सुल्तान राही, पाकिस्तानी सिनेमा का वो बेहतरीन अभिनेता, जिसका नाम मौत के 28 साल बाद भी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। उनके पास सबसे शानदार अभिनेता होने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। महज 40 साल के एक्टिंग करियर में 800 से ज्यादा फिल्में कर 160 अवॉर्ड हासिल करने वाले सुल्तान राही, पाकिस्तान के इकलौते एक्टर हैं। 800 फिल्मों में से 535 फिल्मों में उन्होंने लीड रोल निभाया था। 59 फिल्मों में डबल रोल करने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के पास है।
सुल्तान राही के पाक सिनेमा को दिए योगदान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी फिल्म मौला जट्ट (1979), डायमंड जुबली फिल्म थी, जो 15 महीनों तक सिनेमाघरों में लगी रही और एक कल्ट क्लासिक फिल्म कही गई।
पाकिस्तानी सिनेमा का नक्शा बदलने और उसका सुनहरा दौर लाने का क्रेडिट आज भी सुल्तान राही को दिया जाता है, जिनकी फिल्मों को भारत और विदेश में रीमेक कर बनाया जाता था। पाकिस्तानी सिनेमा में आज भी कहावत है कि सुल्तान राही जैसा एक्टर न कोई था और न कभी कोई होगा।
अपने करियर में तो उन्होंने महारत हासिल की हुई थी, लेकिन उनकी जिंदगी एक ट्रैजेडी से खत्म हो गई। 1996 में दोस्त के साथ शुरू हुआ सफर एक हादसे में बदल गया और वो कभी लौटे ही नहीं। सुल्तान राही की मौत के बाद पाकिस्तानी सिनेमा के सुनहरे दौर का भी अंत हो गया, जो आज तक लौट नहीं सका। मौत के 24 साल बाद भी पाकिस्तान में उनके पोस्टर गली-मोहल्ले, बसों और दुकानों में होना आम बात है।
मुश्ताक गजदार राही का जन्म 24 जनवरी 1938 को ब्रिटिश इंडिया के रावलपिंडी में हुआ था, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान के हिस्से आया। उनके परिवार का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से था, जो पलायन कर रावलपिंडी पहुंचा था। कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा है कि मुश्ताक गजदार राही का जन्म मुजफ्फरनगर में ही हुआ था। मुश्ताक गजदार राही के पिता सूबेदार मेजर अब्दुल मजीद ब्रिटिश आर्मी के रिटायर्ड अफसर थे।
लुक्स के चलते बचपन में लोग उड़ाते थे मजाक
सुल्तान राही हमेशा से ही हीरो बनना चाहते थे, जिसके लिए वो अक्सर फिल्म स्टूडियो के चक्कर काटा करते थे। हालांकि, उनके लुक्स के चलते बचपन में लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे।
सालों तक भटकने के बाद साल 1956 की उर्दू फिल्म बागी में उन्हें एक एक्स्ट्रा का रोल मिल गया। इस फिल्म में उनका रोल इतना छोटा था कि किसी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। इसी साल उनकी एक साथ 3 फिल्में रिलीज हुईं, लेकिन तीनों ही फिल्मों में उनके रोल मामूली थे।
सालों तक निभाते रहे साइड रोल
1956 में एक्टिंग डेब्यू करने के बाद 1957 में सुल्तान राही की बतौर साइड एक्टर एक साथ 5 फिल्में रिलीज हुईं। इसी साल उन्होंने याक्के अली से पंजाबी सिनेमा में कदम रखा।
20 सालों तक साइड रोल में आते रहे सुल्तान राही
1956 से फिल्म करियर की शुरुआत करने के बाद सुल्तान राही करीब 20 सालों तक साइड रोल में ही नजर आते रहे। हर साल उनकी उर्दू और पंजाबी भाषा की 4-5 फिल्में रिलीज होती ही थीं।
20 साल के संघर्ष के बाद मिली पहचान
1975 की फिल्म वहशी जट्ट में पहली बार सुल्तान राही को लीड रोल दिया गया। ये पाकिस्तान की मौला जट्ट फ्रेंचाइजी की पहली फिल्म थी। इस फिल्म में गुस्से में बदला लेने वाले शख्स का किरदार निभाकर सुल्तान राही ने पूरे पाकिस्तान को अपना दीवाना बना दिया। इसी फिल्म के बाद सुल्तान राही को पाकिस्तान में स्टार का दर्जा दिया जाने लगा।
