संविधान के अनुच्छेद 16(6) का हवाला
इस मामले की अगली सुनवाई पर याचिकाकर्ताओं के वकील ने 'जनहित अभियान बनाम भारत संघ 2023' के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को संविधान सम्मत माना है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 16(6) के अनुसार हर वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को EWS आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं का कहना नई नीति गरीबों के साथ भेदभाव
याचिकाकर्ताओं के वकील ने आगे तर्क दिया कि मध्य प्रदेश सरकार की नई नीति ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग के गरीबों के साथ भेदभाव है। इस पर न्यायालय ने सवाल उठाया कि ओबीसी, एससी और एसटी को पहले से ही आरक्षण मिल रहा है। ऐसे में क्या एक ही व्यक्ति को दो तरह के आरक्षण का लाभ मिल सकता है?
एक व्यक्ति को दो तरह का आरक्षण
याचिकाकर्ताओं के वकील ने इसका जवाब देते हुए कहा कि एक व्यक्ति को एक से ज्यादा तरह के आरक्षण का लाभ मिल सकता है। उदाहरण के तौर पर, एक ओबीसी महिला को ओबीसी आरक्षण और महिला आरक्षण दोनों का लाभ मिल सकता है। अगर वह दिव्यांग भी है तो उसे दिव्यांग आरक्षण का भी लाभ मिलेगा।
इसके अलावा, वकील ने हाईकोर्ट के ही एक अन्य फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि EWS के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण, सभी सीटों का नहीं बल्कि केवल अनारक्षित सीटों का 10 प्रतिशत होगा।
अगली सुनवाई 11 नवंबर को
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सरकार से दो हफ़्ते में जवाब तलब किया है। हालांकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की अंतरिम राहत की मांग नहीं मानी। मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर 2024 को होगी।
इन वकीलों ने रखीं दलील
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील विनायक प्रसाद शाह, रामेश्वर सिंह ठाकुर, उदय कुमार, पुष्पेंद्र कुमार शाह, जी एस उद्दे और रूप सिंह मरावी ने दलीलें रखीं।