यह राज्य और उनके चीफ सेक्रेटरी का गैर संवेदनशील रवैया को दिखाता है। क्या चीफ सेक्रेटरी किसी और के कहने पर काम कर रहे हैं.. हमें बताया जाए। हम उन्हें समन जारी करते हैं। लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई से परहेज क्यों है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हरियाणा सरकार ने एक भी पीनल ऐक्शन नहीं लिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीएक्यूएम एक्ट की धारा-14 के तहत उचित कार्रवाई नहीं करने के मामले में राज्य के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ संबंधित अथॉरिटी ऐक्शन ले। इस कार्रवाई रिपोर्ट भी पेश करें।
पंजाब सरकार के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आदेश के उल्लंघन के मामले में आप चुप्पी साधे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इन आदेशों का धरातल पर अमल काफी कठिन काम है। इस पर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस बात को रेकॉर्ड पर ले ले कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था के अनुपालन में असमर्थ है? इस पर पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि कदम उठाए गए हैं। लेकिन ग्राउंड पर काफी चुनौतियां हैं। जो भी किसान पराली जलाने को लेकर जिम्मेदार हैं उनके रेवेन्यू रेकॉर्ड पर रेड एंट्री की गई है।
266 घटनाएं लेकिन एफआईआर सिर्फ 14
अदालत ने कहा कि इसरो प्रोटोकॉल के मुताबिक 266 आग की घटना देखने को मिली है। 103 से सिर्फ मामूली जुर्माना लिया गाय है। पराली जलाने के मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा-233 के तहत सिर्फ 14 एफआईआर दर्ज की गईं हैं। राज्य का जो डेटा है उसके तहत 267 उल्लंघनकर्ता हैं और सिर्फ 122 पर ऐक्शन हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के गुमराह करने वाले बयान को लेकर भी उसकी खिंचाई की। अदालत ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान 3 अक्टूबर को राज्य की ओर से गुमराह करने वाले बयान दिए गए।
राज्य सरकार ने कहा था कि केंद्र को प्रस्ताव दिया गया है कि वह छोटे किसानों के ट्रैक्टर, डीजल और ड्राइव के लिए फंड मुहैया कराए। लेकिन 16 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से पेश एडवोकेट जनरल ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें आश्चर्य है कि पिछला बयान गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के चीफ सेक्रेटरी को कहा है कि वह अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हों और बताएं कि राज्य ने ऐक्शन क्यों नहीं लिया।
क्वॉलिफिकेशन को लेकर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सीएक्यूएम मेंबर के क्वॉलिफिकेशन को लेकर अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी से सवाल किए। जस्टिस ओका ने कहा कि जो भी सदस्य हैं उनको लेकर काफी आदर का भाव है। लेकिन ये लोग एयर पल्यूशन के मामले में फिल्ड के एक्सपर्ट नहीं हैं। अदालत ने सीएक्यूएम से कहा है कि वह एक्सपर्ट एजेंसी को काम पर लगाएं ताकि गंभीर विषय का निपटारा हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर की तारीख तय कर दी है।
शीर्ष अदालत पहले भी कह चुकी है कि पंजाब और हरियाणा सरकार ने कोई दस्तावेज ऐसा पेश नहीं किया जिससे यह पता चले कि कमिशन ने जो निर्देश जारी किए थे उसके पालन के लिए कोई प्रयास किया गया हो। सीएक्यूएम ने जो हलफनामा पेश किया है उससे जाहिर होता है कि उसके खुद के निर्देश के अनुपालन के लिए उसने कोई प्रयास नहीं किया। सीएक्यूएम की सेफगार्डिंग और एन्फोर्समेंट के लिए सब कमिटी है जिसकी बैठक 29 अगस्त को हुई थी लेकिन उसमें निर्देश के अमल पर कोई चर्चा तक नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सीएक्यूएम इस बात को लेकर खिंचाई की थी कि उसने पराली जलाए जाने से रोकने के लिए अपने ही निर्देश को लागू कराने का प्रयास नहीं किया। अब दोनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी तलब हुए हैं जो निश्चित तौर पर ग्राउंड पर इस ऑर्डर का असर देखने को मिल सकता है ऐसी संभावना है।
पंजाब सरकार के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आदेश के उल्लंघन के मामले में आप चुप्पी साधे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इन आदेशों का धरातल पर अमल काफी कठिन काम है। इस पर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस बात को रेकॉर्ड पर ले ले कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था के अनुपालन में असमर्थ है? इस पर पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि कदम उठाए गए हैं। लेकिन ग्राउंड पर काफी चुनौतियां हैं। जो भी किसान पराली जलाने को लेकर जिम्मेदार हैं उनके रेवेन्यू रेकॉर्ड पर रेड एंट्री की गई है।
266 घटनाएं लेकिन एफआईआर सिर्फ 14
राज्य सरकार ने कहा था कि केंद्र को प्रस्ताव दिया गया है कि वह छोटे किसानों के ट्रैक्टर, डीजल और ड्राइव के लिए फंड मुहैया कराए। लेकिन 16 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से पेश एडवोकेट जनरल ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें आश्चर्य है कि पिछला बयान गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के चीफ सेक्रेटरी को कहा है कि वह अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हों और बताएं कि राज्य ने ऐक्शन क्यों नहीं लिया।