1975 में मिले स्टारडम के बाद से ही सुल्तान राही सालाना दर्जन भर फिल्मों में नजर आने लगे। 1973 तक उनकी सालाना 8-12 फिल्में रिलीज होती थीं, वो भी बतौर साइड हीरो, लेकिन 1975 के बाद से ही उनकी एक साथ कई फिल्में रिलीज होने लगीं। 1976 में सुल्तान राही 22 फिल्मों में नजर आए, जबकि 1977-78 में उनकी 19-19 फिल्में रिलीज हुई थीं।
1979 में बदला पाकिस्तानी सिनेमा का नक्शा
साल 1979 में सुल्तान राही ने फिल्म मौला जट्ट में मौला जट्ट का दमदार रोल प्ले किया था। इस फिल्म से सुल्तान राही पाकिस्तानी सिनेमा के सबसे बड़े स्टार बने। ये उस दौर में पाकिस्तानी सिनेमा की सबसे कामयाब फिल्म थी।
हिंसा के चलते पाकिस्तान में बैन हुई थी मौला जट्ट
ये फिल्म मौला जट्ट के हिंसक बदले की कहानी थी, जिसमें जबरदस्त हिंसक सीन दिखाए गए थे। हिंसा के चलते इस फिल्म को पाकिस्तान में बैन कर दिया था, हालांकि पॉपुलैरिटी को देखते हुए फिल्म पर लगा बैन हटा दिया गया था।
60 हफ्तों तक सिनेमाघरों में लगी रही थी फिल्म मौला जट्ट
1979 में रिलीज हुई फिल्म मौला जट्ट डायमंड जुबली फिल्म थी, जो 60 हफ्तों यानी 15 महीनों तक सिनेमाघरों में लगी रही थी। गुजरते सालों के साथ इस फिल्म को कल्ट क्लासिक का स्टेटस मिला। ये पाकिस्तानी सिनेमा की पहली अनऑफिशियल मूवी फ्रेंचाइजी थी।
पाकिस्तान सिनेमा के सबसे दिलदार हीरो थे सुल्तान राही
फिल्मों में भले ही सुल्तान राही एक दमदार और गुस्सैल पर्सनैलिटी के रूप में नजर आते थे, लेकिन असल जिंदगी में उनका स्वभाव उतना ही कोमल और दिलदार था। सुल्तान राही कई नए कलाकारों के लिए गॉडफादर बने, चाहे कोई नया हीरो हो या डायरेक्टर। जब भी उन्हें पता चलता था कि प्रोडक्शन से जुड़े किसी शख्स को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है, तो हर हद तक उसकी मदद किया करते थे। सुल्तान राही की मदद से कई प्रोड्यूसर्स की रुकी हुई फिल्में पूरी हो सकी थीं।
पाकिस्तान के मुल्तान शहर में स्थित पाकिस्तानी सिनेमा के सबसे पुराने बाड़ी स्टूडियो में सुल्तान राही ने मस्जिद बनाने में आर्थिक मदद दी थी।
सुल्तान राही पाकिस्तान सिनेमा के सबसे रईस और सबसे ज्यादा फीस लेने वाले एक्टर थे, लेकिन जब उन्हें पता चलता था कि प्रोड्यूसर के पास पैसे कम पड़ रहे हैं, तो वो बिना फीस लिए ही पूरी फिल्म किया करते थे।
पहली शादी टूटी, दो शादियों से हैं 5 बच्चे
सुल्तान राही ने स्ट्रगल के दिनों में शाहीन नाम की महिला से शादी की थी, लेकिन उनकी पहली शादी टूट गई। इसके बाद उन्होंने नसीम सुल्तान से शादी की थी, जिससे उन्हें 5 बच्चे हैं। सुल्तान राही के बेटे हैदर सुल्तान भी पाकिस्तानी एक्टर हैं।
अपनी मौत का मजाक उड़ाते थे सुल्तान राही
पाकिस्तानी सिनेमा की सीनियर एक्टर बहार बेगम ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यूनल से बातचीत में बताया था कि सुल्तान राही अक्सर अपनी मौत पर मजाक किया करते थे। कहते थे मेरे साथ ही पाकिस्तानी सिनेमा का सुनहरा दौर खत्म हो जाएगा। बहार बेगम ने बताया कि सुल्तान राही हजारों परिवारों की कमाई का जरिया थे, वो अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा गरीबों में बांट दिया करते थे, यही कारण है कि हर कोई उनसे बेइंतहा प्यार करता था।
