ही जाने। उन्होंने बस खानापूर्ती की है। जिसने लाला को मरवाया, उस शरद शुक्ला को अंत में ही टपका दिया गया। भइया, चौथे सीजन में क्या अब क्या सिर्फ हम कालीन वर्से गुड्डू का ही जंग देखेंगे?
नहीं चाहिए चौथे के बाद, पांचवा सीजन
हम बस इतना कहना चाहते हैं कि जितना कला का प्रदर्शन करना था, आपने कर लिया। जो बीरबल की खिचड़ी तीसरे सीजन के नाम पर पकाई गई है, उसे दर्शकों को तो परोसकर पेट खराब कर दिया है। अब आशा करते हैं कि आप चौथा सीजन, चौथा जैसा ही रखिएगा। यानी एकदम छोटा। और उसके बाद हाथ जोड़ रहे हैं, पांचवे की कोई उम्मीद मत दीजिएगा क्योंकि इस बार आपने करोड़ों लोगों को निराश किया है, जिसके बाद चौथे के लिए ज्यादा क्रेज बचा नहीं है। हिंसा और अश्लीलता तो आप इस सीरीज में भर-भरकर परोसते ही हैं। बस इतनी दया करिएगा कि पांचवे की नौबत न आए।
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