भोपाल । मप्र निजी व्यावसायिक शिक्षण अधिनियम-2007 के तहत गठित प्रवेश व फीस विनियामक समिति (एएफआरसी) में अपीलीय अधिकारी की करीब नौ महीने बाद भी नियुक्ति नहीं हो पाई है। इससे कॉलेजों को फीस बढाने में असुविधा का सामना करना पड रहा है। लगभग 10 कालेज फीस से असंतुष्ट होकर अपील कर चुके हैं और सत्र समाप्ति की ओर है, लेकिन उन पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है।समिति द्वारा इस पद को भरने के लिए प्रस्ताव मंत्रालय भेज दिया गया है, लेकिन इसको लेकर आज तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
फीस विनियामक समिति में अपनी फीस तय कराने के प्रस्ताव के मुताबिक फीस तय नहीं होने से अपील की है। इन सभी इंस्टीट्यूट ने फीस समिति में फीस वृद्धि का प्रस्ताव दिया था, लेकिन फीस आधी कर दी गई है। इससे नाखुश होकर अब इन्होंने अपीलीय अधिकारी के पास अपील की है, लेकिन अब तक निराकरण नहीं हुआ है। अपील करने वालों राजधानी के कई बड़े कालेज व इंस्टीट्यूट शामिल हैं।
गौरतलब है कि इस समिति द्वारा उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और मेडिकल व दंत चिकित्सा के कोर्स संचालित करने वाले निजी कालेजों की फीस तय की जाती है। कालेजों की पिछले वर्ष तीन सत्रों की फीस तय की गई है, लेकिन लगभग 10 कालेज ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी सुविधाओं के आधार पर अधिक फीस तय करने की मांग की थी, लेकिन समिति ने उनकी फीस आधी कर दी है।
फीस से असंतुष्ट कालेजों ने अपील दायर कर दी। उनकी फाइल अभी अपीलीय अधिकारी के कक्ष में निराकरण का इंतजार कर रही है। बता दें कि फीस विनियामक समिति में अपीलीय अधिकारी के रूप में न्यायाधीश आलोक वर्मा की नियुक्ति की गई थी, जिनका कार्यकाल मार्च 2021 में पूरा हो गया है। इसके बाद कमेटी ने अपीलीय अधिकारी नियुक्त करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है, लेकिन अब तक भी नियुक्ति नहीं हो पाई है।