अपने दिलदार रवैये के चलते सुल्तान राही आम जनता ही नहीं बल्कि फिल्ममेकर्स, को-स्टार्स और साथ काम करने वालों के भी पसंदीदा हुआ करते थे। फिल्म डायरेक्टर अल्ताफ हुसैन ने उनके लिए कहा था, सुल्तान राही जैसे आर्टिस्ट सदियों में सिर्फ एक बार होते हैं। मुझे पता है कि वो हमेशा पंजाबी और उर्दू सिनेमा का सबसे पॉपुलर और कामयाब हीरो रहेंगे।
डबल रोल के किंग थे सुल्तान राही, 59 फिल्मों में डबल रोल निभाया
1988 की फिल्म शहंशाह में पहली बार सुल्तान राही ने डबल रोल निभाया, इसके बाद वो शेरनी, रंगीले जासूस जैसी 59 फिल्मों में डबल रोल में नजर आए। जबकि भारत में ये रिकॉर्ड प्रेम नजीर के पास है, जिन्होंने 40 से ज्यादा फिल्मों में डबल रोल किया है। साल 1991 में सुल्तान राही फिल्म कोबरा में भी डबल रोल में दिखे थे, जो इंडियन फिल्म डॉन की रीमेक थी।
2 भाषाएं, 800 फिल्में और 160 अवॉर्ड
सुल्तान राही ने 4 दशकों के एक्टिंग करियर में 703 पंजाबी और 100 उर्दू फिल्मों में काम किया है। उन्हें सबसे पहला अवॉर्ड 1971 की फिल्म बाबू के लिए मिला था, जिसके बाद उन्हें अलग-अलग कैटेगरी में 160 अवॉर्ड दिए गए।
डायरेक्टर के साथ सैर पर निकले थे सुल्तान राही
सुल्तान राही को घूमने- फिरने का शौक था। जब भी शूटिंग से समय बचता तो वो दोस्तों के साथ घूमने निकल जाया करते थे। 9 जनवरी 1996 की बात है। वो फिल्म डायरेक्टर अहसान के साथ इस्लामाबाद से लाहौर के लिए निकले थे। पाकिस्तान के ग्रैंड ट्रंक रोड हाईवे पर एमिनाबाद चुंगी क्रॉस कर एमिनाबाद पहुंचने ही वाले थे कि उनकी कार का टायर पंचर हो गया।
लूट के बाद बदमाशों ने मारी गोलियां, खून बहने से हुई मौत
जब आसपास कोई पंचर की दुकान नहीं दिखी, तो पाकिस्तान के सुपरस्टार सुल्तान राही ने खुद उतरकर टायर बदलना शुरू कर दिया। गाड़ी ठीक होने ही वाली थी कि अचानक कुछ लुटेरों ने उन पर हमला कर दिया। लोगों ने उन्हें लूटने के लिए पहले उन्हें बंदी बनाया और फिर उनका सारा सामान और पैसे लूट लिए। लूट के बाद पहचान उजागर होने के डर से लुटेरों ने सुल्तान राही और डायरेक्टर एहसान पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गोलियां लगने और ज्यादा खून बह जाने से सुल्तान राही की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनके साथी की इलाज के दौरान मौत हो गई।
मौत के बाद रिलीज हुई थीं 19 फिल्में
मौत के बाद साल 1996 और 1997 में सुल्तान राही की 19 फिल्में रिलीज हुई थीं। ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
सुल्तान राही सिर्फ एक थे और उन्हें कोई रिप्लेस नहीं कर सकता
सुल्तान राही के साथ ही पाकिस्तानी सिनेमा के सुनहरे दौर का भी अंत हो गया। उनकी मौत उनके फैंस और फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक गहरा सदमा साबित हुई। उनकी को-स्टार रहीं बहार बेगम ने द ट्रिब्यून को दिए इंटरव्यू में कहा था, सुल्तान राही अक्सर कहते थे कि जब मैं चला जाऊंगा, तो फिल्म इंडस्ट्री मुझे बहुत याद करेगी, पहले तो मैं उनकी बात समझ नहीं सकी, लेकिन उनकी मौत के बाद इसे सच होता देखा। लॉलीवुड में सिर्फ एक ही सुल्तान राही था और हमेशा सिर्फ एक ही रहेगा, उन्हें कोई रिप्लेस नहीं कर सकता।
आज भी बसों और दुकानों में लगाए जाते हैं सुल्तान राही के पोस्टर
डायरेक्टर परवेज राणा ने कहा था, आज भी पाकिस्तान में पंजाबी फिल्में बनती हैं, नए हीरो इंडस्ट्री में आते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि सुल्तान राही जो सुनहरा दौर लाए थे, वो कभी लौट पाएगा। उनके डायलॉग हमारी यादों और जेहन में हैं। ये देश का प्यार है कि उनकी मौत के सालों बाद भी लोग उनके पोस्टर दुकानों और बसों में लगाते हैं।